गजानन माधव मुक्तिबोध हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि, निबंधकार, आलोचक, कहानीकार तथा उपन्यासकार थे। उन्हें प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का सेतु माना जाता है।
मुक्तिबोध का जीवन परिचय
नाम - गजानन माधव मुक्तिबोध (Gajanan Madhav Muktibod)
जन्म - 13 नवम्बर, 1917, श्योपुर, ग्वालियर, मध्यप्रदेश
मत्यु - 1964, लंबी बीमारी के बाद, हबीबगंज, भोपाल में।
पिता - माधवराव मुक्तिबोध, पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर
माता - पार्वती बाई
पत्नी का नाम - शांता मुक्तिबोध
प्रारंभिक शिक्षा - उज्जैन
बी.ए. - 1938, इन्दौर
एम.ए. (हिंदी) - 1954, नागपुर विश्वविद्यालय
पेशा - लेखक, कवि, निबंधकार, साहित्यिक आलोचक, राजनीतिक आलोचक
प्रमुख साहित्यिक कृतियाँ
कविता संग्रह - चाँद का मुँह टेढ़ा है, भूरी भूरी खाक धूल तथा तारसप्तक में रचनाएं प्रकाशित
कहानी संग्रह - काठ का सपना, विपात्र, सतह से उठता आदमी।
उपन्यास - विपात्र
आलोचना - कामायनी : एक पुनर्विचार, नई कविता का आत्मसंघर्ष, नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, समीक्षा की समस्याएँ
आत्माख्यान - एक साहित्यिक की डायरी
विमर्श - भारत : इतिहास और संस्कृति
रचनावली - मुक्तिबोध रचनावली (सात खंड)
मुक्तिबोध - एक साहित्यिक की डायरी
भारत के प्रगतिशील कवि और हिन्दी साहित्य की स्वातन्त्र्योत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा 'एक साहित्यिक की डायरी' पुस्तक लिखी गई है। यह पुस्तक भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा 25 जून, 2000 में प्रकाशित की गई थी। मुक्तिबोध की डायरी उस सत्य की खोज है, जिसके आलोक में कवि ने अपने अनुभव को सार्वभौमिक अर्थ दिया है। 'हिन्दी में डायरी की विधा की यह प्रथम कृति है जो फैंटेसी, मनोविश्लेषण, तर्क कविता, आत्माख्यान के विविध स्तरों पर एक साथ चलती है। इस कृति में शैली, गुण और विकार तत्त्व दोनों ही विद्यमान हैं।
इसमें कुल 13 प्रकरणों का समावेश किया गया है, जो इस प्रकार हैं- 'तीसरा क्षण', 'एक लम्बी कविता का अन्त', 'हाशिये पर कुछ नोट्स', 'सड़क को लेकर एक बातचीत', 'एक मित्र की पत्नी का प्रश्नचिह्न', 'नए की जन्म कुण्डली', 'एक कुटुयान और काव्य सत्य', 'कलाकार की व्यक्तिगत ईमानदारी' आदि। मुक्तिबोध की डायरी केवल निजी स्मृतियाँ नहीं है, इसमें साहित्य सम्बन्धी तथ्यों को डायरी विधा में एक काल्पनिक मित्र केशव के साथ हुए संवाद के रूप में लिखा गया है। कहीं-कहीं केशव के स्थान पर 'मित्र' वह अथवा अन्य किसी पात्र के साथ संवाद शैली में निबन्ध रचना की गई है। जिसमें काव्य-सम्बन्धी आधारभूत तत्त्वों, शिल्प स्वरूप रचना की स्थितियाँ, परिस्थितियों के साथ रचनाकार की रचना प्रक्रिया का भी सूक्ष्म विश्लेषण किया गया है। इसमें कहीं-कहीं नाटकीय शैली के भी दर्शन होते हैं।
