रेखाचित्र का अर्थ : ‘रेखाचित्र’ शब्द अंग्रेजी के 'स्कैच' शब्द का हिन्दी रूपान्तर है। जैसे ‘स्कैच’ में रेखाओं के माध्यम से किसी व्यक्ति या वस्तु का चित्र प्रस्तुत किया जाता है, ठीक वैसे ही शब्द रेखाओं के माध्यम से किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को उसके समग्र रूप में पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है। ये व्यक्तित्व प्रायः वे होते हैं जिनसे लेखक किसी न किसी रूप में प्रभावित रहा हो या जिनसे लेखक की घनिष्ठता अथवा समीपता हो।
लेखाचित्र का जनक: कुछ विद्वान् का मानना है कि पद्मसिंह शर्मा ही रेखाचित्र विधा का जनक हैं, परन्तु इस विधा में लेखन के नाम से इस विधा में लेखन प्रारम्भ करने का श्रेय श्रीराम शर्मा को है।
रेखाचित्र की परिभाषा
रेखाचित्र का परिभाषित करने के लिए अनेक विद्वानों ने अपने मत दिये है, उन विद्वानों में कुछ के मत निम्नानुसार है:-
1. जय किशन प्रसाद खंडेलवाल के अनुसार, “गद्य का वह रूप जिसमें भाषा के द्वारा किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना का चित्रण या मानसिक प्रत्यक्षिकरण किया जाता है रेखाचित्र कहलाता है।"
2. मैथिलीशरण गुप्त के अनुसार, “लोग माटी की मूरतें बनाकर सोने के भाव बेचते हैं पर बेनिपुरी जी सोने की मूरतें बनाकर माटी के भाव बेचतें हैं।"
3. डॉ. नगेन्द्र के अनुसार, "ऐसी किसी भी रचना को रेखाचित्र की संज्ञा देने के लिए उद्यत हैं जिसमें तथ्यों का उद्घाटन मात्र हो। उनके अनुसार तथ्यों का मात्र उद्घाटन रेखाचित्र है।"
4. डॉ. विनय मोहन शर्मा के अनुसार रेखाचित्र की परिभाषा, "व्यक्ति घटना या दश्य के अंकन को रेखाचित्र की संज्ञा दी जा सकती है।" डॉ.भगीरथ मिश्र रेखाचित्र के लिए व्यक्ति का आलंबन ही स्वीकारते हैं, घटना या वातावरण का चित्रण उसकी सीमा के अंतर्गत नहीं आता।"
5. डॉ. गोविन्द त्रिगुणायत के अनुसार, "रेखाचित्र वस्तु, व्यक्ति अथवा घटना का शब्दों द्वारा विनिर्मित वह मर्मस्पर्शी और भावमय रूप विधान है, जिसमें कलाकार का संवेदनशील हृदय और उसकी सूक्ष्म पर्यवेक्षण दृष्टि अपना निजीपन उड़ेलकर प्राण प्रतिष्ठा कर देती है।"
उक्त मतानुसार यह हम कह सकते है कि रेखाचित्र किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना अथवा भाव का शाब्दिक रेखाओं में माध्यम से मर्म-स्पर्शी, भावपूर्ण एवं सजीव अंकन है।
रेखाचित्र का उद्भव एवं विकास
रेखाचित्र का उद्भव शताब्दी के तीसरे दशक से प्रारम्भ हुआ है। डॉ. हरवंशलाल शर्मा ने पण्डित पद्मसिंह शर्मा को संस्मरण व रेखाचित्र दोनों का जनक माना है। पद्मसिंह शर्मा कृत 'पद्मपराग' हिन्दी का प्रथम रेखाचित्र संग्रह है। इसमें संस्मरणात्मक निबन्धों तथा रेखाचित्रों का संकलन है।
