राहत इन्दौरी की मशहूर शायरी | rahat indori shayari in hindi

राहत इन्दौरी (1 जनवरी 1950 – 11 अगस्त 2020 ) एक भारतीय उर्दू शायर थे था उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए काफी सारे गीत भी लिखे। वे इंदौर में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रहे। 11 अगस्त 2020 को पूर्णहृद्रोधव से उनका निधन हो गया।


राहत इन्दौरी की मशहूर शायरी | Rahat Indori Shayari in Hindi


राहत इन्दौरी जी के कुछ मशहूर गजल व शायरी 

1. उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो/rahat indori shayari in hindi


 उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो 

खर्च करने से पहले कमाया करो 


ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे

बारिशों में पतंगें उड़ाया करो


दोस्तों से मुलाक़ात के नाम पर 

नीम की पत्तियों को चबाया करो 


शाम के बाद जब तुम सहर देख लो 

कुछ फ़क़ीरों को खाना खिलाया करो 


अपने सीने में दो गज़ ज़मीं बाँधकर 

आसमानों का ज़र्फ़ आज़माया करो


चाँद सूरज कहाँ, अपनी मंज़िल कहाँ

ऐसे वैसों को मुँह मत लगाया करो "


2. पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैं/rahat indori shayari in hindi


पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैं 

ज़मीं जहाँ भी खुले घर निकलने लगते हैं 


मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर में 

मगर यहाँ भी समन्दर निकलने लगते हैं 


हसीन लगते हैं जाड़ों में सुबह के मंज़र 

सितारे धूप पहनकर निकलने लगते हैं 


बुरे दिनों से बचाना मुझे मेरे मौला

क़रीबी दोस्त भी बचकर निकलने लगते हैं 


बुलन्दियों का तसव्वुर भी ख़ूब होता है 

कभी कभी तो मेरे पर निकलने लगते हैं 


अगर ख़्याल भी आए कि तुझको ख़त लिक्खूँ 

तो घोंसलों से कबूतर निकलने लगते हैं "


3. लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं/rahat indori shayari in hindi


लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं

इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं


मैं न जुगनू हूँ, दिया हूँ न कोई तारा हूँ

रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं


नींद से मेरा त'अल्लुक़ ही नहीं बरसों से

ख्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यों हैं


मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए

और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यों हैं "


4. अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे/rahat indori shayari in hindi


अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे

चिराग़ हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे 


तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागर 

ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे


लहूलोहान पड़ा था ज़मीं पे इक सूरज 

परिन्दे अपने परों से हवाएँ करने लगे 


ज़मीं पे आ गए आँखों से टूट कर आँसू

बुरी ख़बर है फ़रिश्ते ख़ताएँ करने लगे 


झुलस रहे हैं यहाँ छाँव बाँटने वाले

वो धूप है कि शजर इलतिजाएँ करने लगे 


अजीब रंग था मजलिस का, ख़ूब महफ़िल थी

सफ़ेद पोश उठे काएँ-काएँ करने लगे "


5. अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है /rahat indori shayari in hindi


अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है 

ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है 


लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में 

यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है 


मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन 

हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है 


हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है 

हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है 


जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे

किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है 


सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में 

किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है "


6. उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब/rahat indori shayari in hindi


उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब

चाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सब


जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं

चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब


मुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी है

फीके पड़ गए कपड़े-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सब


आखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते है

कश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया लंगर-वंगर सब "


7. दोस्ती जब किसी से की जाये|/rahat indori shayari in hindi


दोस्ती जब किसी से की जाये| 

दुश्मनों की भी राय ली जाये| 


मौत का ज़हर है फ़िज़ाओं में, 

अब कहाँ जा के साँस ली जाये| 


बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ, 

ये नदी कैसे पार की जाये| 


मेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे, 

आज फिर कोई भूल की जाये| 


बोतलें खोल के तो पी बरसों, 

आज दिल खोल के भी पी जाये|"


