शोध में नैतिकता से तात्पर्य वैज्ञानिक, ईमानदार और निष्पक्ष तरीके से अनुसंधान करने से है। इस लेख में शोध के नैतिक मूल्यों, सिद्धांतों, अनुसंधान में होने वाली त्रुटियों—जैसे पूर्वाग्रह, भ्रांतियाँ और गलत तथ्यों का उपयोग—तथा शोधकर्ता की जिम्मेदारियों का विस्तृत, स्पष्ट और परीक्षोपयोगी वर्णन किया गया है।
किसी भी शोध प्रक्रिया के दर्शन को तीन प्रमुख भागों में वर्गीकृत किया जाता है-
1. तत्त्वमीमांसा (मेटाफिजिक्स)
2. ज्ञानमीमांसा (एपीस्टिमोलॉजी)
3. नैतिकता (इथिक्स)
शोध में नैतिकता
Research Ethics
- अनुसन्धान में नैतिकता यानि एथिक्स से आशय अनुसन्धान के सौन्दर्य बोध से है, क्योंकि कोई भी अनुसन्धान किसी विषय की समस्याओं का समाधान वैज्ञानिक तरीके से प्रस्तुत करता है और यह ज्ञान का प्रसार करता है। अतः किसी भी अनुसन्धान में नैतिकता तथा ईमानदारी से निष्कर्ष तक पहुँचना महत्त्वपूर्ण होता है।
- नैतिकता, अनुसन्धान में उस सौन्दर्य बोध को स्थापित करती है, जो उसे शुद्ध मानवीय एवं विशिष्ट गुणों से युक्त बनाती है।
शोध के नैतिक मूल्य या सिद्धान्त
Ethical Values or Theories of Research
किसी भी अनुसन्धानकर्ता को शोध के लिए निम्नलिखित नैतिक मूल्यों पर ध्यान देना चाहिए
- अनुसन्धान में वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग करना चाहिए।
- अनुसन्धान में ईमानदारी और विश्वसनीयता का पालन करना चाहिए।
- किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह एवं भ्रान्तियों से अनुसन्धान को दूर रखना चाहिए।
- अनुसन्धान ऐसा हो जो ज्ञान की वृद्धि में सहायक हो।
- इसमें मानवीय गुणों से युक्त तथा 'सर्वजनहिताय' होना चाहिए।
- पेटेण्ट, कॉपीराइट और बौद्धिक सम्पदा के अन्य प्रकारों का सम्मान करना चाहिए।
- किसी भी शोधकर्ता को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह बिना अनुमति कोई भी प्रकाशित डाटा, विधियों या परिणामों का उपयोग न करे।
- अनुसन्धान एक नैतिक, स्वतन्त्र और स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो अनुसन्धान को कलात्मक और सृजनशील बनाता है।
शोध में त्रुटियाँ
Errors in Research
उपरोक्त धारणाओं के बावजूद अनुसन्धान में प्रयुक्त नैतिकता त्रुटिहीन नहीं हो पाती है तथा कुछ प्रमुख त्रुटियाँ इसमें समाहित हो जाती हैं, जो नैतिक मूल्यों पर प्रश्नचिन्ह लगा देती हैं।
- अनुसन्धान के दौरान काल्पनिक अवधारणाओं (Imaginary Assumption) का प्रयोग करना।
- पूर्वाग्रह और पक्षपात (Prejudices and Biases) का प्रभाव पड़ना।
- भ्रान्तियों (Fallacies) एवं अफवाहों में अनुसन्धान का प्रभावित होना।
- निकृष्ट प्रकार का औचित्यीकरण (Poorest form of Rationalisation) प्रस्तुत करना।
- प्रदूषित या गलत तथ्यों (Contaminated or Wrong Facts) का उपयोग करना।
शोध में नैतिकता के मापदण्ड
Ethical Standards in Research
