जीवनी का अर्थ : किसी भी महान् व्यक्ति का सम्पूर्ण विवरण क्रमशः महत्त्वपूर्ण घटनाओं माध्यम से किसी अन्य लेखक द्वारा लिखा जाना जीवनी कहलाती है। इस पोस्ट में हम जानेंगे कि जीवनी क्या है, जीवनी के प्रकार तथा जीवनी की विशेषताऍं, जीवनी के बारे में समस्त जानकारी के लिए इस पोस्ट को अंत तक पढ़े (jivani in hindi)।
जीवनी किसे कहते हैं?
लेखक द्वारा किसी व्यक्ति के जीवन के चरित्र का चित्रण करना ही जीवनी है, दूसरे शब्दों में किसी विशिष्ट व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन वृतांत को ही जीवनी कहते है। जीवनी को अंग्रेजी अर्थ “बायोग्राफी” कहते है। लेखक द्वारा जीवनी में किसी व्यक्ति विशेष के जीवन में घटित समस्त महत्वपूर्ण घटनाओं का कलात्मक और सौन्दर्यता के साथ चित्रण किया जाता है।
जीवनी की परिभाषा
बाबू गुलाबराय व श्री रामनाथ सुमन ने जीवनी (jivani ki paribhasha) का निम्न रूप में परिभाषित किया है:-
1. बाबू गुलाबराय के अनुसार जीवनी की परिभाषा, “जीवनी घटनाओ का अंकन नहीं वरन चित्रण है। वह साहित्य की विधा है और उसमे साहित्य और काव्य के सभी गुण है। वह एक मनुष्य के अंतर और बाहर स्वरूप का कलात्मक निरूपण है।"
2. श्री रामनाथ सुमन के अनुसार जीवनी की परिभाषा, “जीवन की घटनाओं के विवरण का नाम जीवनी हैं।"
जीवनी का उद्भव एवं विकास
हिन्दी में जीवनी लेखन 19वीं शताब्दी से प्रारम्भ हुआ। सर्वप्रथम प्रसाद खत्री ने 1899 ई. में मीराबाई का जीवन चरित्र लिखा। इसके बाद भारतेन्दु युग से जीवनी लिखने का क्रमबद्ध इतिहास मिलता है।
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने कालिदास, रामानुज, जयदेव, सूरदास, शंकराचार्य, बल्लभाचार्य आदि की जीवनियाँ लिखीं। महावीर प्रसाद द्विवेदी ने भी कई महापुरुषों की जीवनियाँ लिखीं, जो सुकवि संकीर्तन, प्राचीन पण्डित और कवि तथा चरित्र-चर्चा नामक ग्रन्थों में संकलित हैं।
छायावाद युग में ऐतिहासिक विभूतियों पर भी जीवनियाँ लिखी गईं। रामनरेश त्रिपाठी ने पृथ्वीराज चौहान, सम्पूर्णानन्द ने सम्राट हर्षवर्धन, चन्द्रशेखर पाठक ने राणाप्रताप सिंह, रामवृक्ष शर्मा ने महाराणा प्रताप, प्रेमचन्द ने दुर्गादास 'भदन्त आनन्द' कौसल्यायन ने भगवान बुद्ध, यदुनाथ सरकार ने शिवाजी की जीवनी आदि महत्त्वपूर्ण जीवनियाँ लिखी हैं।
विशिष्ट साहित्यकारों के जीवन वृत्तों में बाबू राधाकृष्ण दास ने 'भारतेन्दु बाबु हरिश्चन्द्र', ब्रजरत्न दास ने 'भारतेन्दु हरिश्चन्द्र', शिवनन्दन सहाय 'हरिश्चन्द्र', रामचन्द्र शुक्ल ने 'बाबू राधाकृष्ण दास', बरुआ ने 'माखनलाल चतुर्वेदी', गंगा प्रसाद पाण्डेय ने 'महाप्राण निराला', शिवरानी देवी : 'प्रेमचन्द घर में', उमेशचन्द्र मिश्र ने 'विश्व कवि रवीन्द्रनाथ', अमृतराय ने 'प्रेमचन्द : कलम का सिपाही', रामविलास शर्मा ने 'निराला की साहित्य साधना' अत्यन्त महत्त्वपूर्ण जीवनियाँ लिखी हैं। विष्णु प्रभाकर ने वर्ष 1974 में आवारा मसीहा की रचना की।
