कानों में कंगना कहानी - राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह

राधिकारमण प्रसाद सिंह हिन्दी साहित्यकार थे। कथा लेखन में उनकी शैली आधिक लुभावनी थी। अतः कथा साहित्य में उन्हें 'शैली सम्राट' के रूप में जाना जाता है। ये अपने समय के सबसे लोकप्रिय कहानीकार थे। इन्होंने 30 वर्षों तक हिन्दी साहित्य की महती सेवा की। 

    राधिकारमण प्रसाद सिंह का जीवन परिचय 

    पूरा नाम - राधिकारमण प्रसाद सिंह

    जन्म - 10 सितम्बर, 1890

    जन्म भूमि - शाहाबाद, बिहार

    मृत्यु 24 मार्च, 1971

    पिता - राजा राजराजेश्वरी सिंह 'प्यारे'

    प्रमुख रचनाएँ 

    उपन्यास - राम-रहीम, पुरुष और नारी, सूरदास , संस्कार, पूरब और पश्चिम, चुंबन और चाँटा।

    लघु उपन्यास - नवजीवन, तरंग, माया मिली न राम, मॉडर्न कौन, सुंदर कौन और अपनी-अपनी नजर, अपनी-अपनी डगर।

    कहानियाँ - गाँधी टोपी, सावनी समाँ, नारी क्या एक पहेली?, हवेली और झोपड़ी, देव और दानव, वे और हम, धर्म और मर्म, तब और अब, अबला क्या ऐसी सबला?, बिखरे मोती (भाग-1)। 

    संस्मरण - सावनी सभा, टूटातारा, सूरदास 

    नाटक - नये रिफारमर या नवीन सुधारक, धर्म की धुरी, अपना पराया और नजर बदली बदल गये नजारे 

    कानों में कंगना कहानी MCQ

    कानों में कंगना कहानी का विषय

    1. स्त्री की सामाजिक स्थिति 
    2. पुरुष की निर्वद प्रवृत्ति 
    3. वासना और प्रेम में अंतर 
    4. प्रकृति के माध्यम से प्रेम उजागर 
    5. स्त्री के प्रेम और समर्पण का चित्रण

     कानों में कंगना कहानी के प्रमुख पात्र 

    हरन - कहानी की नायिका तथा योगीश्वर की पुत्री 

    नरेन्द्र - किरन का पति व कथावाचक

    किरण - नरेंद्र की पत्नी 

    मोहन - नरेंद्र का मित्र 

    योगीश्वर - नरेन्द्र के गुरु तथा किरन के पिता 

    किन्नरी - नाचनेवाली 

    'कानों में कंगना' कहानी की समीक्षा 

    राधिकारमण प्रसाद सिंह द्वारा रचित कहानी 'कानों में कंगना' वर्ष 1913 में इंदु' में प्रकाशित हुई। यह लेखक की एक यादगार रचना है। यह एक मार्मिक कहानी है। यह उन स्थलों का सूक्ष्म वर्णन करती है, जो मनुष्य के विवेक को जाग्रत करते हैं। इस कहानी में वासना और प्रेम के अन्तर को स्पष्ट किया गया है। इस कहानी का प्रारम्भिक अंश अत्यधिक आकर्षक है, किन्तु अन्त बहुत दुःखद है। इस कहानी द्वारा स्त्री की सामाजिक स्थिति स्वतः ही सामने आ जाती है। यह रचना पुरुष की निर्बल प्रवृत्ति और पुरुष के झूठे आकर्षण में डूबे रहने की उसकी कमजोरी पर करारा प्रहार है। 

    इस कहानी की केन्द्रीय पात्र किरण है जो योगीश्वर की पुत्री है। योगीश्वर ने अपनी पुत्री किरन को अपने ही एक शिष्य नरेन्द्र, जो शिक्षा पूर्ण कर चुका था को सौंप दिया था अर्थात् उन दोनों का विवाह कर दिया था। कुछ समय पश्चात् नरेन्द्र एक किन्नरी के चंगुल में फँस गया और उस पर मोहित हो गया। 

