आलेख लेखन (Article Writing) शोधकर्ता द्वारा किया गया वह सुव्यवस्थित लेखन है, जिसमें शोध क्रियाविधि, उद्देश्य, पद्धति, परिणाम, विचार-विमर्श और निष्कर्ष का समग्र प्रस्तुतीकरण किया जाता है। इस पोस्ट में शोध आलेख के प्रारूप, प्रमुख भाग—जैसे मुख्य पृष्ठ, सार/भाव, परिचय, पद्धति, परिणाम, विचार-विमर्श, समाप्ति तथा सन्दर्भ—का स्पष्ट और क्रमबद्ध विवेचन किया गया है। यह सामग्री MA, Ph.D., UGC NET तथा शोधार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
आलेख लेखन
Article Writing
एक शोध आलेख शोधकर्ता द्वारा लिखा गया शोध क्रियाविधि से सम्बन्धित सम्पूर्ण विवरण पत्र होता है। एक आलेख लेखन में शोध पत्र को लिखने में प्रयोग की जाने वाली पद्धति पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता। शोध लेख ऐसे होने चाहिए जिसमें विषयों का विवरण होने के साथ-साथ पूरे शोध लेख का निष्कर्ष हो।
आलेख लेखन की फॉर्मेट और सन्दर्भ की शैली
Format and Style of Article Writing
आलेख लेखन में निम्नलिखित फॉर्मेट और सन्दर्भ शैली का अनुसरण करना चाहिए
प्रथम या प्रमुख भाग इसके अन्तर्गत निम्नलिखित तथ्यों को शामिल किया जाता है
- मुख्य पृष्ठ मुख्य पृष्ठ तथ्यात्मक जानकारीपूर्ण, सन्दर्भ को मुख्य बिन्दु तथा लेख का विषय स्पष्ट होना चाहिए। इस पृष्ठ पर लेख का शीर्षक और नाम लिखा हुआ होना चाहिए।
- सार/भाव लेख का सार लगभग 100-150 शब्दों या 5-10 वाक्यों में दिया जाना चाहिए। इस भाग में लेख का लेखन द्वारा शोध की संक्षिप्त समस्या, पद्धति, परिणाम और निष्कर्ष दिया जाना चाहिए।
द्वितीय या मुख्य भाग इसके अन्तर्गत निम्नलिखित तत्त्व शामिल होते हैं
- परिचय इसके अन्तर्गत, शोधकर्ता को अध्ययन करने का कारण, इसके सैद्धान्तिक प्रारूप, शोध का उद्देश्य, शोध की समस्या तथा अभिकल्पना का निर्माण करना होता है।
- पद्धति इसके अन्तर्गत शोधकर्ता को लेख के नमूने (सैम्पल) को सम्मिलित करना चाहिए कि उसने इनको कैसे चुना या प्राप्त किया, किस सामग्री (उपकरण, साधन यन्त्र, माप) का लेख लिखने में प्रयोग किया गया और लेख लिखने में कौन-सी प्रक्रिया अपनाई गई का उल्लेख होना चाहिए।
- परिणाम शोधकर्ता को प्रायः पाठ के साथ, तालिका और ग्राफ के साथ परिणाम को प्रस्तुत करना चाहिए। लेखकों को परिणाम को विशेष प्रारूप, गुण को सत्यता एवं सटीकता के आकलन के साथ प्रस्तुत करना चाहिए।
- विचार-विमर्श शोधकर्ता द्वारा लेख के विचार-विमर्श में निम्नलिखित बिन्दुओं को शामिल किया जाना चाहिए। ये बिन्दु इस प्रकार हैं
- परिणाम की गैर-तकनीकी व्याख्या।
- परिणाम को मुख्य उद्देश्य और अभिकल्पना से जुड़ा होना चाहिए।
- परिणाम उनके द्वारा किए तरीके से क्यों निकले।
- अध्ययन की सीमाओं को पहचानना।
- भविष्य में शोध के लिए सुझाव।
समाप्ति इसके अन्तर्गत सन्दर्भ को शामिल किया जाता है
- सन्दर्भ शोधकर्ता के सन्दर्भ में लेख के लिखने में प्रयोग किए जाने वाले समस्त प्रलेखों, ग्रन्थों, पुस्तकों, पत्रिकाओं, इण्टरनेट साइट (जिसका उपयोग किया गया) आदि जैसे स्रोतों का उल्लेख करना चाहिए।

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