भीष्म साहनी एक प्रगतिशील कथाकार हैं। इन्होंने कहानियों के साथ ही उपन्यासों और नाटकों की भी रचना की है। उनके द्वारा रचित कहानी 'चीफ की दावत' में मध्यवर्गीय समाज, उसके परिवेश और मानसिकता को वास्तविकता के साथ अभिव्यक्त किया गया है।
भीष्म साहनी का जीवन परिचय
लेखक का नाम :- भीष्म साहनी (Bhisham Sahni)
जन्म :- 8 अगस्त 1915 रावलपिंडी (वर्तमान पाकिस्तान)
मृत्यु :- 11 जुलाई, 2003
पिता व माता का नाम :- श्री हरवंशलाल, श्रीमती लक्ष्मी देवी
भाषा :- हिंदी, अंग्रेजी, रशियन
- उपन्यास -
- तमस
- झरोखे
- मय्यादास की माड़ी
- कुंतो
- नीलू नीलिमा नीलोफ़र
- कड़ियाँ
- नाटक -
- हानूश – वर्ष 1977
- माधवी – वर्ष 1984
- कबीरा खड़ा बाजार में – वर्ष 1985
- मुआवजे – वर्ष 1993
- कहानी-संग्रह - भाग्यरेखा, पहला पाठ, भटकती राख, शोभा यात्रा, निशाचर, पाली आदि।
- बाल-साहित्य - गुलेल का खेल, वापसी।
- आत्मकथा - आज के अतीत
- यात्रा वृतांत - मेरी साहित्य यात्रा
- निबंध - अपनी बात
- आलोचना - भीष्म साहनी सादगी का सौन्दर्यशास्त्र
कहानी के प्रमुख पात्र
शामनाथ - मध्यवर्गीय परिवार का व्यक्ति, जो अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए कुछ भी कर सकता है।
शामनाथ की पत्नी - शामनाथ की पत्नी एक सहायक पात्र के रूप में चित्रित है।
शामनाथ की माँ - शामनाथ की माँ बूढ़ी स्त्री है, जो वात्सल्य की प्रतिमूर्ति है।
चीफ - शामनाथ का बॉस। यह एक विदेशी पात्र है, लेकिन आदर्श-व्यवहार उसके चरित्र का महत्त्वपूर्ण अंग है।
'चीफ की दावत' कहानी की समीक्षा
'चीफ की दावत' कहानी का कथानक सुसंगठित तथा सुव्यवस्थित है। इसका कथानक अत्यन्त संक्षिप्त है। बेटे के साहब घर में डिनर पर आने वाले हैं। घर की व्यवस्था करते हुए अचानक माँ को देखकर दोनों पति-पत्नी चिन्तित हो जाते हैं। माँ चीफ के सामने न आए-इसकी पूरी-पूरी व्यवस्था करने के बाद भी वह अचानक चीफ के सामने आ जाती है और परिस्थितियाँ बदल जाती हैं। जिस माँ को पहले छिपाया जाता है वह चीफ की प्रसन्नता का कारण बन जाती है।
भीष्म साहनी की कहानियाँ प्रायः मध्यवर्गीय पात्रों को लिए हुए हैं। 'चीफ की दावत' कहानी के प्रमुख पात्र भी इसी वर्ग से सम्बन्धित हैं- शामनाथ, उनकी पत्नी तथा उनकी माँ। 'शामनाथ' एक ऐसा पात्र है, जो सामाजिक तथा आर्थिक विडम्बनाओं से जूझ रहा है।
वह स्वयं को आर्थिक दृष्टि से सुव्यवस्थित करने के लिए कुछ भी कर सकता है। चीफ को दावत पर बुलाना तथा उत्कृष्ट कोटि का भोजन खिलाना, प्रमोशन के लिए अवसर पाने की इच्छा उसके (शामनाथ) चरित्र के लालचीपन की ओर संकेत करती है। अपनी इस लौकिक उन्नति की इच्छा की पूर्ति के लिए वह हर बाधा को किसी भी कीमत पर दूर करने के लिए तैयार है।
उन्हें विदेशी चीफ की नजरों में आधुनिक तथा सुसंस्कृत दिखने की अधिक चिन्ता है। आधुनिकता और संस्कृति की तैयारी में एक बाधा तब उपस्थित हो गई, जब शामनाथ का ध्यान अपनी बूढ़ी माँ की ओर गया, जो उसकी नजरों में प्रदर्शन के योग्य नहीं है। वह उन्हें चीफ की नजरों से ओझल करने की सोचता है। पहले माँ को छिपाने की चिन्ता, फिर कुर्सी पर कैसे बैठना, क्या पहनना आदि की कोशिश में जुट जाता है।
