कोसी का घटवार कहानी - शेखर जोशी

शेखर जोशी हिन्दी की 'नई कहानी' के रचनाकारों में अपना विशेष स्थान रखते हैं। इन्होंने प्रेमचन्द की पारदर्शी, यथार्थवादी परम्परा को आगे बढ़ाया। इन्होंने दबे-पिछड़े संघर्षरत लोगों की जीवन स्थितियों के यथार्थ चित्रण को अपनी कहानियों का विषय बनाया। साहित्य में इनका प्रवेश वास्तव में, 'कोसी का, घटवार' नामक कहानी से हुआ, जो 'कल्पना' नामक पत्रिका में वर्ष 1958 में प्रकाशित हुई। इस कहानी से उनको विशेष ख्याति मिली। 

    शेखर जोशी का जीवन परिचय

    नाम - शेखर जोशी (Shekhar Joshi) 

    जन्म - 10 सितंबर 1932

    जन्म स्थान - ओलिया गांव, अल्मोड़ा जिला, उतराखंड 

    निधन - 4 अक्टूबर, 2022

    साहित्य काल - आधुनिक काल (नई कहानी आंदोलन)

    पुरस्कार एवं सम्मान - साहित्‍य भूषण सम्‍मान, महावीरप्रसाद द्विवेदी पुरस्कार, पहल सम्‍मान और मैथिलीशरण गुप्‍त सम्‍मान आदि। 


    कोसी का घटवार' कहानी की समीक्षा pdf

    कहानी संग्रह

    'कोसी का घटवार' शेखर जोशी की दस कहानियों का एक संकलन है-उस्ताद, कविप्रिया, कोशी का घटवार, बदबू (मार्क्सवाद से प्रभावित) बंद दरवाजे, खुली खिड़कियां, कीं करोमि जनार्दन, खिड़कियां, सुभो दीदी, दाज्यू 

    शेखर जोशी की पहली कहानी 'दाज्यू' 1956 में प्रकाशित हुई। बाद में इसी कहानी को उपेंद्रनाथ अश्क में 1956 में ही संकेत पत्रिका में प्रकाशित किया। 

    जोशी का दूसरा कहानी संग्रह पहले कहानी संग्रह के 20 साल बाद साल 1978 में 'साथ के लोग शीर्षक' से प्रकाशित होता है। 

    कहानी संग्रह- बच्चों का सपना दाज्यू, हलवाहा, नौरंगी बीमार है। 

     कोसी का घटवार कहानी का विषय 

    • यह एक आंचलिक कहानी है 
    • अधूरे प्रेम को दर्शाया गया है 
    • स्त्री की व्यवस्था 
    • अकेलापन, ग्रामीण जीवन का चित्रण

    कोसी का घटवार कहानी के प्रमुख पात्र 

    गुंसाई - कहानी का मुख्य पात्र है, जो एक फौजी था, परन्तु फौज से रिटायर होने के बाद वह गेहूँ पीसने का कार्य करने के कारण घटवार कहलाया। वह लछमा से प्रेम करता है। 

    लछमा - गुंसाई के गाँव की एक स्त्री है जो गुंसाई से प्रेम करती है, परन्तु उसके पिता उसका विवाह रामसिंह फौजी से करवा देते हैं। पति की मृत्यु के बाद कोई उसकी सहायता नहीं करता। 

    लछमा का बेटा - लछमा का एक बेटा है जिसकी आयु छः-सात वर्ष है। पति की मृत्यु के पश्चात् वही लछमा के जीवन का सहारा है। 

    किसन सिंह - गुंसाई की यूनिट का एक सिपाही है जो रामसिंह और लछमा के विवाह के विषय में गुंसाई को बताता है। 

    अन्‍य पात्र - लछमा के जेठ-जेठानी, उसके काका-काकी ये पात्र कहानी के विकास में अपनी भूमिका निभाते हैं।

    'कोसी का घटवार' कहानी की समीक्षा 

    'कोसी का घटवार' बहुचर्चित आँचलिक कहानी है। यह फौजी जवान 'गुंसाई' और 'लछमा' की प्रेम कहानी है, जहाँ सांसारिक अर्थ में प्रेम परास्त होता है। 

