आषाढ़ का एक दिन नाटक - मोहन राकेश

आषाढ़ का एक दिन (Ashadh Ka Ek Din) मोहन राकेश द्वारा रचित नाटक आषाढ़ का एक दिन की कथा अतीताश्रित है। उसका नायक कालिदास है। इस नाटक की रचना तीन अंकों में की गई है। इसके कथानक का आधार है-कालिदास और मल्लिका की कथा। नाटक के तीनों अंकों में यही कथा विन्यस्त है। विलोम मातुल, प्रियंगुमंजरी आदि कुछ प्रासंगिक कथासूत्र भी इस मुख्य कथा से आ जुड़ते हैं। ये कथा सूत्र इस कथानक को केवल प्रेमकथा पात्र न रहने देकर सामयिक सन्दर्भ से भी जोड़ने में सहायक हैं।

आषाढ़ का एक दिन नाटक - मोहन राकेश


    आषाढ़ का एक दिन नाटक के प्रमुख पात्र

    कालिदास :- नाटक का नायक तथा मल्लिका का प्रेमी है, किन्तु विवाह राजकुमारी प्रियंगुमंजरी में करता है।

    अम्बिका :- मल्लिका की माता।

    मल्लिका :- नाटक की मुख्य स्त्री पात्र, अंबिका की पुत्री तथा कालिदास की प्रेयसी।

    प्रियंगुमंजरी :- उज्जयिनी नरेश की पुत्री व राजकुमारी जिसका विवाह कालिदास से होता है।

    विलोम :- मल्लिका के ग्राम का ही एक पुरुष है, जो उसकी सन्तान का पिता है, जबकि मल्लिका अविवाहित माँ है।

    दंतुल :-  राजगुरु

    मातुल :- कवि-मातुल

    निक्षेप :-  गाँव का पुरुष

    रंगीनी और संगिनी :- दोनों नागरी

    अनुस्वार और अनुनासिक :- दोनों अधिकारी


    आषाढ़ का एक दिन नाटक के अंक

    आषाढ़ का एक दिन नाटक को तीन भागों (अंक) में विभाजित किया जा सकता है:-

    1. प्रथम अंक - कालिदास का उज्जयिनी जाना।
    2. दूसरे अंक - कालिदास का ग्राम में आकर भी मल्लिका से मिलने न आना।
    3. तीसरे अंक - कालिदास का मल्लिका के पास आकर भी वापस लौट जाना।

    नाटक का विषय :- 

    • महाकवि कालिदास के जीवन पर आधारित।
    • समकालीन मानसिकता का वर्णन।
    • आम आदमी के रूप में कालिदास।
    • आधुनिक बोध का उद्घाटन।


    'आषाढ़ का एक दिन' नाटक की समीक्षा

    इस नाटक में कालिदास और मल्लिका के उदात्त प्रेम का चित्रण किया गया है। कालिदास और मल्लिका एक ही गाँव में रहते हैं। दोनों में प्रगाढ़ प्रेम है। कालिदास के काव्य की ख्याति सुनकर उज्जयिनी-नरेश उसे अपना राजकवि बनाना चाहते हैं। कालिदास अनिच्छा व्यक्त करते हैं, परन्तु मल्लिका उसे भेज देती है। वहाँ वे अनेक रचनाओं का सृजन करते हैं। उनका विवाह राजकुमारी प्रियंगुमंजरी से हो जाता है। शासन कार्य में अरुचि होने के कारण वे वहाँ से

    पलायन कर पुन: मल्लिका के पास आ जाते हैं, परन्तु मल्लिका एक अन्य ग्राम पुरुष 'विलोम' के बच्चे की अविवाहित माँ बन चुकी है। कालिदास निराश होकर पुन: चले जाते हैं।

    नाटक की कथा आषाढ़ के पहले दिन से ही प्रारम्भ होती है और पहले दिन पर ही समाप्त हो जाती है, परन्तु तीसरे अंक में आषाढ़ का एक दिन ऐसा नहीं है जैसा प्रथम अंक का है। पहले अंक में आषाढ़ के प्रथम दिवस की धारासार (तेज) वर्षा में भीगी उल्लासित मल्लिका दिखाई देती है, परन्तु तीसरे अंक में उसका वर्षा के प्रति कोई उत्साह दिखाई नहीं देता है।