'शामनाथ' की एक चारित्रिक विशेषता अपनी झूठी सम्पन्नता के प्रदर्शन की भी है। आधुनिक और सुसंस्कृति के प्रदर्शन की भाँति वह अपनी समृद्धि का भी प्रदर्शन करना चाहता है। वह चीफ व अतिथि के सामने माँ से सोने की चूड़ियाँ पहनने के लिए कहता है, किन्तु माँ द्वारा यह सूचना पाकर कि सारे जेवर उनकी पढ़ाई में बिक गए, शामनाथ तिलमिला जाता है। उसकी तीखी प्रतिक्रिया से माँ के प्रति उसकी अवमानना, कृतघ्नता का पता चलता है। वह माँ की ममता का मूल्य चुकाने की बात कहकर उसके वात्सल्य का भी अपमान करता है।
लेखक ने 'चीफ की दावत' कहानी में वातावरण का बड़ी कुशलता से अंकन किया है। भोजन के पूर्व शराब, जो स्त्री व पुरुष दोनों पीते हैं, मदिरा पान के बाद चीफ और अन्य भोजन के लिए बरामदे में आए तो चीफ के सामने शामनाथ की माँ खर्राटे लेती हई नजर आती है। शामनाथ ने माँ को जगाकर चीफ का स्वागत करने के लिए कहा।
भारतीय परम्परा के अनुसार माँ ने दोनों हाथ जोड़ लिए, किन्तु चीफ ने हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया। शामनाथ ने माँ को आदेश दिया कि साहब से हाथ मिलाए। इतना ही नहीं, चीफ की इच्छानुसार शामनाथ ने माँ से गाने की फरमाइश भी की, किन्तु मना करते हुए भी उन्हें एक पंजाबी लोक गीत गाना पड़ा। माँ की स्थिति तब और भी निरीह हो गई जब उसे बेटे ने आदेश देते हुए कहा कि चीफ को अपनी फुलकारी दिखाए। यहाँ शामनाथ की चिन्ता केवल साहब को खुश करने की थी।
साहब की खुशी पर उसने अपनी बूढ़ी माँ की लाचारी, उसकी विवशता और उसकी कमजोर आँखों को न्योछावर कर दिया। अन्त में माँ अपनी कोठरी में जाकर आँसू बहाने लगी। अचानक कोठरी का दरवाजा खुला तो डरी सहमी माँ ने हरिद्वार जाने की इच्छा व्यक्त की, किन्तु अपनी तरक्की का सपना दिखाकर शामनाथ ने हरिद्वार न जाने एवं फुलकारी बनाने के लिए माँ को तैयार कर लिया। बेटे की तरक्की की आशा में माँ अपना सम्पूर्ण दुःख भूल जाती है। कहानी का अन्त करुण है, पर माँ की ममता को गौरवान्वित कर जाता है।
कहानी का आधार काल्पनिक होता है, लेकिन उसमें वातावरण की सजीवता उसे यथार्थ रूप प्रदान करती है। कहानी के प्रारम्भ में लेखक ने देशगत उपकरणों का चित्रण करते हुए कमरे का सजीव चित्रण किया है।
चीफ की दावत' कहानी में भाषा सहज, सरल और अद्वितीय गहनता लिए हुए है। शब्दों में व्यावहारिकता और भावुकता तो है ही, साथ ही लाक्षणिकता भी है। लेखक ने प्रायः बोलचाल में प्रयुक्त होने वाले अंग्रेजी तथा पंजाबी भाषा के उन सभी शब्दों को यथोचित रूप में अपनाया है. जो प्रायः मध्यवर्गीय हिन्दी भाषी जनता में प्रचलित हैं। सरल, सुबोध और स्वाभाविक वाक्य कहानी की प्रेषणीयता में सहायक सिद्ध हुए हैं।
बदलते हुए मानवीय मूल्यों के सन्दर्भ में चीफ की दावत कहानी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। वस्तुतः आज का मानव खण्डित जीवन जी रहा है। उसकी विडम्बना यह है कि वह न किसी का बन सकता है और न ही किसी को अपना बना सकता है। अतः स्थिति यह हो गई है कि पारिवारिक विघटन के कारण मूल्यों का निरन्तर विघटन होता जा रहा है और शायद स्थिति यह है कि नए मूल्य उनका स्थान नहीं ले पा रहे हैं।
