प्रेमचन्द (Premchand) हिन्दी के युग प्रवर्तक रचनाकार हैं। साहित्य के क्षेत्र में इनका योगदान अतुलनीय है। इन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से लोगों को साहित्य से जोड़ने का कार्य किया। उनकी कहानियों में सामाजिक यथार्थ का चित्रण हुआ है तथा ये कहानियाँ समाज को सही मार्ग दिखाती हुई, सन्देश प्रस्तुत करती हैं।
मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय
लेखक का नाम :- मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand)
पूरा नाम :- धनपत राय श्रीवास्तव व अन्य नाम नवाब राय
जन्म :- 31 जुलाई 1880, लमही (वाराणसी)
मृत्यु :- 8 अक्टूबर 1936, वाराणसी
पिता व माता :- मुंशी अजायब लाल और आनन्दी देवी
पत्नी :- शिवरानी देवी
मुख्य रचनाएँ -:
कहानी संग्रह - मानसरोवर (आठ भाग), गुप्तधन (दो भाग)
उपन्यास - निर्मला, सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कर्मभूमि, गबन, गोदान ।
नाटक - कर्बला, संग्राम, प्रेम की वेदी।
निबंध-संग्रह - विविध प्रसंग (तीन खंडों में) कुछ विचार।
संपादन कार्य - माधुरी, हंस, मर्यादा, जागरण ।
- प्रेमचंद की कहानियाँ भारत की संस्कृति एवं ग्रामीण जीवन के विविध रंगों से सराबोर है।
- 'ईदगाह' कहानी उनकी प्रतिनिधि कहानी है, जो मानसरोवर भाग १ में संगृहीत है।
- पात्रः- हामिद, अमीना, महमूद, मोहसिन, नूरे, सम्मी, आबिद, चौधरी कायम अली, फहीमन।
ईदगाह कहानी का उद्देश्य
- कहानी का मूल उद्देश्य बाल मनोविज्ञान को रेखांकित करना है।
- गरीबी और अमीरी को रेखांकित करना है
- इसमें मानवीय संवेदना और जीवनगत मूल्यों के तथ्यों को जोड़ा गया है।
- कहानीकार ने आर्थिक विषमता के साथ-साथ जीवन के आधारभूत यथार्थ को हामिद के माध्यम से व्यक्त किया है।
- हामिद के चरित्र के माध्यम से अभावग्रस्त जीवन के कारण बच्चे का समय से पहले समझदार होना और इच्छाओं का दमन करना दर्शाया गया है।
ईदगाह कहानी के प्रमुख पात्र
हामिद - कहानी का मुख्य पात्र है, जिसकी आयु चार-पाँच वर्ष है। वह तर्कशील तथा तीव्रबुद्धि का बालक है।
अमीना - एक वृद्ध स्त्री तथा हामिद की दादी है। हामिद के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उन्हीं पर है।
अन्य बाल पात्र - महमूद, नूरे, मोहसिन, सम्मी कहानी के अन्य बाल पात्र हैं, जो अपने कथनों के माध्यम से कथा के विकास को गति प्रदान करते हैं।
'ईदगाह' कहानी की समीक्षा
प्रेमचंद हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक थे। 'ईदगाह' इनकी सुप्रसिद्ध कहानी है, जो वर्ष 1933 में प्रकाशित हुई। यह बाल मनोविज्ञान पर आधारित कहानी है, जिसमें मानवीय संवेदना तथा जीवन मूल्यों को जोड़ा गया है।
इंदगाह' कहानी का कथानक मुसलमानों के पवित्र पर्व 'ईद' पर आधारित है। रमजान के रोजों के लम्बे इन्तजार के बाद ईद का दिन आया है और मुहल्ले के सभी बच्चों में विशेष उत्साह है। सभी बच्चों के पास खर्च करने को पैसे हैं, परन्तु अमीना (हामिद की दादी) परेशान है कि वह हामिद को पैसे कैसे दे? बहुत सोच-विचार कर वह तीन पैसे हामिद को देकर भेजती है। 'ईदगाह' जाकर सभी बच्चे अपनी-अपनी पसन्द के खिलौने और मिठाइयाँ खरीदते हैं, लेकिन हामिद के पास कम पैसे हैं, इसलिए वह सोच समझकर उन पैसों से अपनी दादी अमीना के लिए एक चिमटा खरीद लेता है।
जब घर जाने पर अमीना उससे पूछती है कि उसने मेले में क्या लिया तो हामिद उन्हें चिमटा दिखाता है जिस कारण वे क्रोधित होती हैं। हामिद अपराधी भाव से चिमटा लेने का कारण बताता है कि रोटी बनाते समय तुम्हारी उँगलियाँ जल जाती थीं, इसलिए मैंने यह चिमटा ले लिया अब तुम्हारी उँगलियाँ नहीं जलेंगी। यह सुनकर अमीना उसे अपने हृदय से लगा लेती है। यहाँ अमीना बालिका बन जाती है तथा हामिद बूढ़ा हामिद बन जाता है।
