चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' प्रेमचन्द पूर्व युग के विशिष्ट कहानीकार हैं। कहानी को साहित्य की एक सशक्त एवं सफल विधा के रूप में प्रतिष्ठित करने में उनका आधारभूत योगदान है। गुलेरी जी ने कुछ ही कहानियाँ लिखीं, जिनमें प्रमुख हैं- 'सुखमय जीवन', 'बुद्ध का काँटा' और 'उसने कहा था'।
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का जीवन परिचय
जन्म - 7 जुलाई, 1883
जन्म स्थान - जयपुर (राजस्थान)
निधन - 12 सितम्बर, 1922
मूल निवास - गुलेर गाँव, हिमाचल प्रदेश
पिता - पं. शिवराम शास्त्री
माता - लक्ष्मीदेवी
साहित्यिक रचनाएँ -
- संपादन - मर्यादा, समालोचक, नागरी प्रचारिणी सभा
- निबंध - कछुआ धर्म, देवकुल, आँख, पुरानी हिंदी आदि।
- कविताएँ - भारत की जय,एशिया की विजय दशमी, झुकी कमान, स्वागत आदि।
- कहानी संग्रह - उसने कहा था, सुखमय जीवन, बुद्धु का काँटा।
उसने कहा था कहानी के प्रमुख पात्र
लहना सिंह - कहानी का प्रमुख पात्र है, जो सेना का एक वीर सिपाही है, साथ ही वह वचनबद्ध व्यक्ति है। अपनी वचनबद्धता का प्रमाण वह अपने प्राणों को त्याग कर देता है।
सूबेदारनी - कहानी की नायिका है। वह लहना सिंह की बचपन की प्रेयसी तथा सूबेदार वजीरा सिंह की पत्नी है।
वजीरा सिंह - सूबेदार है तथा सूबेदारनी का पति है।
बोधा सिंह - सूबेदारनी तथा सूबेदार वजीरा सिंह का बेटा है।
कीरत सिंह - लहना सिंह का मित्र है।
'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा
'उसने कहा था' प्रेमचन्द पूर्व हिन्दी कहानी की चरम उपलब्धि है। चन्द्रधर शर्मा गुलेरी ने 'उसने कहा था' कहानी की रचना कर न केवल हिन्दी कहानी, अपितु विश्व कथा साहित्य को समृद्ध किया है। वास्तविकता यह है कि उनकी प्रसिद्धि भी 'उसने कहा था' कहानी के द्वारा ही हुई।
'उसने कहा था' कहानी के आरम्भ में अमृतसर के चौक की एक दुकान पर बारह वर्ष का एक लड़का और आठ वर्ष की लड़की अकस्मात् मिलते हैं। दोनों एक-दूसरे से परिचित होने के बाद लड़का (लहना सिंह) लड़की से रोज पूछता है कि क्या तेरी शादी हो गई। वह रोज 'धत' कहकर दौड़ जाती है। उसके एक पक्षीय प्रेम को दर्शाने के बाद कहानी पच्चीस साल के बाद शुरू होती है। इससे कहानी और अधिक रोचक बन जाती है। वह लड़का लहना सिंह अपनी एक पक्षीय प्रेयसी के पति और पुत्र के प्राण बचाने के लिए अपने प्राण देता है। इस कथानक को मर्मस्पर्शी ढंग से लिखकर लेखक ने पाठकों के दिल में स्थायी स्थान प्राप्त कर लिया।
'उसने कहा था' प्रेम, शौर्य और बलिदान की अद्भुत प्रेम कथा है। प्रथम विश्वयुद्ध के समय में लिखी गई यह प्रेम कथा कई मायनों में अप्रतिम है। 'उसने कहा था' कहानी में लेखक ने इसके केन्द्रीय चरित्र लहना सिंह के माध्यम से प्रेम, कर्त्तव्य तथा आत्म बलिदान के पारस्परिक संघर्ष का मर्मस्पर्शी चित्रण किया है। इस कहानी में 'लहना सिंह' अपने बचपन की प्रेमिका (सूबेदारनी) के कहने पर उसके पति (वजीरा सिंह) की रक्षा करते हुए युद्धभूमि में अपने प्राणों का बलिदान कर देता है।
बालपन की यह प्रीति इतना अगाध विश्वास लिए हुए है कि 25 वर्षों के अन्तराल के पश्चात् भी प्रेमिका को यह विश्वास है कि यदि अपने उस प्रेमी से जिसने बचपन में कई बार अपने प्राणों को संकट में डाल कर उसकी जान बचाई है, यदि आँचल पसार कर कुछ माँगेगी तो वह अवश्य मिलेगा और दूसरी ओर प्रेमी का 'उसने कहा था' का मान (प्रतिष्ठा) रखने के लिए प्राण न्योछावर कर वचन निभाना उसके अद्भुत बलिदान और प्रेम पर सर्वस्व अर्पित करने की एक बेमिसाल कहानी है। 'उसने कहा था' का कथा विन्यास अत्यन्त विराट फलक पर किया गया है।
कहानी जीवन के किसी प्रसंग विशेष, समस्या विशेष या चरित्र की किसी एक विशेषता को ही प्रकाशित नहीं करती है, अपितु यह कहानी 'लहना सिंह' के चारित्रिक विकास में उसकी विशेषताओं को प्रकाशित करती हुई उसका सम्पूर्ण जीवन-वृत्त प्रस्तुत करती है।