मुक्तिबोध की डायरी की भाषा सहज सरलता के कलेवर से युक्त है। उनका विचार-विमर्श और लम्बे-लम्बे संवाद एक विशेष प्रकार की संवेदनात्मक उपस्थिति दर्ज करते हैं। इसमें विचारों की गम्भीरता है तथा भावात्मक व आत्मपरक तत्त्व शामिल हैं।
एक साहित्यिक की डायरी में आये निबंध
‘एक साहित्यिक की डायरी’ में कुल 13 निबंध शामिल हैं, जिनकी रचना अलग-अलग समय पर हुई और जिनमें लेखक के विचारों, अनुभवों तथा समकालीन लेखकों के साथ संवाद की झलक मिलती है। ये निबंध इस प्रकार हैं:
1. तीसरा क्षण – नवम्बर 1958 में वसुधा पत्रिका में प्रकाशित हुआ। इसमें लेखक और केशव के बीच के संवाद को प्रस्तुत किया गया है।
2. एक लंबी कविता का अंत – यह रचना सितम्बर 1957 में नव लेखन पत्रिका में छपी। इसमें लेखक, उनकी पत्नी, शरद जोशी और अक्षय कुमार जैसे पात्रों के माध्यम से साहित्यिक बहस उभरती है।
3. डबरे पर सूरज का बिंब – सितम्बर 1957 में वसुधा में प्रकाशित इस निबंध में लेखक और "वह" के बीच गहराई से विचार-विनिमय होता है।
4. हाशिये पर कुछ नोट्स – अगस्त 1957 में वसुधा में आया यह लेख लेखक और उसके मित्र की बातचीत के रूप में लिखा गया है।
5. सड़क को लेकर एक बातचीत – अप्रैल 1957 में वसुधा पत्रिका में छपा यह निबंध सड़क विषय पर लेखक और उसके मित्र की चर्चा को सामने लाता है।
6. एक मित्र की पत्नी का प्रश्नचिह्न – जनवरी 1958 में प्रकाशित यह रचना लेखक, उसके मित्र और मित्र की पत्नी के बीच के संबंधों पर सवाल उठाती है।
7. नये की जन्म कुंडली – एक – जून 1957 की वसुधा पत्रिका में प्रकाशित यह निबंध लेखक, एक बुद्धिमान व्यक्ति और उसके मित्र के संवाद पर आधारित है।
8. नये की जन्म कुंडली – दो – जून 1957 में प्रकाशित इस दूसरे भाग में भी लेखक और उसका मित्र नए विचारों की पड़ताल करते हैं।
9. वीरकर – नवम्बर 1957 में वसुधा में आया यह लेख वीरकर और लेखक के आपसी विचारों को उजागर करता है।
10. विशिष्ट और अद्वितीय – अक्टूबर 1958 की वसुधा पत्रिका में प्रकाशित यह निबंध मुक्तिबोध, उनकी पत्नी, एक लड़का और डिप्टी डायरेक्टर जैसे पात्रों को समेटे है।
11. कुटुयान और काव्य सत्य – अक्टूबर 1957 में छपा यह लेख मुक्तिबोध, इंदिरा, कृष्णमुरारि शुक्ल और डॉ. पटवर्धन के संवादों पर आधारित है।
12. कलाकार की व्यक्तिगत ईमानदारी – एक – अक्टूबर 1957 में प्रकाशित इस निबंध में मुक्तिबोध और यशराज के जरिए एक कलाकार की आंतरिक सच्चाई को सामने रखा गया है।
13. कलाकार की व्यक्तिगत ईमानदारी – दो – इस श्रृंखला का दूसरा भाग अक्टूबर 1960 में वसुधा में प्रकाशित हुआ, जहाँ मुक्तिबोध और यशराज की बातचीत आगे बढ़ती है।
एक साहित्यिक की डायरी के महत्त्वपूर्ण तथ्य
एक साहित्यिक की डायरी का प्रथम प्रकाशन - 1964 में हुआ था।
एक साहित्यिक की डायरी हिन्दी में डायरी विद्या की पहली कृति है जो फैण्टेसी, मनोविश्लेषण, तर्क, कविता, आत्माख्यान के विविध स्तरों पर एक साथ चलती है।