जीवनी की विशेषताएं
जीवनी की प्रमुख विशेषताएं (jivani ki visheshtaen) निम्न लिखित है:-
2. जीवनी का नायक कोई महान व्यक्ति होता है, जिसके जीवनी से लेखक प्रभावित होता है।
3. जीवनी में केवल तथ्यपरक एवं सच्ची घटनाएं ही होती है
4. जीवन की घटनाएं को ऐतिहासिक क्रम में ही प्रस्तुत किया जाता है।
5. जीवन में सरसता एवं रचनात्मक होने पर पर ही वह जीवनी कह लायेगी अन्यथा वह इतिहास के दस्तावेज बनेगी।
6. जीवनी में नायक के जीवन में घटित छोटी से छोटी घटना का वर्णन किया जाता है।
7. जीवनीकार को आवश्यकता बातों को छोड़ना नहीं चाहिए एवं अनावश्यक बातों को लेना नहीं चाहिए।
8. जीवनीकार को तथ्यों की प्रमाणिक जानकारी होनी चाहिए।
जीवनी के अनेक भेद या प्रकार
जीवनी के अनेक विद्वानों द्वारा अनेक प्रकार बताएं गए है इसमें किसी भेद या प्रकार निम्न है:-
2. लोकप्रिय जीवनी,
3. ऐतिहासिक जीवनी,
4. मनोवैज्ञानिक जीवनी,
5. व्यक्तिगत जीवनी,
6. कलात्मक जीवनी,
7. व्यंजनत्मक जीवनी इत्यादि
जीवनी में शामिल करने योग्य तत्व
एक अच्छी जीवनी लिखने के लिए उसमें निम्नलिखित आवश्यक तत्वों का होना आवश्यक हैं:-
1. नाम, तिथि व आपका जन्म स्थान : एक छोटे वाक्य में अपना परिचय देते हुए, जन्म की तारीख और जन्म स्थान संबंधी आवश्यक जानकारी दी जाती है जिसे पाठक को आपसे जुड़ सकें।
2. आपका काम तथा आपकी वर्तमान स्थिति : आप कहा काम करते थे या कहा काम कर रहे है की जानकारी जीवनी में दी जाती हैं। साथ ही आपके काम के साथ- साथ आपकी पसंद, आपके विचार आदि भी समाहित कर सकते है।
3. आपका लक्ष्य : अपने जीवन का क्या लक्ष्य है और आप इसे पूरा करने में कितने सफल हुए हो की जनकारी भी आप पाठकों के साथ साझा कर सकते है।
4. आपके जीवन की उपलब्धियाँ व चुनौतियाँ : आपके जीवन में जो भी उपलब्धियाँ या सफलताएं हासिल की है उसकी जानकारी भी आपके बारे में पाठकों को पता होनी चाहिए।
उपलब्धियों के साथ-साथ ही आपके जीवन में जो चुनौतियां आई या जिनसे आप गुजरे हो उनका जिक्र भी आपकी जीवनी में करना चहिए।
5. जीवन में घटित कहानियाँ : आपके जीवन से जुड़ी कहानियों को जीवनी में सामिल कर सकते हो, जिससे जीवनी और अधिक मनोरंजक बन सके।
6. संपर्क जानकारी : आपसे संपर्क करने के लिए आपकी संपर्क जानकारी होना चहिए, जिसमे अपना ईमेल पता, अपनी वेबसाइट हो तो या सोशल साइट की जानकारी दे सकते हैं।
जीवनी लिखने का उद्देश्य
किसी भी जीवनी लिखने का मुख्य उद्देश्य होता है कि जिसकी जीवनी लिखी जा रही है उसे विशिष्ट मनुष्यों के रूप में देखा और परखा जाए। क्योंकि हरएक व्यक्ति में कुछ न कुछ अपनी विशेषता होती है। इन विशेषताओं को ही प्रकट करना किसी भी जीवनी का मुख्य उद्देश्य होता है।
जीवनी और आत्मकथा में अंतर
जीवनी और आत्मकथा में प्रमुख अंतर निम्न है:-
S.No.