    इस नाटक के प्रथम अंक की मुख्य घटना है कालिदास का उज्जयिनी जाना, दूसरे अंक की मुख्य घटना है कालिदास का ग्राम में आकर भी मल्लिका से मिलने न आना तथा तीसरे अंक की मुख्य घटना है उसका मल्लिका के पास आकर भी वापस लौट जाना, अर्थात् तीनों अंकों की गतिविधियों का केन्द्र एक ही है, कालिदास तथा मल्लिका। मल्लिका कालिदास की प्रत्येक गतिविधि से प्रभावित होती है।

    विलोम के प्रवेश से कथा में त्रिकोण बनता है, क्योंकि विलोम मल्लिका से प्रेम करता है, जबकि मल्लिका कालिदास के प्रति अनुरक्त हैं कथा का केन्द्र कालिदास होने पर भी विलोम अपने व्यक्तित्व के खरेपन के कारण पाठकों को प्रभावित किए बिना नहीं रहता। विलोम के आगमन से कथा-गति में शीघ्रता आ जाती है। वस्तुतः मोहन राकेश कथा गति की इस तीव्रता के प्रति पर्याप्त सजग रहे हैं, परन्तु तीसरे अंक में गतिशीलता की तीव्रता में कमी आ जाती है। इस अंक में मल्लिका स्वगत कथनों से आत्मलीन रहती है। कालिदास के वक्तव्य लम्बे हैं। यह नाटक का चरम बिन्दु है। मल्लिका को उसके हाल पर छोड़कर कालिदास के चुपचाप चले जाने से नाटक का अन्त होता है, यह अत्यन्त आकस्मिक है। 'आषाढ़ का एक दिन' नाटक का प्रकाशन वर्ष 1958 में हुआ। इसे हिन्दी नाटक के आधुनिक युग का प्रथम नाटक भी कहा जाता है। वर्ष 1959 में इसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ नाटक होने के लिए 'संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।


    आषाढ़ का एक दिन नाटक के महत्वपूर्ण कथन

      1. “सौंदर्य का ऐसा साक्षात्कार मैंने कभी नहीं किया। जैसे वह सौंदर्य अदृश्य होते हुए भी मांसल है। ........... वह क्या है जो भावना का कविता का रूप देती है।", कथन है। - मल्लिका का 
      2.  “मल्लिका का जीवन उसकी अपनी संपत्ति है। वह उसे नष्ट करना चाहती है तो किसी को उस पर आलोचना करने का क्या अधिकार है।", कथन है। - मल्लिका का
      3. “मैं वास्तव में अपनी भावना से प्रेम करती हूँ जो पवित्र है, कोमल है, अनश्वर है......।", कथन है। - मल्लिका का
      4. “तुम जिसे भावना कहती हो। वह केवल छलना और आत्म-प्रवंचना है।", कथन है। - अम्बिका का
      5. “किसी संबंध से बचने के लिए अभाव जितना बड़ा कारण होता है, अभाव की पूर्ति उससे बड़ा कारण बन जाती है।", कथन है। - अम्बिका का
      6. “सम्मान प्राप्त होने पर सम्मान के प्रति प्रकट की गयी उदासीनता व्यक्ति के महत्व को बढ़ा देती है।", कथन है। - अम्बिका का
      7. “विलोम क्या है? एक असफल कालिदास। और कालिदास? एक असफल विलोम । ", कथन है। - विलोम का
      8. “यहाँ से जाकर मैं अपनी भूमि से उखड़ जाऊँगा।”, कथन है। - कालिदास का
      9. “इस भूमि से तुम जो कुछ ग्रहण कर सकते थे, कर चुके हो। तुम्हें आज नयी भूमि की आवश्यकता है, जो तुम्हारे व्यक्तित्व को अधिक पूर्ण बना दे।", कथन है। - मल्लिका का
      10. “व्यक्ति उन्नति करता है, तो उसके नाम के साथ कई तरह के अपवाद जुड़ने लगते हैं।", कथन है। - मल्लिका का
      11. “इस प्रदेश से कालिदास जैसी असाधारण प्रतिभा को जन्म दिया है। यहाँ की तो प्रत्येक वस्तु असाधारण होनी चाहिए।", कथन है। - संगिनी का
      12. “एक दोष-गुणों के समूह में उसी तरह छिप जाता है, जैसे चाँद की किरणों में कलंक।", कथन है। - मल्लिका का
      13. “मैं टूटकर भी अनुभव करती रही कि तुम बन रहे हो। क्योंकि मैं अपने को अपने में न देखकर तुममें देखती थी।", कथन है। - मल्लिका का
      14. “न पहचानना ही स्वाभाविक है, क्योंकि मैं वह व्यक्ति नहीं हूँ जिसे तुम पहले पहचानती रही हो दूसरा व्यक्ति हूँ", कथन है। - कालिदास का
      15. “दृश्य उतना नहीं बदला जितना मेरी दृष्टि बदल गयी है।", कथन है। - कालिदास का
      16. “मैं तुमसे मिलने के लिए नहीं आया, क्योंकि भय था तुम्हारी आँखें मेरे अस्थिर मन को और अस्थिर कर देगी।", कथन है। - कालिदास का मल्लिका से
      17. “अभिज्ञानशाकुन्तल में शकुन्तला के रूप में तुम्हीं मेरे सामने थी।", कथन है। - कालिदास का मल्लिका से 
      18. “रघुवंश में अज का विलाप मेरी ही वेदना की अभिव्यक्ति है।", कथन है। - कालिदास का
      19. “पृष्ठ अब कोरे कहाँ है मल्लिका? इन पर एक महाकाव्य की रचना हो चुकी है ........ अनंत सर्गों में एक महाकाव्य की।", कथन है। - कालिदास का मल्लिका से

