अकाल और उसके बाद कविता | नागार्जुन | सारांश, विश्लेषण व भावार्थ

 "अकाल और उसके बाद" नागार्जुन की प्रसिद्ध कविता है, जिसमें अकाल के बाद की भयानक स्थिति, भूख और पीड़ित जनता की करुणा का चित्रण मिलता है। यहाँ पढ़ें सारांश, विश्लेषण, भावार्थ और कवि परिचय। 

    'अकाल और उसके बाद' कविता का सारांश

    नागार्जुन की प्रस्तुत कविता 'अकाल और उसके बाद' में अकाल का भयंकर चित्र उपस्थित है। इन आठ पंक्तियों में कवि ने गृहस्थ जीवन के सम्पूर्ण अभाव की कहानी व्यक्त कर दी है। आँगन में उठते धुएँ से तात्पर्य है कि खाना पकाया जा रहा है। अकाल पीड़ितों के लिए चूल्हे का जलना एक चमत्कारिक घटना माना जाता है। अन्न की महत्ता को वे ही लोग जान सकते हैं, जिन्होंने अकाल को साक्षात् देखा हो। कवि यहाँ यह भी स्पष्ट करता है कि किसान न केवल मनुष्य के लिए, बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि के लिए महत्त्वपूर्ण है। श्रम के अभाव में कुत्ते व चूहे भी अपना पेट नहीं भर सकते हैं।
    नागार्जुन प्रयोगधर्मी रचनाकार थे। उनके काव्य में शिल्प सम्बन्धी नए प्रयोग दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने अपने काव्य में अनेक अद्भुत बिम्बों का प्रयोग किया है। 'अकाल और उसके बाद' कविता में अकाल और उसके बाद की स्थिति का बिम्ब उपस्थित किया गया है। पहली चार पंक्तियों में अकाल की भयावहता तथा बाद की चार पंक्तियों में अकाल के बाद की स्थिति का चित्रण किया गया। इस कविता के सन्दर्भ में डॉ. गोविन्द प्रसाद कहते हैं-
    "बिम्ब की दृष्टि से नागार्जुन की 'अकाल और उसके बाद' कविता सघन संवेदना को मूर्त करती हुई बिम्बवादियों के लिए एक चुनौती है।

    अकाल और उसके बाद कविता

    'अकाल और उसके बाद' कविता के कुछ पदों की व्याख्या

    कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास 
    कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास 
    कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त 
    कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त । 
    दाने आए घर के अन्दर कई दिनों के बाद 
    धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद 
    चमक उठी घर भर की आँखें, कई दिनों के बाद 
    कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद।

    व्याख्या - नागार्जुन की कविता अकाल और उसके बाद एक प्रसिद्ध लघु कविता है, जिसमे उन्होंने अकाल की मार्मिक स्थिति तथा उसके बाद की खुशी का संश्लिष्ट वर्णन किया है। यहाँ भूख की स्थिति तथा उसके मिटने की भावी खुशी का अद्भुत चित्र प्रस्तुत किया गया है। नागार्जुन जी कहते हैं कि अकाल की स्थिति में बहुत दिनों तक चूल्हा खाली ही पड़ा रहा तथा अनाज पीसने की चक्की खाली रही अर्थात् चूल्हे पर कई दिनों तक खाना नहीं बना और चक्की में अनाज नहीं पीसा गया तथा बाहर घूमने वाली कानी कुतिया भूख के कारण कई दिनों तक भूख से व्याकुल व्यक्तियों के पास इस आशा में सोई कि शायद उनके पास कुछ खाने को मिल जाए।

    भूख के कारण छिपकलियाँ भी दीवार पर गश्त लगाती रही और चूहे भी भूखे पेट इधर-उधर घूमते रहे। लेकिन अकाल के बाद जब कई दिनों में घर पर अनाज आया तथा चूल्हे में रोटी पकाने के लिए आग जलाई गई तो चूल्हे के धुएँ को उठते हुए देखकर घर में उपस्थित सभी भूख से व्याकुल प्राणियों की आँखें चमक उठी। कौए ने भी भोजन की उम्मीद में अपनी चोंच से अपने पंख खुजलाए।