8. बीमार को मर्ज़ की दवा देनी चाहिए/rahat indori shayari in hindi


बीमार को मर्ज़ की दवा देनी चाहिए

वो पीना चाहता है पिला देनी चाहिए


अल्लाह बरकतों से नवाज़ेगा इश्क़ में

है जितनी पूँजी पास लगा देनी चाहिए


ये दिल किसी फ़कीर के हुज़रे से कम नहीं

ये दुनिया यही पे लाके छुपा देनी चाहिए


मैं फूल हूँ तो फूल को गुलदान हो नसीब

मैं आग हूँ तो आग बुझा देनी चाहिए


मैं ख़्वाब हूँ तो ख़्वाब से चौंकाईये मुझे

मैं नीद हूँ तो नींद उड़ा देनी चाहिए

 

मैं जब्र हूँ तो जब्र की ताईद बंद, हो

मैं सब्र हूँ तो मुझ को दुआ देनी चाहिए


मैं ताज हूँ तो ताज को सर पे सजायें लोग

मैं ख़ाक हूँ तो ख़ाक उड़ा देनी चाहिए


सच बात कौन है जो सरे-आम कह सके

मैं कह रहा हूँ मुझको सजा देनी चाहिए


सौदा यही पे होता है हिन्दोस्तान का

संसद भवन में आग लगा देनी चाहिए"


9. दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं/rahat indori shayari in hindi


दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं

सब अपने चेहरों पे दोहरी नका़ब रखते हैं


हमें चराग समझ कर बुझा न पाओगे

हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं


बहुत से लोग कि जो हर्फ़-आश्ना भी नहीं

इसी में खुश हैं कि तेरी किताब रखते हैं


ये मैकदा है, वो मस्जिद है, वो है बुत-खाना

कहीं भी जाओ फ़रिश्ते हिसाब रखते हैं


हमारे शहर के मंजर न देख पायेंगे

यहाँ के लोग तो आँखों में ख्वाब रखते हैं "


10. ये सानेहा तो किसी दिन गुज़रने वाला था/rahat indori shayari in hindi


ये सानेहा तो किसी दिन गुज़रने वाला था

मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था


तेरे सलूक तेरी आगही की उम्र दराज़

मेरे अज़ीज़ मेरा ज़ख़्म भरने वाला था


बुलंदियों का नशा टूट कर बिखरने लगा

मेरा जहाज़ ज़मीन पर उतरने वाला था


मेरा नसीब मेरे हाथ काट गए वर्ना

मैं तेरी माँग में सिंदूर भरने वाला था


मेरे चिराग मेरी शब मेरी मुंडेरें हैं

मैं कब शरीर हवाओं से डरने वाला था "


11. अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ/rahat indori shayari in hindi


अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ

ऐसे जिद्दी हैं परिंदे के उड़ा भी न सकूँ


फूँक डालूँगा किसी रोज ये दिल की दुनिया

ये तेरा खत तो नहीं है कि जला भी न सकूँ


मेरी गैरत भी कोई शय है कि महफ़िल में मुझे

उसने इस तरह बुलाया है कि जा भी न सकूँ


इक न इक रोज कहीं ढ़ूँढ़ ही लूँगा तुझको

ठोकरें ज़हर नहीं हैं कि मैं खा भी न सकूँ


फल तो सब मेरे दरख्तों के पके हैं लेकिन

इतनी कमजोर हैं शाखें कि हिला भी न सकूँ"


12. गुलाब ख़्वाब दवा ज़हर जाम क्या-क्या है/rahat indori shayari in hindi


गुलाब ख़्वाब दवा ज़हर जाम क्या-क्या है

मैं आ गया हूँ बता इन्तज़ाम क्या-क्या है


फक़ीर शाख़ कलन्दर इमाम क्या-क्या है

तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या है


अमीर-ए-शहर के कुछ कारोबार याद आए

मैँ रात सोच रहा था हराम क्या-क्या है