आलोच्य कहानी की सबसे बड़ी विशेषता बाल मनोविज्ञान का सूक्ष्म चित्रण करना है, जिसके कई पक्ष कहानी में उभरते हैं। इसका सबसे प्रभावशाली चित्रण कहानी के अन्त में हुआ है। जहाँ प्रेमचन्द दिखाते हैं कि गरीबी और अभाव कैसे बच्चों से बचपन छीन लेते हैं तथा उन्हें बड़ों की तरह व्यवहार करने पर मजबूर कर देते हैं। इस कहानी की संवेदना बाल मनोविज्ञान के रास्ते सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था तक भी पहुँच जाती है।
खिलौनों को लेकर बच्चों के बीच होने वाली बातचीत के माध्यम से प्रेमचन्द ने व्यंग्यात्मक ढंग से भ्रष्टाचार, जातिवाद, न्याय-व्यवस्था के लोक विरोधी रूप पर कड़ा प्रहार किया है। प्रेमचन्द ने इस कहानी में समाज में व्याप्त सामाजिक-आर्थिक असमानता को भी अभिव्यक्त किया है।
'ईदगाह' में नमाज पढ़ते समय जहाँ समानता है, सब बराबर हैं वहीं वास्तविक व्यावहारिक दुनिया में ऐसा नहीं है। इस तथ्य को लेखक ने हामिद और उसके मित्रों की दुनिया के माध्यम से स्पष्ट किया है कि समाज में सिद्धान्त और व्यवहार की दुनिया के बीच एक गहरी खाई है।
प्रस्तुत कहानी का कथानक सरल है, लेकिन इसका विकास बच्चों के आपसी संवादों तथा हँसी-मजाक से किया गया है, जिससे कहानी की रोचकता बढ़ गई है। चिमटे और अन्य खिलौनों की तुलना का प्रसंग बहुत रोचक है, जिसे अदालत के मुकदमे के रूप में चित्रित किया गया है।
इस प्रकार कह सकते हैं कि 'ईदगाह' प्रेमचन्द की एक सर्वश्रेष्ठ कहानी है, जिसमें बाल मनोविज्ञान का सुन्दर चित्रण हुआ है। लेखक ने इस कहानी में समाज की गम्भीर समस्या 'गरीबी' का चित्रण किया है, जिसे पढ़कर समाज तथा पाठक वर्ग भाव-विभोर हो उठता है। अतः कहानी कला की दृष्टि से यह एक उत्कृष्ट कहानी है।
'ईदगाह' कहानी के महत्त्वपूर्ण तथ्य
- मूलतः उर्दू में रचित 'चाँद' पत्रिका में प्रकाशित कहानी।
- मानसरोवर, भाग-1 में संकलित ।
- तीन भागों में विभक्त ।
- ईद समाज में प्रसन्नता और आनंद का सूचक त्योहार, के माध्यम से ग्रामीण मुस्लिम-जीवन का सुंदर चित्रण।
- अभाव एवं संघर्ष किस प्रकार बच्चों को समय से पहले ही समझदार बना देते हैं-इसकी सशक्त प्रस्तुति है 'ईदगाह'।
- चिमटे के माध्यम से ठोस यथार्थ एवं श्रम के सौंदर्य की अभिव्यक्ति ।
ईदगाह कहानी PDF Download
Idgah Kahani MCQ
"ईदगाह" कहानी से संबंधित MCQs निम्नलिखित हैं -
प्रश्न 01. "ईदगाह" कहानी के मुख्य पात्र कौन हैं?
- हामिद
- मम्मी
- तिवारी जी
- ईदगाह
उत्तर: 1. हामिद
प्रश्न 02. हामिद को किस बात पर गर्व था?
- उसके पास पैसे थे
- वह ईदगाह में अकेला गया
- उसकी नन्ही उम्र में वह अपनी दादी के लिए खिलौना खरीदने जा रहा था
- उसे बहुत सारे दोस्तों का साथ मिला था
उत्तर: 3. उसकी नन्ही उम्र में वह अपनी दादी के लिए खिलौना खरीदने जा रहा था
प्रश्न 03. निम्नलिखित में से कौनसा कहानी संग्रह प्रेमचंद का नहीं है?
- प्रेम पचीसी
- प्रेम द्वादशी
- मुहब्बत की राहें
- सप्त सरोज
उत्तर: 3. मुहब्बत की राहें
प्रश्न 04. कहानी में हामिद के खिलौने के स्थान पर क्या था?
- एक प्यारी सी गुड़िया
- एक लोहे की छड़ी
- एक छोटी सी चिमटी
- एक बर्तन
उत्तर: 3. एक छोटी सी चिमटी
प्रश्न 05. अमीना अपनी कोठरी में बैठी क्यों रो रही थी?
- बेटे की मृत्यु के कारण।
- पड़ोसियों से हुए झगड़े के कारण।
- ईद के दिन घर में अनाज का एक दाना भी न होने के कारण।
- हामिद को अकेला ईदगाह भेजने के कारण।
उत्तर: 3. ईद के दिन घर में अनाज का एक दाना भी न होने के कारण।
प्रश्न 06. हामिद की दादी का नाम क्या था?
- मां
- अमीना
- नसीम
- बेगम
उत्तर: 2. अमीना
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