    यह कहानी पूर्वदीप्ति (फ्लैश बैक) पद्धति पर आधारित है। 'गुंसाई' अपने जीवन की पूर्व स्मृतियों को याद करता हुआ उनमें खो जाता है। वह 'लछमा' से प्रेम करता है, परन्तु लछमा के पिता उसका विवाह फौजी रामसिंह से कर देते हैं, क्योंकि उसका भरा-पूरा परिवार है, जबकि गुंसाई का परिवार नहीं था। 

    रामसिंह की मृत्यु के पश्चात् लक्ष्मा की कोई सहायता नहीं करता। कहानी में उसकी विवशता तथा आर्थिक कठिनाइयों का भी वर्णन हुआ है। वहीं दूसरी ओर पन्द्रह साल बाद भी फौजी गुंसाई अकेले जीवन व्यतीत करता है तथा दोनों की दुबारा एक उदासीन मुलाकात होती है, जहाँ गुंसाई को लछमा के जीवन तथा परिस्थितियों का पता चलता है वह उसकी सहायता करना चाहता है, किन्तु लछमा सहायता लेने से मना कर देती है। 

    कहानी के अन्त में बच्चे के साथ जाती हुई लछमा को गुंसाई द्वारा यह सलाह देना कि पैसे का जुगाड़ होने पर गंगानाथ देवता की जागर लगाकर भूल-चूक की माफी माँग लेना, ताकि देवता का प्रकोप बच्चे पर न पड़े, यह स्पष्ट करता है कि लछमा के प्रति उसका प्रेम अभी-भी समाप्त नहीं हुआ है, यह उसके प्रेम का ही विस्तार है। कहानी में नायक गुंसाई, नायिका लछमा से विवाह कर उसके जीवन की उदासीनता तथा विवशता को समाप्त कर उसे जीवन्त बना सकता था, लेकिन ऐसा कुछ भी घटित नहीं होता। इस कहानी में शाश्वत समस्याओं को उठाते हुए आँचलिक मूल्य-मान्यताओं की सीमा का भी ध्यान रखा गया है, तभी लछमा और गुंसाई घटवार का पुनर्मिलन इतना नीरस और उद्देश्यहीन होता है। यह कहानी विषयवस्तु के द्वारा अपने व्यवहार से पाठकों में परम्परा और रूढ़ियों के प्रति द्वन्द्व जगाती हुई नवीनता का आग्रह करती है। कहानी में वर्णित प्रेम की असफलता द्वन्द्व की विशिष्टता से सफलता में बदल जाती है।

    कहानी में आर्थिक दबाव भी दिखाई देता है। लछमा की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। अपना जीवन व्यतीत करने के लिए उसे कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। गुंसाई उसकी सहायता करने के लिए अपने आटे के टीन से लछमा के आटे के टीन में आटा मिला देता है ताकि उसे कुछ सहायता मिल सके। इस प्रकार यह कहानी गरीबी तथा उसके प्रति स्वतः उमड़ती हुई गहरी मानवीयता की कहानी है। 

    कहानी के मुख्य पात्र 'गुंसाई' और 'लछमा' हैं। दोनों ही पात्र अपनी अपनी सीमाएँ जानते हैं, इसलिए कहानी में कहीं भी वे सामाजिक मर्यादा का उल्लंघन नहीं करते। साथ ही जीवन की परिस्थितियों से समझौता कर अपना-अपना जीवन व्यतीत करते हैं। अन्य पात्रों में लछमा के पति रामसिंह, उसका बेटा, जेठ-जेठानी, माँ आदि का केवल उल्लेख हुआ है। आलोच्य कहानी का भौगोलिक परिवेश अन्य अंचलों के भौगोलिक परिवेश से भिन्न है। यह कहानी कोसी नदी के तट पर घटित होती है, जहाँ 'गुंसाई' ने पन-चक्की लगाई थी। उस गाँव में काफल का पेड़ और दाड़िम के फूल हैं। इस प्रकार से वह एक प्राकृतिक परिवेश से घिरा हुआ एक छोटा सा गाँव है, जिसे हम मैदानी केन्द्रित गाँवों का प्रतिनिधि मान सकते हैं। 

