शिवशम्भू के चिट्ठे - बालमुकुन्द गुप्त

बालमुकुन्द गुप्त (Balmukund Gupta) जन्म 14 नवंबर 1865 को हरियाणा के जिला रेवाड़ी के गुड़ियानी गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम लाला पूरणमल था । गुप्त जी का पूरा जीवन अध्ययन, लेखन एवं संपादन में लागाया व जीवन भर स्वतंत्रता की अलख जगाए रखी।

शिवशंभु के चिट्ठे की समीक्षा

लेखक परिचय : बालमुकुन्द गुप्त

पूरा नाम :- बालमुकुन्द गुप्त (Balmukund Gupta)

जन्म :- 14 नवंबर 1865

निधन :- 18 सितंबर 1907

भाषा :- हिंदी

विधाएँ :- निबंध, कविता

बालमुकुन्द गुप्त की प्रमुख रचनाएँ 

उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं :-

    1. हरिदास,
    2. खिलौना,
    3. शिवशंभु का चिट्ठा,
    4. सन्निपात चिकित्सा,
    5. खेलतमाशा,
    6. स्फुट कविता,
    7. बालमुकुंद गुप्त निबंधावली।


शिवशम्भू के चिट्ठे- बालमुकुन्द गुप्त

'शिवशम्भू के चिट्ठे' बालमुकुन्द गुप्त का प्रसिद्ध निबन्ध संग्रह है। 'शिवशम्भू' कल्पित नाम है। इस संग्रह में विदेशी शासन, अंग्रेज़ अधिकारियों द्वारा किया गया भारत विरोधी कार्य, अंग्रेज़ों की भेद नीति, भारतीयों की गुलामी एवं लाचारी पर व्यंग्य मिलता है। गुप्त जी ने अंग्रेज़ी शासक लॉर्ड कर्जन के शासन काल में भारतीय जनता की दुर्दशा को अपने आठ चिट्ठों में व्यक्त किया है।

इन चिट्ठों में देश की राजनीतिक गुलामी और लॉर्ड कर्जन की निर्मम क्रूरताओं को प्रस्तुत किया गया है। अंग्रेज़ों के इस क्रूर प्रशासनिक क्षेत्र की कमजोरियों पर व्यंग्य किया गया है। शिवशम्भू के आठ चिट्ठों के नाम हैं- 'बनाम लॉर्ड कर्जन', 'श्रीमान का स्वागत', 'वैसराय कर्त्तव्य', 'पीछे मत फेंकिए', 'आशा का अन्त', 'एक दुराशा', 'बिदाई-सम्भाषण', 'बंग विच्छेद'।

इन चिट्ठों में सुयोग्य शब्द चयन, कहावतें, मुहावरों का प्रयोग मिलता है। संस्कृतनिष्ठ भाषा और संक्षिप्त वाक्य रचना का सुन्दर तारतम्य है। इनमें 'चिट्ठा शैली तथा कलात्मक शैली' का सुन्दर प्रयोग किया गया है।


शिवशम्भू के चिट्ठे निबंध से संबंधित प्रश्नोत्तर:

प्रश्‍न: 'शिवशंभु के चिट्ठे' किसको संबोधित है?

उत्तर: लॉर्ड कर्जन


प्रश्‍न: शिव शंभू के चिट्ठे के रचनाकार कौन है?

उत्तरशिव शंभू के चिट्ठे एक निबंध संग्रह है। इसकी रचना बाबू बालमुकुंद गुप्त ने की थी।


प्रश्‍न: बालमुकुंद के गुरु कौन थे?

उत्तरपं॰ प्रतापनारायण मिश्र 


प्रश्‍न: शिव शंभू के चिट्ठे का प्रकाशन कब हुआ?

उत्तर:शिवशंभु के चिट्ठे 1903 से 1907 ईसवी के मध्य 'भारत मित्र' पत्रिका में प्रकाशित हुए थे।