परिसंवाद का शाब्दिक अर्थ - तर्क संगत वाद–विवाद, विचारपूर्ण वाद–विवाद।
परिसंवाद (Symposium) किसे कहते हैं
'सिम्पोजियम' (परिसंवाद) शब्दकोश का प्रयोग सर्वप्रथम प्लेटो ने एक सुन्दर आदान-प्रदान के लिए किया था, जिसमें ईश्वर के प्रति विचार प्रस्तुत किए गए थे।
"यह एक ऐसा समूह है जिसमें श्रोता को उत्तम प्रकार के विचारों से अवगत कराया जाता है। श्रोता प्रकरण सम्बन्धी सामान्य तैयारी के अपने द्वारा अनुभव किए हुए विचारों को सम्मिलित करते हैं और नीति, मूल्यों तथा बोधगम्यता के सम्बन्ध में निर्णय लेते हैं।"
एक से अधिक व्यक्तियों की राय के अनुसार कोई निर्णय लेना होता है, तो ऐसे सभी व्यक्तियों को आपस में बैठकर उस विषय पर वार्तालाप करना होता है। ऐसे वार्तालाप को परिसंवाद की संज्ञा दी जा सकती है। विस्तृत अर्थ के रूप में परिसंवाद सामूहिक निर्णय लेने की एक ऐसी तकनीक है, जिसमें अधिकांश अथवा सभी लोग उस निर्णय के पक्ष में हो।
इस प्रक्रिया में शोधकर्ता सभी प्रकरणों से सम्बन्धित विचारों को शामिल करते हैं तथा नीतिगत मूल्यों की बोधगम्यता के सम्बन्ध में निर्णय लेते हैं।
परिसंवाद के प्रकार
Type of Symposium
परिसंवाद मौलिक रूप से दो प्रकार के होते हैं
1. पहले प्रकार में ग्रुप को-ऑर्डिनेटर या समूह समन्वयक द्वारा एक विषय दिया जाता है और शिक्षार्थियों से निर्धारित अवधि तक परिचर्चा करने को कहा जाता है।
2. कभी-कभी समूह को एक केस स्टडी अर्थात् व्यक्ति अध्ययन की स्थिति, छपी हुई दे दी जाती है और अभ्यर्थियों को तीन-चार मिनट का समय इसे पढ़ने व समझने के लिए दे दिया जाता है। इस केस स्टडी एकल विषय अध्ययन के आधार पर प्रश्नों की चर्चा करनी होती है।
इस प्रकार की सामूहिक परिचर्चा से समन्वयक आवेदकों की संप्रेषण कला के साथ विषय की ग्रहणशीलता की जाँच भी कर लेते हैं।
परिसंवादें की विशेषताएँ
Features of the Symposium
परिसंवाद की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- अनुसन्धान से सम्बन्धित किसी विशेष समस्या तथा उसके समस्त पक्षों से शोधार्थियों को अवगत कराना।
- मूल्यांकन सम्बन्धी योग्यताओं का विकास करना तथा उच्चस्तरीय चिन्तन हेतु प्रशिक्षित करना।
- श्रोताओं, शोधार्थियों को समस्या के बारे में निर्णय लेने का अवसर प्रदान करना।
- समायोजन, सहयोग एवं सहनशीलता के मूल्यों का विकास करना।
परिसंवाद के उद्देश्य
Objectives of the Symposium
परिसंवाद के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं
- अनुसन्धानकर्ताओं के बीच सहभागिता के मूल्य विकसित करना।
- समस्याओं के विभिन्न पक्षों की जानकारी के साथ-साथ उनकी पहचान करने की कला विकसित करना।
- किसी विषय विशेष में उस क्षेत्र के विशेषज्ञों की राय से अवगत कराना।
- अनुसन्धान प्रकरण के विभिन्न बिन्दुओं को पहचान कर उसे बोधगम्य बनाना।
परिसंवाद के उपयोग का क्षेत्र
Application of Symposium
इसका उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में उच्च शिक्षा के शिक्षण तथा अनुदेशन के लिए किया जा सकता है। कुछ प्रमुख प्रकरण इस प्रकार हैं
- परीक्षा में वस्तुनिष्ठ एवं निबन्धात्मक प्रश्नों का प्रयोग
- शिक्षा में सत्र प्रणाली एवं वार्षिक प्रणाली
- छात्रों में अनुदेशनहीनता के कारण
- शोधकार्यों में गुणात्मक विकास
- छात्र शिक्षण में अध्यापक की उपादेयता

0 टिप्पणियाँ