    प्रस्तुत कहानी में ग्रामीण अंचलों में व्याप्त अन्धविश्वासों का भी चित्रण हुआ है। गुंसाई द्वारा लछमा को देवताओं के प्रकोप से बचाने के लिए जागर लगाने के लिए कहना अन्धविश्वास का प्रतीक है। कसम खाने के बाद पूरी न करने से देवता क्रोधित होते हैं। ऐसे अन्धविश्वास पहाड़ी अँचल में अधिक दिखाई देते हैं। कहानी में अँचल विशेष का वर्णन होने के कारण भाषा भी उस अँचल के अनुरूप प्रयुक्त की गई। प्राकृतिक परिवेश का वर्णन करते समय भाषा पर विशेष बल दिया गया है। नदी तथा पनचक्की की ध्वनियों को स्पष्ट करने के लिए उपयुक्त शब्द चयन को अपनाया गया है, जिससे वर्णन सजीव बन पड़ा है। 

    इस प्रकार कह सकते हैं कि हिन्दी कहानी के इतिहास में 'उसने कहा था' के बाद शेखर जोशी द्वारा रचित कहानी 'कोसी का घटवार' अपनी तरह की अलग और विशेष प्रेम की कहानी है।

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    'कोसी के घटवार' कहानी के प्रमुख तथ्य 

    1. 'कोशी के घटवार' 1957 ई. में यह 'कल्पना' पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। यह कहानी जोशी जी के कहानी संग्रह 'कोशी के घटवार' से ली गई है। 
    2. शेखर जोशी का प्रथम कहानी संग्रह 'कोशी का घटवार' 1958 में प्रकाशित हुआ।
    3. शेखर जोशी 'नई कहानी' आन्दोलन के चर्चित कथाकार थे। 'कोशी का घटवार' इनकी सबसे अधिक लोकप्रिय कहानी है। इस कहानी पर फिल्म भी बनी है। 
    4. 'कोसी के घटवार' कहानी संग्रह में 10 कहानियाँ संकलित है। 'कोसी का घटवार कहानी 6वें नंबर पर है। 
    5. 'कोशी का घटवार' कहानी पहाड़ी परिवेश की कहानी है। इसमें पहाड़ी जीवन की झलक दिखाई देती है। 
    6. यह एक अधूरी प्रेम कहानी है। 'कोशी के घटवार' को चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' की कहानी 'उसने कहा था' के समकक्ष माना जाता है। 
    7. लेखक जोशी जी 'नई कहानी आन्दोलन' से जुड़े हुए थे। इनकी नई कहानियों में यथार्थ की झलक दिखाई देती है। 
    8. यह कहानी 'फ्लैशबैक' शैली पर आधारित आंचलिक कहानी है।
    9. 'घटवार' का अर्थ होता है 'पनचक्की' जो पानी से चलती है।

    Kosi Ka Ghatwar Kahani MCQ

    प्रश्‍न 01. वह पत्रिका, जिसमें 'कोसी का घटवार' कहानी प्रकाशित हुई थी-

    1. कहानी 
    2. चाँद 
    3. हंस 
    4. कल्पना

    उत्तर: 4. कल्पना


    प्रश्‍न 02. कहानी 'कोसी का घटवार' की लछमा का पति है-

    1. रामसिंह 
    2. किसनसिंह 
    3. धरमसिंह 
    4. नरसिंह

    उत्तर: 1. रामसिंह 


    प्रश्‍न 03. कोसी का घटवार कहानी का प्रकाशन वर्ष क्या हैं 

    1. 1956 
    2. 1957 
    3. 1958 
    4. 1955

    उत्तर: 3. 1958


    प्रश्‍न 04. 'कोसी का घटवार' कहानी में लछमा के संदर्भ में आये शब्द 'काला चरेऊ' का क्या अर्थ है? 

    1. सुहाग चिह्न 
    2. बिंदिया 
    3. करधनी 
    4. कंगन

    उत्तर: 1. सुहाग चिह्न


    प्रश्‍न 05. 'कोसी का घटवार' का वह पात्र, जो फौज से रिटायर होने के बाद गेहूँ पीसने का कार्य करने के कारण घटवार कहलाया-

    1. उमेद सिंह 
    2. गुसाई सिंह 
    3. नर सिंह
    4. धरमसिंह 

    उत्तर: 2. गुसाई सिंह


    प्रश्‍न 06. गुसाई कितने वर्ष बाद नौकरी से घर आता है ? 

    1. 10 
    2. 15 
    3. 20 
    4. 25
    उत्तर: 2. 15

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