आकाशदीप कहानी - जयशंकर प्रसाद

हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में प्रसाद जी की बहुमुखी देन है, क्योंकि इन्होंने काव्य, उपन्यास, कहानी, नाटक, निबन्ध, चम्पू आदि सभी विधाओं पर सबल और सशक्त रूप में लेखनी चलाई। 'कहानी' के क्षेत्र में प्रसाद जी का स्थान अत्यन्त गौरवपूर्ण है। 

    जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय 

    नाम - महाकवि जयशंकर प्रसाद

    जन्म - 30 जनवरी, 1889 ई. (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)

    मृत्यु - 15 नवम्बर, सन् 1937 (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)

    अभिभावक - देवीप्रसाद साहु

    कर्म क्षेत्र - उपन्यासकार, नाटककार, कवि

    भाषा - हिंदी, ब्रजभाषा, खड़ी बोली

    मुख्य रचनाएँ - चित्राधार, कामायनी, झरना, अजातशत्रु, आँसू, लहर, आकाशदीप, आँधी, एक घूँट, विशाख, ध्रुवस्वामिनी, तितली और कंकाल आदि। 

    Aakashdeep Kahani - Jaishankar Prasad

    आकाशदीप कहानी का विषय 

    • जल दस्यु के जीवन की कथा 
    • आकाशदीप प्रतीक के रूप में चित्रित हुआ है।
    • नारी के अंतर्द्वद मनोदशा का चित्रण।
    • प्रेम और घृणा का चित्रण।
    • कर्तव्य निष्ठा नारी का चित्रण 
    • प्रकृति चित्रण के द्वारा प्रेम की अभिव्यक्ति

    आकाशदीप कहानी के अंक

    अंक एक - बुद्धगुप्त और चम्पा - बंदी से मुक्त

    अंक दो - नाव के नायक और बुद्धगुप्त में द्वन्द्वयुद्ध, नायक का पराजय और सभी का नये द्वीप की तरफ प्रस्थान 

    अंक तीन - बुद्धगुप्त और चम्पा का आपसी परिचय और इतिहास

    अंक चार - 5 बरस बाद ... चम्पा का 'आकाशदीप' जलाना, अपने माता-पिता को याद कर बुद्धगुप्त से नाराज होना

    अंक पांच - चम्पा का समुद्र-सैर और बुद्धगुप्त से प्रेम

    अंक छ: - बुद्धगुप्त का चम्पा से शादी का और भारत चलने का प्रस्ताव, चम्पा का इंकार

    अंक सात - बुद्धगुप्त का अपने देश की तरफ प्रस्थान और चम्पा का अपनी इच्छा अनुसार चम्पा नगरी में ही रहना

    आकाशदीप कहानी के प्रमुख पात्र 

    बुद्धगुप्त - कहानी का नायक होने के साथ-साथ वीर, साहसी पुरुष भी है, जो 'मणिभद्र' से युद्ध कर चम्पा व स्वयं को आजाद कराता है। 

    चम्पा - इस कहानी की नायिका है। वह एक वीर सेनापति की बहादुर सन्तान है। एक जलदस्यु की बन्दी है। बुद्धगुप्त की आदर्श एवं एकनिष्ठ प्रेमिका है। 

    मणिभद्र - कहानी का खलनायक है, जो चम्पा व बुद्धगुप्त दोनों को बन्दी बना लेता है।

    जया - चंपा की सेविका 

    आकाशदीप कहानी की समीक्षा 

    छायावादी कवि एवं आधुनिक कहानीकार जयशंकर प्रसाद की सर्वाधिक चर्चित कहानियों में 'आकाशदीप' कहानी का नाम लिया जाता है। इस कहानी में कहानीकार ने बड़ी ही सजगता के साथ इतिहास और कल्पना का सुन्दर सामंजस्य बिठाया है। प्रेम और कर्त्तव्य के अन्तर्द्वन्द्व को लेकर लिखी गई यह कहानी कर्त्तव्य भावना का समर्थन करती है। 