प्रस्तुत कहानी 'चीफ की दावत' उद्देश्यपूर्ण कहानी है। व्यक्ति की मनोगत स्थिति और विकृत चिन्तन को उजागर करना ही कहानीकार का उद्देश्य है और वह इस क्षेत्र में सफल रहा है।
कथा की शैली नई है एवं उसमें संवेदना है। परम्परागत शिल्प का भी अभाव नहीं है। सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक पकड़, आज की सन्तान की मानसिकता, स्वार्थपरता आदि का बहुत प्रभावी चित्रण यहाँ किया गया है। इसमें दिखाया गया है कि आज का बेटा कितना स्वार्थी हो गया है, किन्तु माँ आज भी ममतामयी, स्नेहमयी व वात्सल्यमयी ही है। वह सब कुछ सहते हुए भी बेटे की तरक्की चाहती है और ईश्वर से उसकी दीर्घायु व तरक्की के लिए प्रार्थना करने लगती है। अन्ततः कहा जा सकता है कि 'चीफ की दावत' कहानी जीवन से जुड़े अन्तर्विरोधों से शुरू होती है, जिसमें नए रिश्ते बनते चले आ रहे हैं तथा सामाजिक सम्बन्ध तेजी से टूटते भी हैं।
चीफ की दावत कहानी के महत्वपूर्ण तथ्य
- यह वृद्ध विमर्श पर आधारित कहानी है इस कहानी में युवा पीढ़ी द्वारा वृद्धों की अवहेलना का चित्रण हुआ है।
- पुरातन पीढ़ी के प्रति नयी पीढ़ी की मूल्यहीनता और स्वार्थपरता का चित्रण है।
- 'चीफ की दावत' भीष्म साहनी जी की प्रमुख कहानी है। इस कहानी में उन्होंने मध्यवर्गीय समाज के खोखलेपन और दिखावापन को दर्शाया है।
- इस कहानी में स्वार्थी बेटे शामनाथ को अपनी विधवा बुढ़िया माँ का बलिदान नजर नही आता है, बल्कि उसे लगता है कि यह माँ होने के नाते उसका फर्ज है।
- चीफ की दावत कहानी 1956 ई. में व्यंग्यात्मक शैली में लिखी गई कहानी है, जो 'पहला पाठ' कहानी संग्रह में संकलित है।
चीफ की दावत कहानी PDF Download
चीफ की दावत कहानी PDF को Download करने के लिए नीचे दिये गये Link पर Click करें -
👇👇
Download Kahani Chief Ki Dawat
Chief Ki Dawat MCQ
प्रश्न 01. चीफ की दावत कहानी के रचनाकार कौन हैं?
- मुंशी प्रेमचंद
- अमरकांत
- भीष्म साहनी
- कमलेश्वर
उत्तर: 3. भीष्म साहनी
प्रश्न 02. शामनाथ की माँ कहां जाने की इच्छा प्रकट करती है ?
- प्रयाग
- बनारस
- काशी
- हरिद्वार
उत्तर: 4. हरिद्वार
प्रश्न 03. निम्नलिखित में से कौन-सा कहानी-संग्रह भीष्म साहनी का नहीं है?
- भाग्यरेखा
- वांगचू
- निशाचर
- पाजेब
उत्तर: 4. पाजेब
प्रश्न 04. भीष्म साहनी को वर्ष 1975 में किस पुस्तक के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला?
- तमस
- बसंती
- हानूश
- माधवी
उत्तर: 1. तमस
प्रश्न 05. चीफ की दावत कहानी में किसका वर्णन किया गया है?
- परिवारिक स्थित का
- ग्रामीण संस्कृति का
- ग्रामीण समस्या का
- वृद्ध मां की ममता व महत्ता का
उत्तर: 4. वृद्ध मां की ममता व महत्ता का
प्रश्न 06. चीफ की दावत कहानी का प्रकाशन कब हुआ था?
- 1956 ई०
- 1958 ई०
- 1960 ई0
- 1962 ई0
उत्तर: 1. 1956 ई०
0 टिप्पणियाँ