अनुसन्धान पत्र (शोध पत्र): अर्थ, प्रक्रिया और अनिवार्य तत्त्व | Research Paper in Hindi

इस लेख में अनुसन्धान पत्र या शोध पत्र की परिभाषा, उसकी लेखन प्रक्रिया, आवश्यक तत्व तथा शोध पत्र तैयार करने के वैज्ञानिक चरणों का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें शोध लेख के निर्माण, उद्देश्य निर्धारण, आँकड़ों के विश्लेषण और निष्कर्ष तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया को सरल एवं स्पष्ट रूप में समझाया गया है।

अनुसन्धान पत्र (शोध पत्र): अर्थ, प्रक्रिया और अनिवार्य तत्त्व | Research Paper in Hindi

अनुसन्धान पत्र या शोध पत्र

Research Paper or Article

अनुसन्धान पत्र (शोध पत्र) एक विस्तृत आलेख होता है, जिसके आधार पर अनुसन्धानों को सार्वजनिक स्वरूप में ढाला जाता है। इस पूरी क्रिया में शोधकर्ता का परिचय विद्वान्, बुद्धिजीवी वर्ग एवं पूरी दुनिया से होता है।

अनुसन्धान पत्र (शोध पत्र) ऐसा पत्र होता है, जिसके माध्यम से शोधकर्ता अपने सम्पूर्ण शोध के तथ्यों, आँकड़ों, दृष्टिकोणों एवं निष्कर्षों को प्रस्तुत करता है।

इस पूरी प्रक्रिया में शोधकर्ता को दो प्रकार के स्रोतों, जिसे प्राथमिक स्रोत तथा द्वितीयक स्रोत कहा जाता है, का सहारा लेना पड़ता है।

शोध प्रपत्र लेखन के क्रम में तथ्य एवं विचारों के अन्तर को ध्यान में रखना होता है। तथ्य को हम सत्य की तरह स्वीकार कर लेते हैं, इन्हें सिद्ध करने के लिए प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है। शोध प्रपत्र में अनेक विचारधाराओं तथा निरीक्षणों को प्रस्तुत किया जाता है। इसमें किसी प्रकार की आशंका होने पर पुष्टि की जा सकती है। इसमें यह आवश्यक है कि शोधकर्ता को तथ्यों एवं विचारों का मिश्रण नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने पर किसी भी प्रपत्र का स्तर गिर जाता है।

शोध पत्र लेखन की प्रक्रिया

Process of Writing Research Paper

अनुसन्धान एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, इसलिए वैज्ञानिक प्रक्रिया को अनुसन्धान पत्र के रूप में प्रस्तुत करने की विधि भी अनिवार्यतः वैज्ञानिक ही होगी।

अनुसन्धान लेखन प्रक्रिया

किसी भी अनुसन्धान पत्र के लेखन प्रक्रिया में कई बिन्दुओं का पालन किया जाता है; जैसे-

  1. सर्वप्रथम शोध की विषयवस्तु का चयन किया जाता है।
  2. विषय वस्तु से सम्बन्धित साहित्य का सर्वेक्षण किया जाता है।
  3. तत्पश्चात् अनुसन्धान का उद्देश्य तय किया जाता है।
  4. उद्देश्य निर्धारण के पश्चात् अनुसन्धान की परिकल्पनाएँ निर्धारित की जाती हैं।
  5. इनके पश्चात् अनुसन्धान पूर्ण करने हेतु अभिकल्पों या शोध नमूनों; जैसे-न्यायदर्श, यन्त्र एवं उपकरण तथा सांख्यिकी प्रविधियों का उल्लेख किया जाता है। न्यायदर्श की आवश्यकता अनुसन्धान व्यय में कमी, दक्षता में वृद्धि तथा परिणाम की शुद्धता के लिए किया जाता है।
  6. अनुसन्धान पत्र लेखन की प्रक्रिया में अनुसन्धान में विभिन्न विधियों; जैसे-ऐतिहासिक, प्रयोगात्मक, वर्णनात्मक विधियों का प्रयोग किया जाता है।
  7. इन सबके पश्चात् उपलब्ध आँकड़ों का विश्लेषण किया जाता है।
  8. आँकड़ों के विश्लेषण के पश्चात् अनुसन्धान का निष्कर्ष निकाल लिया जाता है।
  9. सबसे अन्त में सन्दर्भ ग्रन्थों की सूची प्रस्तुत की जाती है।