    विशेष - 

    • प्रस्तुत कविता में कवि ने अकाल तथा उसके बाद भी स्थिति का यथार्थ चित्र प्रस्तुत किया है।
    • प्रतीक तथा बिम्बों का अद्भुत समन्वय।
    • कई दिनों तक चूल्हा रोया, चुक्की रही उदास' पंक्ति में मानवीकरण अलंकार है।

    अकाल और उसके बाद कविता के महत्‍वपूर्ण तथ्‍य

    1. अकाल और उसके बाद 1952 ई. में रचित कविता है।
    2. यह कविता 'सतरंगे पंखों वाली' कविता-संग्रह में संकलित है।
    3. यह प्रगतिशील चेतना की यथार्थपरक कविता है।
    4. इस कविता में अकाल के बाद की एक साधारण भारतीय परिवार एवं परिवेश की भुखमरी की नंगी तस्वीर पेश की है।
    5. 'चूल्हा रोया' 'चक्की रही उदास' जैसे अद्भुत प्रयोगों के माध्यम से अकाल के बाद अनाज के अभाव की अभिव्यक्ति और उस परिवेश में व्याप्त भूखजन्य व्याकुलता की सशक्त सांकेतिक अभिव्यक्ति किया है।
    6. भारतीय परिवार केवल अपना ही पेट नहीं पालते अपितु आसपास रह रहे जीव जंतुओं का भी पेट पालते हैं। इसीलिए कविता में भूख की व्याकुलता घरेलू उपकरणों और जीव-जंतुओं के माध्यम से अभिव्यक्त की गई है। 

    Akal Aur Uske Baad Kavita MCQ

    प्रश्‍न 01. 'अकाल और उसके बाद' कविता नागार्जुन के किस काव्य-संग्रह से ली गई है ?
    1. युगधारा
    2. प्यासी पथराई आँखें
    3. प्रेत का बयान
    4. सतरंगे पंखों वाली।
    उत्तर - 4. सतरंगे पंखों वाली।


    प्रश्‍न 012. 'अकाल और उसके बाद' कविता किसके द्वारा लिखी गई है?
    1. मुक्तिबोध
    2. धूमिल
    3. नागार्जुन
    4. बच्चन
    उत्तर - 3. नागार्जुन


    प्रश्‍न 03. 'अकाल और उसके बाद' शीर्षक कविता नागार्जुन ने कब लिखी थी ?
    1. युद्ध के दौरान
    2. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद
    3. भूखे होने पर
    4. स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले
    उत्तर -  4. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद


    प्रश्‍न 04. 'अकाल और उसके बाद' के कवि का असली नाम है -
    1. वैद्यनाथ मित्र
    2. भवानी प्रसाद मिश्र
    3. विद्यानिवास मिश्र
    4. भारती मिश्र।
    उत्तर - 1. वैद्यनाथ मित्र


    प्रश्‍न 05. 'अकाल और उसके बाद' कविता किस प्रकार की कविता है ?
    1. प्राकृतिक सौन्दर्य
    2. क्लासिकल
    3. सामाजिक बोध
    4. सौन्दर्य बोध
    उत्तर - 3. सामाजिक बोध


    प्रश्‍न 06. 'अकाल और उसके बाद' कविता में किसकी हालत शिकस्त थी ?
    1. कुत्तिया
    2. छिपकली
    3. चूहा
    4. कौए
    उत्तर - 3. चूहा


    प्रश्‍न 07. 'अकाल और उसके बाद' - कविता किस कोटि की रचना है ?
    1. छायावादी
    2. प्रगतिवादी
    3. जनवादी
    4. प्रयोगवादी

    उत्तर - 2. प्रगतिवादी


    प्रश्‍न 08. 'अकाल और उसके बाद' कविता में नागार्जुन ने किस परिवेश का चित्र उभारा है ?
    1. पर्वतीय प्रदेश का
    2. ग्रामीण परिवेश का
    3. वन प्रदेश का
    4. काल्पनिक परिवेश का

    उत्तर - 2.  ग्रामीण परिवेश का


    प्रश्‍न 09. नागार्जुन किस धारा के कवि हैं?
    1. प्रयोगवादी
    2. जनवादी
    3. हालावादी
    4. इनमें से कोई नहीं।

    उत्तर - 2. जनवादी

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