एक टोकरी भर मिट्टी कहानी - माधवराज सप्रे

माधवराव सप्रे हिन्दी के आरम्भिक कहानीकारों में से एक प्रमुख कहानीकार हैं। ये एक सुप्रसिद्ध अनुवादक तथा हिन्दी के आरम्भिक सम्पादकों में मुख्य स्थान रखने वाले लेखक हैं। उन्हें हिन्दी के प्रथम कहानी लेखक के रूप में भी जाना जाता है। 

उनके द्वारा लिखित कहानी 'एक टोकरी भर मिट्टी' को हिन्दी की पहली कहानी होने का श्रेय प्राप्त है। यह कहानी वर्ष 1901 में सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुई।

    कहानी के प्रमुख पात्र

    वृद्ध विधवा - कहानी की मुख्य पात्र है, जो गरीब तथा अनाथ है। उसकी झोंपड़ी जमींदार के महल के पास है।

    जमींदार - कहानी में शोषित वर्ग का प्रतीक है, जो महल के सामने से झोंपड़ी हटवाना चाहता है, उसे अपने धन पर गर्व है।

    अन्‍य पात्र - वृद्ध विधवा का पुत्र, पतोहू तथा पोती कथा के विकास में सहायक अन्य पात्र हैं, जिनका कहानी में केवल नामोल्लेख हुआ है।

    एक टोकरी भर मिट्टी pdf

    'एक टोकरी भर मिट्टी' कहानी की समीक्षा

    'एक टोकरी भर मिट्टी' माधवराव सप्रे की मौलिक कहानी है। यह कहानी अमीरी तथा गरीबी के वैमनस्य (विषमता) पर आधारित है, जिसमें जमींदार समाज के शोषक वर्ग का प्रतीक है तथा विधवा वृद्ध स्त्री शोषित वर्ग का प्रतीक है। कहानी का कथानक बहुत छोटा है, किन्तु सारगर्भित एवं व्यापक संवेदना से परिपूर्ण है।

    एक जमींदार द्वारा वृद्ध विधवा की झोंपड़ी पर अपना अधिकार कर लेने का वर्णन कहानी में हुआ है। वृद्ध स्त्री द्वारा झोंपड़ी से एक टोकरी भर मिट्टी लेने की प्रार्थना करना, जमींदार द्वारा उस टोकरी को न उठा पाना तथा इस सन्दर्भ में वृद्ध स्त्री का कथन कि "आप से तो एक टोकरी भर मिट्टी नहीं उठाई जाती और इस झोंपड़ी में तो हजारों टोकरियाँ मिट्टी पड़ी है, उनका भार आप जन्म भर कैसे उठा सकेंगे" पूरी कथा को एक नया मोड़ दे देता है। वृद्धा के मर्म वचन को सुनकर जमींदार की आँखें खुल जाती हैं तथा उसे अपने किए गए कार्य पर पछतावा होता है। अन्त में जमींदार वृद्धा से क्षमा माँगते हुए उसकी झोंपड़ी उसे वापस दे देता है। इस प्रकार यह संक्षिप्त कथा बहुत प्रभावी बन गई है। एक छोटे से कथन से जमींदार का हृदय परिवर्तित हो जाता है। कहानी में सभी घटनाएँ सहज एवं स्वाभाविक रूप से घटित होती हैं। इस कहानी में केवल दो ही मुख्य पात्र है-वृद्ध विधवा तथा जमींदार। सम्पूर्ण घटनाक्रम इन्हीं के आसपास घूमता है।

    वृद्ध विधवा निःसहाय तथा सहानुभूति की पात्र है, लेकिन उसका चरित्र दृढ़ है। जमींदार का चरित्र गतिशील है। वह आरम्भ में क्रूर बना रहता है तथा अन्त तक आते-आते उसका हृदय परिवर्तित हो जाता है तथा वह एक सज्जन व्यक्ति बन जाता है। आलोच्य कहानी का परिवेश उस समय की सामन्तवादी व्यवस्था का स्वरूप प्रस्तुत करता है। धनवान की शक्ति और पैसे की ताकत निर्धन को निर्बल बना देती है, परन्तु नैतिकता का बल उसे सम्बल प्रदान करता है। जमींदारी प्रथा तथा समाज में व्याप्त रिश्वतखोरी जैसी बुराइयों को इस कहानी में स्पष्ट रूप से दिखाया गया है। कहानी का उद्देश्य नैतिक आदर्श की स्थापना करना रहा है। हिन्दी की प्रथम कहानी होने के पश्चात् इस कहानी में तीव्र सामाजिक संवेदना है।

    कहानी में जमीदार के अत्याचार को समस्या के रूप में न केवल उठाया गया है, बल्कि उस समस्या का प्रतिकार भी वृद्धा के माध्यम से किया गया है। 'एक टोकरी भर मिट्टी' कहानी में मूल कथा एक टोकरी भर मिट्टी विषय पर ही टिकी है। अतः कहानी का शीर्षक सार्थक है। इस प्रकार हिन्दी की पहली कहानी ही अन्याय के विरुद्ध खड़ी हो सकी, यह हिन्दी कहानी की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।