    'आकाशदीप' कहानी का कथानक निरन्तर गतिशील बना रहता है। पाठक के मन में बार-बार जिज्ञासा एवं कौतूहल की भावना पनपती रहती है। मणिभद्र ने चम्पा व बुद्धगुप्त दोनों को बन्दी बना लिया था। बन्दी चम्या व बुद्धगुप्त के वार्तालाप के साथ प्रारम्भ हुआ कहानी का कथानक मुक्त होने पर चम्पा और जलदस्यु बुद्धगुप्त के प्रेमालाप में बदल जाता है। पहले तो चम्पा के मन में उसके प्रति घृणा रहती है, क्योंकि वह बुद्धगुप्त को अपने पिता का हत्यारा मानती है, परन्तु बुद्धगुप्त द्वारा मणिभद्र का षड्‌यन्त्र विफल किए जाने की बात सुनकर उसके भीतर बुद्धगुप्त के प्रति घृणा के साथ-साथ प्रेम की भावना उत्पन्न हो जाती है। 

    यहाँ भी उनका विवेक और चातुर्य दोनों के सम्बन्धों को मधुर बनाने में सहायक होता है। बुद्धगुप्त चम्पा से परिणय करना चाहता है। द्वीप के निवासियों के सम्मुख चम्पा और बुद्धगुप्त का विवाह हो जाता है। बुद्धगुप्त चम्पा से भारत लौटने को कहता है, किन्तु वह द्वीपवासियों की सेवा में अपना जीवन लगाना चाहती है। चम्पा कर्त्तव्य के सामने प्रेम का बलिदान कर देती है। इस प्रकार आकाशदीप कहानी की कथावस्तु काल्पनिकता का सहारा लिए हुए है, फिर भी उसमें जिस प्रकार हृदय परिवर्तन दिखाया गया है, वह निश्चित ही सफल कहानी की ओर संकेत करती है। 

    इस कहानी के कथासार से स्पष्ट है कि प्रसाद जी ने प्रेम का अन्तर्द्वन्द्र बहुत गहराई से प्रस्तुत किया है। कहानी की सबसे बड़ी विशेषता है। ऐतिहासिक शैली की, जिसमें स्वाभाविक शैली, प्रभाव शैली, वर्णनों और सम्भाषणों के कारण सौन्दर्य-सृष्टि हुई है। कहानी पूर्णतया यथार्थवादी कही जा सकती है। आरम्भ से ही नाटकीय सौन्दर्य के साथ-साथ कथा भी आगे बढ़ती जाती है।

    जयशंकर प्रसाद एक सफल नाटककार हैं, अतः संवाद लिखने की क्षमता इस कहानी में पूरी शक्ति के साथ उभर कर आई है। नाटकीय सौन्दर्य के सम्मिश्रण से इसकी ऐतिहासिक शैली तो प्रशंसनीय है ही, परन्तु मनोवैज्ञानिकता के सन्निवेश में कथानक में रोचकता और प्रभाव में अत्यधिक वृद्धि हुई है। यही कारण है कि भाव प्रधान कहानियों में 'आकाशदीप' श्रेष्ठ कहानी के रूप में मानी जाती है। 

    'आकाशदीप' कहानी में ऐसे वातावरण का सृजन किया गया है, जिससे पाठक को समाज और राष्ट्र के लिए सर्वस्व त्याग की प्रेरणा मिलती है। बुद्धगुप्त एवं चम्पा के कथनों से पता चलता है कि मानव के मन में बन्धन-मुक्त होने की कितनी तीव्र लालसा होनी चाहिए। आँधी, समुद्री लहरें एवं तेज हवाएँ मानव के जीवन में आने वाली बाधाएँ हैं, लेकिन हमें आशा नहीं छोड़नी चाहिए। 

    'आकाशदीप' कहानी की भाषा पर प्रसाद जी के कवि हृदय का पर्याप्त प्रभाव रहा है। खड़ी बोली का सहज, सरल एवं प्रांजल रूप इसमें साकार हो उठा है। तत्सम शब्दों की प्रचुरता कहानी को शिष्ट भाषा का आयाम प्रदान करती चली गई है। कहीं-कहीं इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग अस्वाभाविक सा लगता है, परन्तु भावों की गति ने उसे अनुभव नहीं होने दिया है। कहानी की भाषा को प्रस्तुत करते समय जिज्ञासा, कौतूहल, रोचकता एवं आकर्षण बनाए रखने में शैली की प्रांजलता सजग रहती है।