लहना सिंह, वजीरा सिंह, बोधा सिंह, सूबेदारनी ये चारों पात्र कहानी का सिलसिलेवार ढंग से विकास करते हैं। लहना सिंह जैसे सीधे-सादे सिपाही की प्रत्युत्पन्नमति, कार्य करने की फुर्ती, संकट के समय अपने साथियों का नेतृत्व, जर्मन लपटैन (लैफ्टिनेण्ट) को बातों-बातों में बुद्ध बना कर उसकी असलियत जान लेना, यदि एक ओर इस चरित्र को इस सबसे विकास मिलता है, तो दूसरी ओर पाठक इस रोचक वर्णन में खो-सा जाता है।
भाई कीरत सिंह (लहना सिंह का मित्र) की गोद में सिर रख कर प्राण त्यागने की इच्छा, वजीरा सिंह को कीरत सिंह समझने में लहना सिंह एक त्रासद प्रभाव पाठक को देता है। मृत्यु से पहले का यह सारा दृश्यविधान अत्यन्त मार्मिक बन पड़ा है। वातावरण का अत्यन्त गहरे रंगों में सृजन गुलेरी जी की अपनी विशेषता है। कहानी का प्रारम्भ अमृतसर की भीड़-भरी सड़कों और गहमागहमी (चहल-पहल) से होता है। युद्ध के मोर्चे पर खाली पड़े फौजी घर, युद्ध के पैंतरे इन सबके चित्र अंकित करता हुआ कहानीकार इस स्वाभाविक रूप से वातावरण की सृष्टि करता है कि वह हमारी चेतना, संवेदना का ही अंग बन जाता है।
कहानी पंजाब की गली और बाजार से शुरू होती है, इसलिए कहानी में पंजाबी शब्द अधिक मिलते हैं। कान पकना, राह खोना, अन्धे की उपाधि पाना, मत्था टेकना आदि मुहावरों का प्रयोग किया है। रोजमर्रा की बोलचाल के शब्दों, वाक्यांशों और वाक्यों तथा लोकगीत की कड़ियों का प्रयोग भी कहानी को एक नया रूप देता है जिससे आगे की कहानी, भाषा और शैली का मार्ग भी प्रशस्त होता है।
अन्ततः कहा जा सकता है कि 'उसने कहा था' कहानी का हिन्दी कहानी के इतिहास में विशिष्ट स्थान है। 'उसने कहा था' हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं की ही नहीं, अपितु विश्व कहानी साहित्य की अमूल्य धरोहर है।
उसने कहा था कहानी के महत्त्वपूर्ण तथ्य
- 1915 में प्रकाशित पाँच भागों में विभक्त कहानी।
- प्रथम विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित कहानी।
- युद्ध की विभीषिका के बीच निश्छल पवित्र प्रेम को अभिव्यक्त करने वाली एक कालजयी कहानी।
- लहनासिंह, सूबेदारनी, वजीरासिंह, हजारासिंह और बोधासिंह कहानी के प्रमुख पात्र।
- युद्ध और प्रेम के बीच प्रेम, कर्त्तव्य, देशप्रेम के त्रिकोण को निराले अंदाज में अभिव्यक्त करने वाली कहानी क्योंकि इस त्रिकोण के तीनों कोनों का आधार प्रेम है।
- शीर्षक 'उसने कहा था' में कौतूहल उत्पन्न करने की अद्भुत क्षमता।
- 12 वर्ष के बच्चे (लहनासिंह) की मनःस्थिति की सूक्ष्म अभिव्यक्ति ।
- 12 वर्ष के बच्चे की मनःस्थिति के कुछ सूत्र अधबुने और खुले छोड़ यह कहानी 25 वर्ष बाद सीधी युद्ध के मैदान में खुलती है और वहीं अपने चरमोत्कर्ष को प्राप्त कर समाप्त होती है।
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Usane Kaha Tha Kahani MCQ
उसने कहा था कहानी कहानी से संबंधित MCQs निम्नलिखित हैं -
प्रश्न 01. चन्द्रधर शर्मा गुलेरी 'गुलेरी' क्यों कहलाए?
- गुलेल खेलने के शौकीन होने के कारण।
- गुलेर गाँव के मूल निवासी होने के कारण।
- घर में गूलर के वृक्ष होने के कारण ।
- इनमें से कोई नहीं।
उत्तर: 2. गुलेर गाँव के मूल निवासी होने के कारण
प्रश्न 02. गुलेरी जी ने कुल कितनी कहानियाँ लिखीं?
- दो
- चार
- तीन
- छह
उत्तर: 3. तीन
प्रश्न 03. गुलेरी जी ने निम्नलिखित में से किस मासिक पत्र का संपादन किया?
- हंस
- सुधा
- समालोचक
- तटस्थ
उत्तर: 3. समालोचक
प्रश्न 04. 'उसने कहा था' कहानी कब प्रकाशित हुई?
- 1912
- 1915
- 1917
- 1920
उत्तर: 2. 1915
प्रश्न 05. 'उसने कहा था' कहानी की पृष्ठभूमि किस युद्ध से संबंधित है?
- चीन-जापान युद्ध
- फ्रांस-रूस युद्ध
- भारत-पाकिस्तान युद्ध
- प्रथम विश्वयुद्ध
उत्तर: 4. प्रथम विश्वयुद्ध
प्रश्न 06. 'उसने कहा था' कहानी का नायक कौन है?
- वजीरासिंह
- बोधासिंह
- हजारासिंह
- लहनासिंह
उत्तर: 4. लहनासिंह
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