    आषाढ़ का एक दिन की समीक्षा pdf

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    Ashadh Ka Ek Din Natak MCQ

    प्रश्‍न 01. आषाढ़ का एक दिन नाटक के लेखक है ?

    1. जगदीशचन्द्र माथुर 
    2. उपेन्द्रनाथ नाथ अश्क 
    3. मोहन राकेश 
    4. विनोद त्यागी 

    उत्तर: 3. मोहन राकेश 


    प्रश्‍न 02. आषाढ़ का एक दिन नाटक का नायक कौन है ?

    1. कालिदास 
    2. मातुल 
    3. विलोम 
    4. दंतुल 

    उत्तर: 1. कालिदास 


    प्रश्‍न 03. उज्जयनी राज्य किसका सम्मान करना चाहता है ?

    1. दंतुल का 
    2. विलोम का 
    3. मल्लिका का 
    4. कालिदास का 

    उत्तर: 4. कालिदास का 


    प्रश्‍न 04. कालिदास किसे अपनी बांहों में झूला रहे थे ?

    1. छोटे बच्चे को 
    2. कुत्ते के बच्चों को 
    3. हिरण शावक को 
    4. खरगोश को 

    उत्तर: 3. हिरण शावक को 


    प्रश्‍न 05. ऋतू संहार के रचनाकार कौन है ?

    1. विलोम 
    2. कालिदास 
    3. प्रियंगुमंजरी 
    4. उपरोक्त में से कोई नहीं 

    उत्तर: 2. कालिदास 


    प्रश्‍न 06. नाटक के प्रथम अंक के अनुसार मल्लिका ने किसका साक्षात्कार कभी नहीं किया था ?

    1. अपने पिता का 
    2. विलोम का 
    3. प्राकृतिक सौन्दर्य का 
    4. राज कर्मचारी का 

    उत्तर: 3. प्राकृतिक सौन्दर्य का 


    प्रश्‍न 07. कालिदास किन सूत्रों से ग्राम - प्रांतर से जुड़ा हुआ है ?

    1. उनमें मल्लिका एक सूत्र है 
    2. आकाश ,मेघ और हरियाली है .
    3. हरिणों के बच्चे और पशुपाल है .
    4. उपयुक्त सभी 

    उत्तर: 4. उपयुक्त सभी 


    प्रश्‍न 08. “तुम जिसे भावना कहती हो वह केवल छलना और आत्म-प्रवंचना है।” यह किसका कथन है ?

    1.  अम्बिका
    2.  मल्लिका
    3.  कालिदास
    4.  विलोम

    उत्तर: 1. अम्बिका


    प्रश्‍न 09.  कालिदास का नाम बदलकर क्या हो गया था ?

    1.  चन्द्रगुप्त
    2.  स्कन्दगुप्त
    3.  मातृगुप्त
    4.  विलोम

    उत्तर: 3. मातृगुप्त


    प्रश्‍न 10. मोहन राकेश किस पत्रिका के संपादक रहे ?

    1. सारिका 
    2. हंस 
    3. ज्ञानोदय 
    4. दिनमान 

    उत्तर: 1़. सारिका