नयी कविता का नामकरण, प्रवित्तियॉं, प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाऍं

नयी कविता: हिन्दी साहित्य में नयी कविता सन् १९५१ के बाद की उन कविताओं को कहा गया, जिनमें परंपरागत कविता से आगे नये भावबोधों की अभिव्यक्ति के साथ ही नये मूल्यों तथा नये शिल्प-विधान का अन्वेषण किया गया। यह हिंदी साहित्‍य के प्रयोगवाद के बाद विकसित हुई हिन्दी कविता की नवीन धारा है। नयी कविता अपनी वस्तु-छवि व रूप-छवि दोनों में प्रगतिवाद और प्रयोगवाद का विकास होकर भी विशिष्ट है।

नयी कविता

नई कविता का नामकरण

'नयी कविता' नाम अज्ञेय का दिया हुआ है। अपनी एक रेडियो वार्ता में उन्होंने इस पद का सर्वप्रथम प्रयोग किया था, जो बाद में 'नये पत्ते' के जनवरी-फरवरी, 1953 अंक में ''नयी कविता'' शीर्षक से प्रकाशित हुई।

'नयी कविता' का आरम्भ सन् 1954 में जगदीश गुप्त द्वारा सम्पादित 'नयी कविता' पत्रिका के प्रकाशन से माना जाता है।

बच्चन सिंह 'नयी कविता' का आरम्भ सन् 1951 से मानते हैं। इनके अनुसार नयी कविता प्रयोगवादी कविता का परिष्कृत रूप है।


नयी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

नयी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं

1. मास, कुण्ठा, घुटन, दर्द जैसे भावों की अभिव्यक्ति

2. लघु मानव की प्रतिष्ठा

3. अस्तित्ववादी चिन्तन

4. विरोध के स्वर

5. अकेलेपन और अजनबीपन की अभिव्यक्ति

6. व्यंग्य की प्रवर्ति

7. अलंकार के प्रयोग में नवीनता

8. बिम्ब विधान

9. प्रतीक विधान

10. भाषायी संरचना में परिवर्तन


नयी कविता के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ

कवि रचना
भवानी प्रसाद मिश्र सन्नाटा, गीत फरोश, चकित है दुःख, बुनी हुई रस्सी
कुंवर नारायण चक्रव्यूह, आमने-सामने, कोई दूसरा नही, आत्मजयी
शमशेर बहादुर सिंह काल तुझ से होड़ है मेरी, इतने पास अपने, बात बोलेगी हम नहीं, अभिव्यक्ति का संघर्ष
धर्मवीर भारती अन्धा युग, कनुप्रिया, सात गीत वर्ष, ठण्डा लोहा, देशान्तर
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना बाँस का पुल, काठ की घण्टियाँ, एक सूनी नाच, गर्म हवाएँ, कुआनो नदी, कोई मेरे साथ चले, जंगल का दर्द, झूटियों पर टैंगे लोग
जगदीश गुप्त नाव के पाँव, शब्द दंश, बोधि वृक्ष, शम्बूक
दुष्यंत कुमार सूर्य का स्वागत, आवाजों के घेरे, साये में धूप
श्रीकांत वर्मा दिनारम्भ, भटका मेघ, माया दर्पण, मखध
रघुवीर सहाय हँसो-हँसो जल्दी हँसो, आत्म हत्या के विरुद्ध
नरेश मेहता वनपांखी सुनों, बोलने दो चीड़ को, उत्सव
सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' संसद से सड़क तक (1972 ई.), कल सुनना मुझे (1976 ई.) सुदामा पाण्डेय का जनतन्त्र (1984 ई.)


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