जीवनी (Jivani)
आत्मकथा (Aatmakat)
1
जीवनी किसी दूसरे के द्वारा ही लिखी जाती है।
आत्मकथा लेखक स्वयं लिखता है।
2
जीवनी किसी महापुरुष की ही लिखी जाती है।
आत्मकथा किसी की भी लिखी जा सकती है।
3
जीवनी अधिकांशतः अनुमानित होती हैं।
आत्मकथा सत्य होती है।
4
जीवनी वर्णनात्मक शैली में लिखी जाती है।
आत्मकथा कथात्मक में लिखी जाती है।
5
जीवनी को प्रमाणिकता की आवश्यक होती है।
आत्मकथा की प्रमाणिकता आवश्यक नहीं होती है
6
जीवनी में लेखक स्वयं के विचार व्यक्त नही करता है जबकि जिसकी जीवनी है उसके विचार समाहित रहते है।
आत्मकथा में लेखक स्वयं के विचार व्यक्त करता है
7
उदाहरण:-
आवारा मसीहा- विष्णु प्रभाकर,
कलम का सिपाही- अमृत रॉय
उदाहरण:-
क्या भूलूं क्या याद करूं- हरिवंश राय बच्चन,
कुछ आप बीती कुछ जग बीती- भारतेंदु हरिश्चंद
हिन्दी के प्रमुख जीवनीकार एवं उनकी जीवनियाँ
S.No.
जीवनी लेखक
जीवनियाँ
1
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
बादशाह दर्पण, पंच पवित्रात्मा
2
रामविलास शर्मा
निराला की साहित्य साधना
3
अमृतराय
कलम का सिपाही (1962)
4
शान्ति जोशी
पन्त की जीवनी
5
विष्णु प्रभाकर
आवारा मसीहा (1974)
6
भगवती प्रसाद सिंह
मनीषी की लोकयात्रा
7
घनश्याम दास बिड़ला
बापू (1940), मेरे जीवन में गाँधी जी (1975)
8
काका कालेलकर
बापू की झाँकियाँ (1948)
9
सुमंगल प्रकाश
बापू के कदमों में (1950)
10
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
चम्पारन में महात्मा गांधी (1919), बापू के कदमों में (1950)
11
रतनलाल बंसल
अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद (1946)
12
द्वारका प्रसाद शर्मा
भीष्म पितामह (1940)
13
जीवनलाल प्रेम
गुरु गोविन्द सिंह (1945)
14
चन्द्रबली त्रिपाठी
धर्मराज युधिष्ठिर
15
शिवरानी देवी (मुंशी प्रेमचन्द की पत्नी)
प्रेमचन्द घर में (1949)
16
मदनगोपाल
कलम का मजदूर (1965)
17
गंगाप्रसाद पाण्डेय
महाप्राण निराला
18
प्रतिभा अग्रवाल
प्यारे हरिश्चन्द्रजू (1997)
19
सुलोचना रांगेय राघव
रांगेय राघव : एक-अंतरंग परिचय (1997)
20
मदनमोहन ठाकौर
'राजेन्द्र यादव-मार्फत मदनमोहन ठाकौर' (1999)
21
बिन्दु अग्रवाल
स्मृति के झरोखे में (1999) (भारत भूषण अग्रवाल के जीवन पर आधारित)
22
महिमा मेहता
उत्संव पुरुष : नरेश मेहता (2003)
23
कुमुद नागर
वटवृक्ष की छाया में (2004) (अमृतलाल नागर के जीवन पर आधारित)
24
जैनेन्द्र कुमार
अकाल पुरुष गांधी (1968)
25
शान्ति जोशी
सुमित्रानन्दन पन्त : जीवन और साहित्य
26
जगदीश चन्द्र माथुर