    नरेन्द्र अपनी पत्नी के सभी गहने बहाने बना बनाकर ले जाता और उस किन्नरी को दे देता। एक दिन नरेन्द्र का यह राज उसकी पत्नी किरन के सामने खुल गया। किरन दुःख के अथाह सागर में डूब गई तथा बिना कोई शिकायत किए इस दुनिया से चल बसी। इस समय तक नरेन्द्र किरन के सभी गहने उस किन्नरी पर न्यौछावर कर चुका था तथा किरन के पास केवल दो कंगन ही बचे थे, जो उसने पहले-पहले दिन अपने कानों में पहने हुए थे। कहानी के आरम्भमें नगेन्द्र किरण से प्रश्न भी करता है कि तुमने कानों में क्या पहना हुआ है। किरण बताती है कि ये कंगन है। अतः यहाँ 'कानों में कंगना' कहानी का शीर्षक भी सार्थक होता है। 

    किरन के इस दुनिया से जाने के बाद उसके पति नरेन्द्र को होश आया। अब उसका नशा उतर चुका था। आँखों पर पड़ी पट्टी हट चुकी थी, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। किरन का लौटकर वापस आना अब मुमकिन नहीं था। नरेन्द्र के पास अब पछताने के अतिरिक्त और कुछ शेष नहीं बना

    'कानों में कंगना' कहानी के महत्त्वपूर्ण तथ्य

    1. यह कहानी 'इंदु' पत्रिका में 1913 में प्रकाशित हुई थी। 
    2. 'मैं' शैली में यह कहानी लिखी गयी है। 
    3. यह एक मार्मिक कहानी है। 
    4. मनुष्य के विवेक को जागृत करने वाले स्थलों का सूक्ष्म वर्णन करती है। 
    5. वासना और प्रेम में भेद को स्पष्ट किया गया है। 
    6. प्रेम और प्रकृति के समन्वित रूप का चित्रण।
    7. स्त्री की सामाजिक स्थिति का वर्णन। 
    8. सामंती समाज में पुरुषों की निर्बद्ध प्रकृति का चित्रण। 
    9. प्रेम और वासना में अंतर (पत्नी और वेश्या के माध्यम से)। 
    10. कानों में कंगना का प्रारंभ बेहद आकर्षक है और अंत दुखद । 

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    Kanon Mein Kangana Kahani MCQ

    कानों में कंगना कहानी से संबंधित MCQs निम्नलिखित हैं -

    प्रश्न 1. 'कानों में कंगना कहानी के रचनाकार कौन हैं ? 

    1. मुंशी प्रेमचंद 
    2. चंद्रधर शर्मा गुलेरी 
    3. भीष्म साहनी 
    4. राधिकारमण प्रसाद सिंह

    उत्तर: 4. राधिकारमण प्रसाद सिंह


    प्रश्न 2. 'कानों में कंगना' कहानी का नायक कौन है? 

    1. योगीश्वर 
    2. नरेन्द्र
    3. किरण 
    4. कोई नहीं 

    उत्तर: 2. नरेन्द्र


    प्रश्न 3. इनमें से कौन-सा पात्र कानों में कंगना कहानी का नहीं है ? 

    1. गोधन 
    2. योगीश्वर 
    3. नरेन्द्र 
    4. किरण

    उत्तर: 1. गोधन


    प्रश्न 4. प्रस्तुत कहानी में किस वन का वर्णन हुआ है ? 

    1. सुन्दरवन 
    2. ऋषिकेष 
    3. सतपुड़ा 
    4. हृषिकेष

    उत्तर: 4. हृषिकेष


    प्रश्न 5. 'कानों में कंगना' कहानी की नायिका कौन है ? 

    1. मालती 
    2. किरण 
    3. मुन्नी 
    4. चुन्नी 

    उत्तर: 2. किरण 


    प्रश्न 6. वासना और प्रेम में भेद को स्पष्ट करने वाली कौन-सी कहानी मानी जाती हैं ? 

    1. उसने कहा था 
    2. पूस की रात 
    3. उसने कहा था 
    4. कानों में कंगना
    उत्तर: 4. कानों में कंगना


    प्रश्न 7. 'कानों में कंगना' कहानी सर्वप्रथम किस पत्रिका में प्रकाशित हुआ? 

    1. इंदु 
    2. सरस्वती 
    3. हंस 
    4. मलवाला

    उत्तर: 1. इंदु


    प्रश्न 8. 'कानों में कंगना' कहानी का प्रकाशन कब हुआ 

    1. 1911 
    2. 1912 
    3. 1913 
    4. 1914 

    उत्तर: 3. 1913


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