    एक टोकरी भर मिट्टी कहानी  के महत्‍वपूर्ण तथ्‍य

      1. प्रथम बार छत्तीसगढ़ मित्र पत्रिका में 1901 में प्रकाशित हुई थी । 
      2. यह कहानी बहुत ही छोटी और कर्तव्यनिष्ठ श्रेष्ठ कहानी है। 
      3. एक टोकरी भर मिट्टी कहानी आज के यथार्थ से जुड़ी हुई है। 
      4. यह कहानी वर्ग भेद पर आधारित है। 
      5. इसमें एक गरीब विधवा के शोषण का चित्रण है। 
      6. इस कहानी में अहंकार और स्वार्थ का चित्रण जमीदार के रूप में किया गया है। 
      7. एक गरीब बुजुर्ग महिला द्वारा जमीदार का हृदय परिवर्तन होना कहानी में दिखाया गया
      8. सम्पन्न वर्ग के लोग हमेशा से गरीबों और नाथों का शोषण करते आए हैं जो इस कहानी में भी दिखाया गया है। 
      9. इस कहानी में जमीदार अपने महल को बढ़ाने के लिए अनाथ विधवा की झोपड़ी पर कब्जा करता है। 
      10. अनाथ विधवा का मार्मिक कथा जमीदार की आंखें खोल देता है। 
      11. कहानी ने जमींदार का हृदय परिवर्तन हो जाता है और वह अपने कर्म पर पश्चाताप करते हुए विधवा को झोपड़ी वापस कर देता है। 
      12. कहानी में विधवा का पति पुत्र और पतोहू की मृत्यु उसी झोपड़ी में होती है जिसको जमीदार हड़प लेता है। 
      13. कहानी में विधवा की एकमात्र सहारा उसकी होती होती है।

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    Ek Tokri Bhar Mitti MCQ

    इस कहानी से संबंधित MCQs निम्नलिखित हैं -

    प्रश्‍न 01. "एक टोकरी भर मिट्टी" कहानी के लेखक कौन हैं?

    1. प्रेमचंद
    2. माधवराज सप्रे
    3. रवींद्रनाथ ठाकुर
    4. हजारी प्रसाद द्विवेदी

    उत्तर: 2. माधवराज सप्रे


    प्रश्‍न 02. कहानी "एक टोकरी भर मिट्टी" में मुख्य पात्र कौन है?

    1. एक वृद्ध विधवा महिला
    2. एक युवा लड़का
    3. एक व्यापारी
    4. एक किसान

    उत्तर: 1. एक वृद्ध विधवा महिला


    प्रश्‍न 03. वृद्ध विधवा महिला को टोकरी में भरकर क्या चाहिए था?

    1. लकड़ी
    2. मिट्टी
    3. पानी
    4. चावल

    उत्तर: 2. मिट्टी


    प्रश्‍न 04. वृद्ध विधवा महिला टोकरी में मिट्टी क्यों भरने की कोशिश करती है?

    1. वह अपनी ज़मीन पर बुआई करने के लिए मिट्टी लाना चाहती है
    2. वह किसी को सबक सिखाना चाहती है
    3. वह अपनी कुटिया में मिट्टी डालने के लिए लाती है
    4. वह किसी धार्मिक कार्य के लिए मिट्टी ले जाती है

    उत्तर: 2.वह अपनी कुटिया में मिट्टी डालने के लिए लाती है


    प्रश्‍न 05. कहानी में वृद्ध विधवा महिला की स्थिति क्या दर्शाती है?

    1. सामाजिक उपेक्षा और कठिनाई
    2. खुशी और संतोष
    3. समृद्धि और सफलता
    4. साहस और आत्मविश्वास

    उत्तर: 1. सामाजिक उपेक्षा और कठिनाई


    प्रश्‍न 06. कहानी "एक टोकरी भर मिट्टी" में वृद्ध महिला के पात्र के माध्यम से कौन सा मुख्य संदेश दिया गया है?

    1. समाज की मजबूरियों और व्यक्ति के संघर्ष
    2. परिश्रम के महत्व को रेखांकित करना
    3. धैर्य और साहस की आवश्यकता
    4. आत्मनिर्भरता की सिख

    उत्तर: 1. समाज की मजबूरियों और व्यक्ति के संघर्ष


    प्रश्‍न 07. कहानी में वृद्ध विधवा महिला का समाज से क्या संबंध था?

    1. वह समाज में बहुत सम्मानित थी
    2. वह समाज में उपेक्षित और तिरस्कृत थी
    3. वह समाज में प्रसिद्ध थी
    4. वह समाज में एक शिक्षक के रूप में काम करती थी

    उत्तर: 4. वह समाज में उपेक्षित और तिरस्कृत थी

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