बालमुकुन्द गुप्त जी ने प्रतापनारायण मिश्र पर एक संस्मरण लिखा है। इसी प्रकार आचार्य रामदेव ने स्वामी श्रद्धानन्द पर वर्ष 1929 में तथा पण्डित बनारसी दास चतुर्वेदी ने श्रीधर पाठक पर संस्मरण लिखे हैं। हिन्दी रेखाचित्र साहित्य में महादेवी वर्मा का नाम सर्वप्रथम उल्लेखनीय है। महादेवी वर्मा उत्कृष्ट रेखाचित्रकार हैं। इनके स्मृति चित्रों को रेखाचित्र व संस्मरण दोनों में ही स्थान दिया जाता है। वर्ष 1947 में 'स्मृति की रेखाएँ' प्रकाशित हुआ। इसमें संस्मरण व रेखाचित्र दोनों हैं जिनमें भक्तिजन, चीनी फेरेवाला, जंगबहादुर, नुन्नू, ठकुरी बाबा, बिबिया आदि उल्लेखनीय हैं। वर्ष 1941 में अतीत के चलचित्र प्रकाशित हुआ। प्रकाशचन्द्र गुप्त भी रेखाचित्र व संस्मरण दोनों विधाओं में योगदान देने वाले लेखकों में ऊँचा स्थान रखते हैं। इनके स्मृतिचित्र 'पुरानी स्मृतियाँ' (1947) में संकलित हैं। तथा इसने बाद प्रकाशचंद्र गुप्त, पण्डित श्रीराम शर्मा, बनारसीदास चर्तुवेदी, शिवपूजन सहाय, उपेंद्र अश्क, रामवृक्ष बेनीपुरी, माखनलाल चतुर्वेदी, रामधारी सिंह दिनकर तथा हरिवंशराय बच्चन आदि प्रसिद्ध कवियों ने रेखाचित्र में अपना योगदान दिया।
रेखाचित्र की विशेषता
रेखाचित्र की प्रमुख विशेषताएं निम्न लिखित है:-
3. रेखाचित्र में शब्दों के माध्यम से रेखाएं प्रस्तुत की जाती है।
4. रेखाचित्र का वर्णन शुद्ध और प्रभावशाली होता है जो पाठक के मानस पटल पर एक चित्र के सामान रेखायें खिंच देता है।
5. रेखाचित्र का आधार कोई वस्तु या व्यक्ति होता है।
6. रेखाचित्र में भावात्मक, चित्रात्मक, सांकेतिकता तथा प्रभावोत्पादकता होती है ।
7. रेखाचित्र में रेखाचित्रकार को शब्दों के साथ-साथ संकेत सामर्थ्य से काम लेना चाहिए।
रेखाचित्र और संस्मरण में अन्तर
S.No. | रेखाचित्र (Rekhachitra) | संस्मरण (Sansmaran) |
---|---|---|
1 | रेखाचित्र चित्रण प्रधान होता है क्योंकि इसमें रेखाओं के माध्यम से वर्ण्य विषय का चित्रण किया जाता है | जबकि संस्मरण विवरण प्रधान होता है। |
2 | रेखाचित्र में लेखक तटस्थ रहता है। | जबकि संस्मरण में भावना और अनुभूति का होना जरूरी रहता है। |
3 | रेखाचित्र वास्तविक और काल्पनिक हो सकते है। | जबकि संस्मरण वास्तविक होते है। |
4 | रेखाचित्र को किसी भी साधारण विषय पर लिखा जा सकता है। | जबकि संस्मरण का सम्बन्ध किसी कथा या घटना विशेष से होता है। |
5 | रेखाचित्र में चित्रात्मक शाली अनिवार्य होती है | जबकि संस्मरण में विवणात्मक शैली अनिवार्य होती है |
6 | रेखाचित्र सांकेतिक तथा व्यंजक होता है। | जबकि संस्मरण अमिधामूलक होता है। |
7 | उदाहरण- महादेवी वर्मा – बीबियाँ, मेरा परिवार रामवृक्ष बेनीपुरी – माटी की मुरते, गेहूं और गुलाब | उदाहरण- उपेंद्रनाथ अश्क – मंटो मेरा दुश्मन राहुल सांकृत्यायन – बचपन की स्मृतियां |
रेखाचित्र के तत्व अथवा गुण
रेखाचित्र एक साहित्यिक विधा है, जिसमें अन्य गद्य विधाओं के समान ही तत्व व गुण समाहित है, इसमें समाहित प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-
1. विषयसंबंधी एकात्मकता- रेखाचित्र का वर्ण्य विषय ऐसे एक ही मध्यबिंदू पर केंद्रित होना चाहिए, जिसमें विस्तार की कोई आवश्यकता न हो।शाब्दिक रेखाओं के माध्यम से ऐसे भाव बिंब को उजागर हो, जो पाठक को उस वर्ण्य विषय का साक्षात्कार करवाएं।