जिन्होंने जीना जाना (1954) (इसमें 12 प्रसिद्ध व्यक्तियों-सात साहित्यकारों, दो राज-नेताओं, एक विचारक, एक कलाकार और एक अभिनेत्री का जीवन चरित्र प्रस्तुत किया गया है)
27
नाभादास
भक्तमाल (1585)
28
गोसाईं गोकुलनाथ
चौरासी वैष्णवन की वार्ता, दो सौ वैष्णवन की वार्ता
29
गोपाल शर्मा शास्त्री
दयानन्द दिग्विजय (1881)
30
रमाशंकर व्यास
नेपोलियन बोनापार्ट का जीवन चरित्र (1883)
31
कार्तिक प्रसाद खत्री
महाराज विक्रमादित्य (1883), अहिल्याबाई (1887), छत्रपति शिवाजी का जीवन चरित्र (1890), मीराबाई का जीवन चरित्र (1893)
32
राधाकृष्णदास
श्री नागरीदास जी का जीवन चरित्र (1894), कविवर बिहारीलाल (1895), सूरदास (1900), भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्र (1904)
33
सम्पूर्णानन्द
महाराज छत्रसाल (1916), चेतसिंह और काशी का विद्रोह (1919), महादजी सिन्धिया (1920), सम्राट हर्षवर्द्धन (1920), सम्राट अशोक (1924), धर्मवीर गांधी (1914)
34
मन्मथनाथ गुप्त
चन्द्रशेखर आजाद (1938), गुरुनानक (1938)
35
महावीर प्रसाद द्विवेदी
प्राचीन पण्डित और कवि (1918), सुकवि संकीर्तन (1924), चरितचर्चा (1929)
36
गौरीशंकर हीराचन्द ओझा
कर्नल जेम्स टॉड (1902)
37
बालमुकुन्द गुप्त
प्रतापनारायण मिश्र (1907)
38
बाबू श्यामसुन्दर दास
हिन्दी कोविद रत्नमाला (प्रथम भाग-1909, द्वितीय भाग-1914), हिन्दी के चालीस साहित्यकारों की जीवनियाँ
39
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
बाबू राधाकृष्ण दास (1913)
40
बनारसीदास चतुर्वेदी
कविरत्न सत्यनारायण जी की जीवनी (1926)
41
गणेश शंकर विद्यार्थी
श्री गांधी (1931)
42
सीताराम चतुर्वेदी
महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय (1937)
43
शिवरानी देवी
प्रेमचन्द घर में (1949)
44
छविनाथ पाण्डेय
नेताजी सुभाष (1946)
45
शिव प्रसाद सिंह
उत्तरयोगी : श्री अरविन्द (1972)
46
विष्णु चन्द्र शर्मा
अग्निसेतु (1954) (बांग्ला के विद्रोही कवि नजरुल इस्लाम के जीवन पर आधारित), समय साम्यवादी (1997) (राहुल सांकृत्यायन के जीवन पर आधारित)
47
शोभाकान्त
बाबूजी (1991) (नागार्जुन के जीवन पर आधारित)
48
तेज बहादुर चौधरी
मेरे बड़े भाई शमशेरजी (1995)
49
कमला सांकृत्यायन
महामानव महापण्डित (1955) (राहुल सांकृत्यायन के जीवन पर आधारित)
50
इन्द्र वाचस्पति
जवाहर लाल नेररू (1933 ई.)
Jivani FAQ :-
प्रश्न: 2. हिंदी में जीवनी साहित्य का आरंभ किस युग में हुआ?
उत्तर: भारतेंदु युग
प्रश्न: 3. 'कलम का सिपाही' में लेखक ने किसके जीवन का परिचय दिया है?
उत्तर: प्रेमचंद
प्रश्न: 4. 'आवारा मसीहा'किसके जीवन से संबंधित है?
उत्तर: शरतचंद्र
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