शोध नैतिकता उन नियमों और सिद्धांतों का समूह है जो शोधकर्ताओं के आचरण का मार्गदर्शन करते हैं। इन मापदण्डों का पालन करने से शोध कार्य ईमानदारी, विश्वसनीयता और जिम्मेदारी के साथ सम्पन्न होता है। शोध में अपनाए जाने वाले मुख्य नैतिक मापदण्ड निम्न प्रकार हैं—

1. ईमानदारी (Honesty)
शोधकर्ता को अध्ययन की प्रक्रिया, डेटा, विश्लेषण और निष्कर्षों के प्रति पूर्ण ईमानदार होना चाहिए। उसे किसी भी प्रकार की झूठी जानकारी, गलत वादे या भ्रामक निष्कर्षों से बचना चाहिए।
2. निष्पक्षता (Fairness)
शोध कार्य में किसी भी प्रकार का भेदभाव—जैसे उम्र, लिंग, जाति, नस्ल या अन्य सामाजिक आधार—नहीं होना चाहिए। निष्पक्षता शोध की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को सुनिश्चित करती है।
3. वस्तुनिष्ठता (Objectivity)
तथ्यों के संग्रह, विश्लेषण और व्याख्या के समय निजी पूर्वाग्रह या व्यक्तिगत राय हस्तक्षेप नहीं करनी चाहिए। शोध परिणाम केवल साक्ष्यों पर आधारित होने चाहिए।
4. निरंतरता (Consistency)
शोधकर्ता को अपने विचार, कार्यशैली और सिद्धांतों में निरंतरता बनाए रखनी चाहिए। किए गए वादों और दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करना चाहिए।
5. खुलापन (Openness)
शोधकर्ता को अपने निष्कर्ष, डेटा और अन्य संसाधन साझा करने के लिए तैयार रहना चाहिए। रचनात्मक आलोचना और सुझावों का स्वागत करना भी एक महत्वपूर्ण नैतिक दायित्व है।
6. सतर्कता (Carefulness)
शोध प्रक्रिया के हर चरण में संभावित त्रुटियों और पूर्वाग्रहों से सावधान रहना चाहिए। अपने तथा सहयोगियों के कार्य की समुचित जाँच ज़रूरी है। साथ ही, शोध से जुड़े सभी अभिलेख सुरक्षित और व्यवस्थित होने चाहिए।
7. बौद्धिक संपदा का सम्मान (Respect for Intellectual Property)
दूसरों के कार्य, विचार, सिद्धांत या लेखन को उचित श्रेय देना चाहिए। बिना अनुमति के किसी भी सामग्री—प्रकाशित या अप्रकाशित—का उपयोग नहीं करना चाहिए। साहित्यिक चोरी (Plagiarism) से पूर्णतः बचना चाहिए।
8. गोपनीयता (Confidentiality)
उत्तरदाताओं या संगठनों की निजी अथवा संवेदनशील जानकारी को गोपनीय रखना आवश्यक है। अनुसंधान के दौरान प्राप्त किसी भी व्यक्तिगत, सैन्य, व्यावसायिक या संस्थागत जानकारी का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
9. सहयोगियों का सम्मान (Respect for Colleagues)
शोध में जुड़े सहकर्मियों, मार्गदर्शक और अन्य सहयोगियों का सम्मान करना चाहिए। किसी भी आधार पर भेदभाव से बचना चाहिए। सहयोग और सौहार्दपूर्ण वातावरण शोध की गुणवत्ता बढ़ाते हैं।
10. वैधानिकता (Legality)
शोध कार्य सभी कानूनी, संस्थागत और सरकारी नियमों के अनुरूप होना चाहिए। प्रासंगिक कानूनों का पालन शोधकर्ता की ज़िम्मेदारी है।
11. उत्तरदायित्व (Responsibility)
शोध का उद्देश्य समाज को लाभ पहुँचाना और ज्ञान का विस्तार करना है। इसलिए शोधकर्ता को फिजूलखर्ची, अशुद्ध या दोहराए गए प्रकाशनों से बचना चाहिए। शोध कार्यों की नियमित निगरानी भी उसके दायित्वों का हिस्सा है।
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