2. अंर्तमुखी चारित्रिक विशेषता- रेखाचित्र में बाहय स्वरूप पर न होकर आंतरिक स्वरूप पर आधारित होता है। इसमें वर्ण्य विषय की अंतरिक बिंदुओ पर विश्लेषण कर आपके समझ प्रस्तुत करना होता है।
3. संवेदनशीलता- हिंदी साहित्य में रेखाचित्र के संदर्भ में जीव, प्राण या आत्मा के लिए संवेदना और संवेदनशीलता है। लेखक अपनी अनुभूतियों और भावों को शाब्दिक रेखाओं के मध्यम से व्यक्त करता है।
4. संक्षिप्तता- लेखक द्वारा रेखचित्र में शब्दों को गहनता से लिया जाता है। यहां भावों की तीव्रता व सशक्त रूप को अपनाकर एक संक्षिप्त लेखाचित्र तैयार होता है।
5. विश्वसनीयता- रेखाचित्र में लेखक अपनी अनुभूति के माध्यम से प्रसंगों की विश्वसनीयता की सृष्टि करता है अतः पाठक को यह अनुभव होता है कि वह कोई शब्द चित्र देख रहा हो।
6. प्रतिकात्मकता- इसे रेखाचित्र का शिल्पगत तत्व कहा जा सकता है। वर्ण्य विषय का चित्र प्रस्तुत करने के लिए प्रतिकात्मक रेखाओं अर्थात शब्दों की योजना आवश्यक होती है।
रेखाचित्र के प्रकार
रेखाचित्र के प्रमुख्तः पांच प्रकार माने गये है, जो निम्न है:-
२. संस्मरणात्मक,
३. चरित्रप्रधान,
४. मनोवैज्ञानिक
५. व्यंग्यात्मक आदि ।
हिंदी के प्रमुख रेखाचित्र और रेखाचित्रकार
S.No.
रेखाचित्रकार
रेखाचित्र
1
महादेवी वर्मा
(1) अतीत के चलचित्र (1941), (2) स्मृति की रेखाएं (1943), (3) मेरा परिवार (1972)
2
श्रीराम शर्मा
बोलती प्रतिमा (1937)
3
रामवृक्ष बेनीपुरी
(1) माटी की मूरतें (1946), (2) गेहूँ और गुलाब (1950), (3) लाल तारा (1938), (4) मील के पत्थर
4
प्रकाशचन्द्र गुप्त
(1) रेखाचित्र (1940), (2) मिट्टी के पुतलें, (3) पुरानी स्मृतियाँ नये स्केच ।
5
प्रेमनारायण टण्डन
रेखाचित्र (1959)
6
डॉ० नगेन्द्र
चेतना के बिम्ब (1967)
7
बनारसीदास चतुर्वेदी
(1) रेखाचित्र (1952), (2) सेतुबन्ध (1952)।
8
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी (1907 ई.)
अशोक के फूल (वर्ष 1948), विचार और हजारीप्रसाद द्विवेदी वितर्क (वर्ष 1957), विचार प्रवाह (वर्ष 1959), आलोक्न पर्व (वर्ष 1972), कल्पलता (वर्ष 1951), कुटज (वर्ष 1964)
9
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर
(1) माटी हो गई सोना, (2) दीप जले शंख बजे (1959)
10
विनय मोहन शर्मा
रेखा और रंग (1955)
11
सेठ गोविन्ददास
चेहरे जाने पहचाने (1966)
12
देवेन्द्र सत्यार्थी
रेखाएँ बोल उठी (1949)
13
उपेन्द्र नाथ अश्क
रेखाएँ और चित्र (1955)
14
विष्णु प्रभाकर
कुछ शब्द : कुछ रेखाएँ (1965)
15
कृष्णा सोबती
हम हशमत (1977, भाग -1 )
16
भीमसेन त्यागी
आदमी से आदमी तक (1982)
17
सत्यवती मल्लिक
अमिट रेखाएँ (1951)
18
जगदीश चन्द्र माथुर
दस तस्वीरें (1963)
19
माखनलाल चतुर्वेदी
समय के पाँव (1962)
20
राम विलास शर्मा
विराम चिन्ह (1985)
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