मेरे राम का मुकुट भीग रहा है (Mere Ram Ka Mukut Bheeg Raha h) विद्यानिवास मिश्र' का एक निबंध संग्रह है। जो कि एक ललित निबंध है। विद्यानिवास मिश्र का जन्म 28 जनवरी 1026 को हुआ था। उन्हें सन 1999 में भारत सरकार ने साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित भी किया गया था।
लेखक परिचय : विद्यानिवास मिश्र
पूरा नाम :- विद्यानिवास मिश्र (Vidya Niwas Mishra)
जन्म :- 28 जनवरी, 1926 (गोरखपुर, उत्तर प्रदेश)
मृत्यु :- 14 फ़रवरी, 2005
कर्म-क्षेत्र :- निबन्ध लेखन।
पुरस्कार-उपाधि :- 'पद्म श्री' और 'पद्म भूषण', 'भारतीय ज्ञानपीठ' का 'मूर्ति देवी पुरस्कार', 'शंकर सम्मान'।
विद्यानिवास मिश्र की प्रमुख रचनाएँ
विद्यानिवास मिश्र के निबंध संकलन :-
- तुम चन्दन हम पानी (वर्ष 1957)
- मैंने सिल पहुँचाई (वर्ष 1966)
- हल्दी-दूब,
- कौन तू फुलवा' बीनन हारी,
- चितवन की छाँह (वर्ष1953),
- कदम की फूली डाल,
- मेरे राम का मुकुट भीग रहा है (वर्ष 1974)
- मेरे राम का मुकुट भीग रहा है।
- कंटीले तारों के आर-पार (वर्ष 1976)
- तमाल के झरोखे से
मेरे राम का मुकुट भीग रहा है - विद्यानिवास मिश्र
डॉ. विद्यानिवास मिश्र के निबन्धों का प्रतिपाद्य विषय गरिमापूर्ण है। इन्होंने भारतीय संस्कृति, प्रकृति साहित्य तथा लोक परम्परा के आयामों का उद्घाटन किया है। 'मेरे राम का मुकुट भीग रहा है' विद्यानिवास मिश्र द्वारा रचित विचारात्मक निबन्ध है। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक के गहन विचारों का परिणाम दिखाई देता है। निबन्ध में लेखक अपने कुछ विचार प्रकट कर तथा अपने कुछ प्रश्नों का उत्तर खोजता है। यह विचार और सभी प्रश्न लेखक के जीवन की एक घटना से निकलते हैं।
लेखक का एक पुत्र जो किशोरावस्था का है तथा लेखक के घर आई एक मेहमान के साथ संगीत के कार्यक्रम में रात को जाता है, जहाँ से लौटने में उन्हें देर जाती है। उनकी प्रतीक्षा करते हुए लेखक अपने विचारों की दुनिया में खो जाता है तथा समाज की विभिन्न परिस्थितियों और समस्याओं को लेकर उनके मन में प्रश्न और विचार एकसाथ उठने लगते हैं।
लेखक को अपनी दादी का एक गीत याद आता है, जिसमें भगवान् राम के वनवास चले जाने पर अयोध्यावासियों की चिन्ता प्रकट की गई थी। लेखक भारतीय समाज में फैले पीढ़ियों के अन्तर पर भी विचार करता है। जहाँ एक ओर पुरानी पीढ़ी, नई पीढ़ी की क्षमताओं पर विश्वास नहीं करती, अपितु उनकी क्षमताओं की उपेक्षा करती है, लेकिन दूसरी ओर नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी को रूढ़िवादी समझती है। वह उनकी भावनाओं की भी चिन्ता नहीं करती। पुरानी पीढ़ी का मन अपनी सन्तान के ऊपर संकट आने की कल्पना मात्र से उद्विग्न हो जाता है, किन्तु नई पीढ़ी अपनी धुन में रहती है। लेखक अपने मन के अन्दर चलते तर्क-वितर्क में विवाद करने लगता है तथा स्वीकारता है कि इस नई पीढ़ी को हदों में रखना सरले कार्य नहीं है तथा पुरानी पीढ़ी को उसकी चिन्ताओं से मुक्त कर देना सम्भव नहीं है।
निबंध के महत्वपूर्ण बिंदु:-
- डॉ. विद्यानिवास मिश्र जी ने इस निबंध में बेघर एवं अभावग्रस्त व्यक्तियों के बारे में बात की है जिन्हें समाज ने भूला दिया है।
- लेखक की मन स्थिति का वर्णन हुआ है जिसमें वह राम के बारे में सोचते सोचते सभी लोगों व समाज के बारे में सोचने लगते है।
- लेखन ने सीता की मनोदशा का भी सुख संता पूर्ण चित्रण किया गया है। सीता के कष्टों का वर्णन करके सीता के प्रति सहानुभूति व्यक्त की है।
- इस निबंध में लेखक के मन की उदासी का परिचय दिया है ।
- लेखक ने अपनी संवेदना के माध्यम से लोग के अंतर व्यंजन में अंतर वेदना को व्यक्त किया है ।
- राम के मुकुट के भीगने की चिंता को छोड़कर, रात के समय संगीत कार्यक्रम को देखने गये परिजन की चिंता करने लगता है।
- मिश्र जी ने दो पीढियो के विचारों में अंतर तथा सोच में अंतर की समस्या को भी उजागर करने का काम किया है ।
- अप्रत्यक्ष रूप से आज के लाखों करोड़ों बेरोजगार राम इस लोक में दर-दर भटक रहे है। उन बेरोजगार युवकों की पीड़ा की कोई सीमा नजर नहीं आती।
मेरे राम का मुकुट भीग रहा है निबंध से संबंधित प्रश्नोत्तर:
उत्तर:- विद्यानिवास मिश्र
प्रश्न 02.मेरे राम का मुकुट भीग रहा है का प्रकाशन वर्ष हैं।
उत्तर:- 1974 ई.
प्रश्न 03. मेरे राम का मुकुट भीग रहा है निबंध किस प्रकार का निबंध है?
उत्तर:- ललित निबन्ध
प्रश्न 04. विद्यानिवास मिल किस लेखक परंपरा के निबंधकार है ?
उत्तर:- हजारीप्रसाद द्विवेदी
प्रश्न 05.मेरे राम का मुकुट भीग रहा है निबंध लेखन के पीछे लेखक का क्या उद्देश्य है
उत्तर:- वर्तमान पीढ़ी को समझाना पिछली पीढ़ी उनके प्रति कितनी संवेदनशील व मंगल कामना करने वाली है।