"अकाल और उसके बाद" नागार्जुन की प्रसिद्ध कविता है, जिसमें अकाल के बाद की भयानक स्थिति, भूख और पीड़ित जनता की करुणा का चित्रण मिलता है। यहाँ पढ़ें सारांश, विश्लेषण, भावार्थ और कवि परिचय।
'अकाल और उसके बाद' कविता का सारांश
'अकाल और उसके बाद' कविता के कुछ पदों की व्याख्या
कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त ।
दाने आए घर के अन्दर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठी घर भर की आँखें, कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद।
व्याख्या - नागार्जुन की कविता अकाल और उसके बाद एक प्रसिद्ध लघु कविता है, जिसमे उन्होंने अकाल की मार्मिक स्थिति तथा उसके बाद की खुशी का संश्लिष्ट वर्णन किया है। यहाँ भूख की स्थिति तथा उसके मिटने की भावी खुशी का अद्भुत चित्र प्रस्तुत किया गया है। नागार्जुन जी कहते हैं कि अकाल की स्थिति में बहुत दिनों तक चूल्हा खाली ही पड़ा रहा तथा अनाज पीसने की चक्की खाली रही अर्थात् चूल्हे पर कई दिनों तक खाना नहीं बना और चक्की में अनाज नहीं पीसा गया तथा बाहर घूमने वाली कानी कुतिया भूख के कारण कई दिनों तक भूख से व्याकुल व्यक्तियों के पास इस आशा में सोई कि शायद उनके पास कुछ खाने को मिल जाए।
विशेष -
- प्रस्तुत कविता में कवि ने अकाल तथा उसके बाद भी स्थिति का यथार्थ चित्र प्रस्तुत किया है।
- प्रतीक तथा बिम्बों का अद्भुत समन्वय।
- कई दिनों तक चूल्हा रोया, चुक्की रही उदास' पंक्ति में मानवीकरण अलंकार है।
अकाल और उसके बाद कविता के महत्वपूर्ण तथ्य
- अकाल और उसके बाद 1952 ई. में रचित कविता है।
- यह कविता 'सतरंगे पंखों वाली' कविता-संग्रह में संकलित है।
- यह प्रगतिशील चेतना की यथार्थपरक कविता है।
- इस कविता में अकाल के बाद की एक साधारण भारतीय परिवार एवं परिवेश की भुखमरी की नंगी तस्वीर पेश की है।
- 'चूल्हा रोया' 'चक्की रही उदास' जैसे अद्भुत प्रयोगों के माध्यम से अकाल के बाद अनाज के अभाव की अभिव्यक्ति और उस परिवेश में व्याप्त भूखजन्य व्याकुलता की सशक्त सांकेतिक अभिव्यक्ति किया है।
- भारतीय परिवार केवल अपना ही पेट नहीं पालते अपितु आसपास रह रहे जीव जंतुओं का भी पेट पालते हैं। इसीलिए कविता में भूख की व्याकुलता घरेलू उपकरणों और जीव-जंतुओं के माध्यम से अभिव्यक्त की गई है।
Akal Aur Uske Baad Kavita MCQ
- युगधारा
- प्यासी पथराई आँखें
- प्रेत का बयान
- सतरंगे पंखों वाली।
- मुक्तिबोध
- धूमिल
- नागार्जुन
- बच्चन
- युद्ध के दौरान
- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद
- भूखे होने पर
- स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले
- वैद्यनाथ मित्र
- भवानी प्रसाद मिश्र
- विद्यानिवास मिश्र
- भारती मिश्र।
- प्राकृतिक सौन्दर्य
- क्लासिकल
- सामाजिक बोध
- सौन्दर्य बोध
- कुत्तिया
- छिपकली
- चूहा
- कौए
- छायावादी
- प्रगतिवादी
- जनवादी
- प्रयोगवादी
उत्तर - 2. प्रगतिवादी
- पर्वतीय प्रदेश का
- ग्रामीण परिवेश का
- वन प्रदेश का
- काल्पनिक परिवेश का
उत्तर - 2. ग्रामीण परिवेश का
- प्रयोगवादी
- जनवादी
- हालावादी
- इनमें से कोई नहीं।
उत्तर - 2. जनवादी
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