उत्तराफाल्गुनी के आस पास - कुबेरनाथ राय

कुबेरनाथ राय (Kubernath Rai) हिन्दी ललित निबन्ध परम्परा के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर, सांस्कृतिक निबन्धकार और भारतीय आर्ष-चिन्तन के गन्धमादन थे। उनकी गिनती आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी और विद्यानिवास मिश्र जैसे ख्यातिलब्ध निबन्धकारों के साथ की जाती है।

उत्तराफाल्गुनी के आस पास - कुबेरनाथ राय


लेखक परिचय : कुबेरनाथ राय

पूरा नाम :- कुबेरनाथ राय (Kubernath Rai)

जन्म :- 26 मार्च, 1933 (गाजीपुर, उत्तर प्रदेश)

जन्म भूमि :- 5 जून, 1996

विद्यालय :- काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

प्रसिद्धि :- लेखक, निबन्धकार, भारतीय-चिंतक, विद्वान, ललित निबन्धका

सम्मान व पुरस्कार :-

    • मूर्तिदेवी पुरस्कार, भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा, 1992
    • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल सम्मान 1971
    • आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार 1987
    • साहित्य भूषण 1995


कुबेरनाथ राय की प्रमुख रचनाएँ 

निबंध संग्रह :- प्रिया नीलकंठी, विषाद योग, निषाद बाँसुरी, अगम की नाव, रामायण महातीर्थम, पर्ण मुकुट, महाकवि की तर्जनी, गंधमादन, रस आखेटक, कामधेनु, मराल, चिन्मय भारत : आर्ष चिंतन के बुनियादी सूत्र, किरात नदी में चंद्रमधु, दृष्टि अभिसार, वाणी का क्षीरसागर, उत्तरकुरु में

कविता संग्रह :- कंठमणि


उत्तराफाल्गुनी के आस पास - कुबेरनाथ राय

कुबेरनाथ राय हिन्दी ललित परम्परा के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर, सांस्कृतिक निबन्धकार और भारतीय आर्ष चिन्तन के गन्धमादन थे। उनका 'उत्तर फाल्गुनी आस-पास' निबन्ध ज्योतिष शास्त्र से सम्बन्धित है।

वर्षा ऋतु का अन्तिम नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र होता है। लेखक ने उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र को व्यक्ति के जीवनकाल के परिप्रेक्ष्य में देखा है। उन्होंने बताया कि 25वें वर्ष तक व्यक्ति मस्त रहता है। प्रकृति की खूबसूरती के दर्शन करता है। 25 से 30 वर्ष की अवस्था तक वह काम, क्रोध तथा मोह में लीन रहता है। 30 वर्ष की आयु सृजनात्मक अवस्था होती है, जिसमें व्यक्ति अपने कार्यों से भावी जीवन की नींव रखता है। 30 वर्ष से 40 वर्ष तक वह अपने द्वारा किए गए

कर्मों का फल भोगता है तथा 40 वर्ष बाद उसे वृद्धावस्था के संकेत मिलने लगते हैं। उसकी इन्द्रियाँ क्षीण होने लगती हैं। मन का उत्साह कम होने लगता है तथा मन शान्त होने लगता है। लेखक को सृष्टि के सृजक ब्रह्मा को बूढ़ा मानने में आपत्ति है। उनका कहना है कि जो सम्पूर्ण विश्व को रचने वाला है वह बूढ़ा कैसे हो सकता है, क्योंकि ब्रह्मा की मूर्ति सभी जगह श्वेत बालों सहित बनी होती हैं। एक स्थान पर ब्रह्मा जी की युवा मूर्ति को देखकर उन्हें बहुत प्रसन्नता होती है। लेखक ने 40 वर्ष के बाद की अवस्था को उत्तराफाल्गुनी कहा है तथा इसको जीवन का अन्तिम पड़ाव माना है।

उत्तराफाल्गुनी के आस पास निबंध से संबंधित प्रश्नोत्तर:


प्रश्‍न 01. उत्तराफाल्गुनी के आसपास निबंध में उत्तरा फाल्गुनी से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: निबंधकार ने चालीस से लेकर पैंतालिस वर्ष की आयु को उत्तरा फाल्गुनी का काल कहा है। 


प्रश्‍न 02. उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे बच्चे कैसे होते हैं?

उत्तरउत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे लोग प्रेमी, मिलनसार होते हैं।


प्रश्‍न 03. उत्तराफाल्गुनी के आसपास निबंध के लेखक कौन हैं?

उत्तर: उत्तराफाल्गुनी के आसपास निबंध के लेखक कुबेरनाथ राय है।


प्रश्‍न 04. उत्तराफाल्गुनी के आसपास' का प्रकाशन वर्ष क्या है। 

उत्तरउत्तराफाल्गुनी के आसपास निबंध के रचियता कुबेरनाथ राय जी है। जिसका प्रकाशन - 1973 ई में हुआ था जो 'विषाद योग' निबंध संग्रह में संग्रहित है।


प्रश्‍न 05. कुबेरनाथ राय कैसे निबंधकार है

उत्तरकुबेरनाथ राय एक ललित निबंधकार है।