शोध लेख वस्तुतः अनुसन्धान के सैद्धान्तिक पक्ष को सामने लाता है, जिसमें शोधकर्ता मूलतः अपने विचारों की स्थापना हेतु आंगमनात्मक तथा निगमनात्मक क्रियाओं का उपयोग करता है।

अनुसन्धान लेखन में हमें इस बात का भी ध्यान रखना आवश्यक होता है कि इसमें अनुमान आधारित दस्तावेजों को शामिल नहीं करना चाहिए तथा अनुसन्धान लेख में सम्पादकीय लेख भी नहीं होने चाहिए।

यह लेख अनुसन्धान के सैद्धान्तिक पक्ष का निर्माण करते हैं। इसमें शोधकर्ता अपने विचारों की पुष्टि के लिए आगमनात्मक-निगमनात्मक तार्किक क्रिया का प्रयोग करता है तथा साथ ही अपनी सृजनात्मक क्षमताओं के द्वारा उनकी पुष्टि भी करता है।

अनुसन्धान लेख, अनुसन्धान के सैद्धान्तिक पक्ष का निर्माण करते हैं अर्थात् ये लेख शोधकर्ता के उच्च स्तर के चिन्तनीय बोध की अभिव्यक्ति है।

शोध लेख के अनिवार्य तत्त्व

Essential Elements for Good Research Article

किसी भी अनुसन्धान लेख में कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्यों का होना अनिवार्य है।
  • किसी भी अनुसन्धान लेख में एक परिकल्पना तथा एक प्रस्तावित प्रश्न का होना अनिवार्य है।
  • किसी भी अनुसन्धान लेख में भविष्य में होने वाले अनुसन्धानों के लिए कुछ सुझावों का होना अनिवार्य है।
  • अनुसन्धान लेख ऐसे होने चाहिए जिसमें विषयों का विवरण होने के साथ-साथ पूरे अनुसन्धान लेख का निष्कर्ष होना चाहिए।
  • अनुसन्धान से सम्बन्धित सन्दर्भों की सूची लेख में अनिवार्य है।
  • अनुसन्धान लेख में इस बात का अनिवार्यतः ध्यान रखना चाहिए कि उसमें समाचार पत्रों के लेख नहीं होने चाहिए।
  • अनुसन्धान लेख में किसी पुस्तक की समीक्षा नहीं होनी चाहिए।
  • अनुसन्धान लेख में इस बात का अनिवार्यतः पालन होना चाहिए कि शोधकर्ता तथ्यों एवं विचारों को मिश्रित न करें, क्योंकि इसमें शोध का स्तर नीचे चला जाता है।


शोध पत्र प्रारूप की परिभाषा

Definition of Research Paper Format


1. पी.वी. यंग - एक शोध प्रारूप किसी शोध की एक तार्किक एवं व्यवस्थित योजना एवं उसका निर्देशन है।

2. सैल्टिज एवं जहोदा - प्रारूप से तात्पर्य पूर्व निर्धारित रूपरेखा है।

3. एकॉफ - अनुसंधान प्रयत्नों के निर्माण से संबंधित विविध चरणों और प्रक्रियाओं की योजना बनाना है।

4. हेनरी मेनहेम - यह केवल तथ्य संकलन एवं अन्य निर्णयों से संबंधित पूर्वानुमान नहीं इन निर्णयों का तर्कसंगत आधार भी प्रस्तुत करता है।


शोध पत्र प्रारूप

Research Paper Format


शोध पत्र प्रारूप में निम्न चीजें शामिल किया जाना आवश्‍यक है -

1. शीर्षक पृष्ठ

2. पेपर सारांश

3. रूपरेखा या विषय-सूची

4. चित्रों और तालिकाओं की सूची

5. पेपर का पाठ

6. फ़ुटनोट या एंडनोट

7. ग्रंथसूची

8. सूचकांक

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