    इस कहानी में उद्देश्य को स्पष्ट रूप से उजागर किया गया है। इसका उद्देश्य है - मानव के भीतर विश्वास की भावना जगाना, बिना सोचे-समझे किसी से घृणा न करने, गरीब असहायों की सेवा करने जैसी भावनाओं को जगाना। 'चम्पा' के आचरण द्वारा बुद्धगुप्त के हृदय में दस्यु वृत्ति का त्याग करवाकर लेखक ने अपने उद्देश्य को दर्शाते हुए कहानी के अन्त में कर्त्तव्य के सम्मुख प्रेम की बलि चढ़ा दी है। कर्त्तव्य की भावना को पुष्ट करना इसका प्रमुख उद्देश्य रहा है।

    आकाशदीप कहानी महत्‍वपूर्ण तथ्‍य

    1. 'आकाशदीप' कहानी और कहानी संग्रह दोनों है। 
    2. 'आकाशदीप' कहानी 1928 ई. में प्रकाशित हुआ था तथा 'आकाशदीप' कहानी संग्रह का 1929 ई. प्रकाशित हुआ था। 
    3. इस कहानी में प्रतिशोध और प्रेम भावों के द्वंद्व का चित्रण किया गया है जिसमें अंतिम में प्रेम विजय होती है।
    4. कहानी की नायिका - 'चंपा' और नायक 'बुद्धगुप्त' है। 
    5. कहानी में दो गौण पात्र भी है एक पोतनायक मणिभद्र इस कहानी का खलनायक है और दूसरी जया जो सेविका है तथा जंगल में निवास करती है। 
    6. कहानी का आरंभ दो बंदियों के संवाद से शुरू होता है जो जिनका नाम चंपा और बुधगुप्त है। 
    7. ताम्रलिप्ति बंगाल की खाड़ी में स्थित एक प्राचीन नगर था। विद्वानों का मानना है कि यह वर्तमान तामलुक ही प्राचीन ताम्रलिप्ति था। 

    आकाशदीप कहानी PDF Download

    आकाशदीप कहानी PDF को Download करने के लिए नीचे दिये गये Link पर Click करें - 


    👇👇


    Download Kahani Aakashdeep

    Aakashdeep Kahani MCQ

    आकाशदीप कहानी कहानी से संबंधित MCQs निम्नलिखित हैं - 

    प्रश्‍न 01. आकाशदीप कहानी के कथाकार कौन हैं? 

    1. प्रेमचंद 
    2. प्रसाद 
    3. अज्ञेय 
    4. जैनेंद्र 

    उत्तर: 2. प्रसाद


    प्रश्‍न 02. निम्न में से कौन-सा कहानी का पात्र नहीं है? 

    1. जया 
    2. चम्पा 
    3. शेषभद्र 
    4. मणिभद्र 

    उत्तर: 3. शेषभद्र


    प्रश्‍न 03. प्रसाद की किस कहानी में आदर्शपूर्ण प्रेम का चित्रण किया गया है? 

    1. सालवती 
    2. आकाश दीप 
    3. गुंडा 
    4. पुरस्कार 

    उत्तर: 2. आकाश दीप


    प्रश्‍न 04. आकाशदीप कहानी का प्रकाशन वर्ष हैं? 

    1. 1968 
    2. 1929 
    3. 1980 
    4. 1970 

    उत्तर: 2. 1929


    प्रश्‍न 05. हर्ष चैतन्‍य होकर कौन कहती है - प्रिय नाविक तुम स्वदेश लौट जाओ' 

    1. जया
    2. चंंपा
    3. रश्मि
    4. मणिभद्र 

    उत्तर: 2. चंंपा

    एक टिप्पणी भेजें

    0 टिप्पणियाँ