मुक्तिबोध की डायरी निजी स्मृतिया ना होकर इसमें साहित्य सम्बन्धी तथ्यों का डायरी विद्या में एक काल्पनिक मित्र केशव के साथ हुए संवाद के रूप में लिखा गया है।
मुक्तिबोध ने 'एक साहित्यिक की डायरी' में कुल 13 प्रकरणों का समावेश किया गयाने दस प्रकार है - तीसरा क्षण, एक लंबी कविता का अंत, डबेर पर सूरज का बिंब, हाशिये पर नोट्स, सड़क काइस कृति का प्रथम प्रकरण 'तीसराक्षण' में उनके काल्पनिक मित्र केशव के साथ बौद्धि वार्तालाप है।
"तीसरा क्षण” के अन्तर्गत मुक्तिबोध ने कला के तीन क्षण माने है।
- कला का पहला क्षण - जीवन का उत्कृष्ट तीव्र अनुभव क्षण
- कला का दूसरा क्षण - इस अनुभव का अपने कसकते हुए दुःखते हुए मूलो से प्रथक हो जाना और एक ऐसी फैण्टेसी का रूप धारण कर लेना मानो वह फैण्टेसी अपनी आंखो के सामने खड़ी हो।
- कला का तीसरा और अंतिम क्षण - फैण्टेसी के शब्द बद्ध होने की प्रक्रिया का आरंभ और उस प्रक्रिया की परिपूर्णावस्था की गतिमानताइस प्रकार मुक्तिबोध तीसरा क्षण की बात करते हुए कहते है कि फैण्टेसी जितना शब्दबद्ध का प्रयत्न किया जाता है फैण्टेसी अपने मूल रूप से उतनी ही दूर चली जाती है।
एक साहित्यिक की डायरी का तीसरा प्रकरण है, डबरे पर सूरज का बिम्ब। इसमें मुक्तित् व्यंग्य शैली के दर्शन होते है इसमें मुक्तिबोध ने मध्यम वर्गीय संस्कारो वाले बुद्धिजीवी का मानसिकता पर व्यंग्य किया है।
यह एक चिन्तन है अर्थात् निबन्ध शैली में लिखी गयी रचना है। उनके ये निबन्ध कहानीनुमा है जो पाठक को बांधे रखते है।
इसकी प्रथम पाण्डुलिपि मार्च 1964 में भोपाल में श्रीकान्त वर्मा को दी गई। इसका प्रकाशन जबलपुर से प्रकाशित होने वाली पत्रिका 'वसुधा' के साहित्यिक की डायरी के स्तम्भ में प्रकाशित होती रही।
Ek Sahityik Ki Diary MCQ
प्रश्न 01. 'अरे यायावर रहेगा याद' के संदर्भ मे संगत बताइए ?
- यात्रा वृतांत में दवितीय विश्वयुद्ध से लेकर आजादी तक के पूरे हिन्दुस्तान का भूगोल और कालखण्ड सामने रखा है।
- अज्ञेय ने अपनी यात्रा में लाहौर, कश्मीर, पंजाब, बंगाल, औरंगाबाद, असम आदि प्रदेशों उल्लेख किया है।
- इसमें भारतीय क्षेत्रों की यात्रा का वर्णन है।
- इस पुस्तक में अज्ञेय एलुरा अलिफता, कन्याकुमारी, हिमाचल आदि का यात्रा करते है
- उपर्युक्त सभी।
उत्तर: 5. उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 02. मुक्तिबोध के संदर्भ मे कथन सही है?
- मनुष्य का व्यक्तित्व एक गहरा रहस्य है।
- सौन्दर्य प्रतीति का संबंध सृजन प्रक्रिया से है "
- अनास्था आस्था की पुत्री है।
- आलोचक साहित्य का दरोगा है।
- उपर्युक्त सभी
उत्तर: 5. उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 03. पार्श्व गिरि का नम चीड़ों में, डगर चढ़ती उगंगों-सी बिछी पैरों में नदी, ज्यों दर्द की रेखा । बिहग-शिशु मौन नीड़ो में । उपर्युक्त पंक्ति किस प्रस्तक से है?
- अरे यायावर रहेगा याद
- एक बूँद सहसा उछली
- मेरी तिब्बत यात्रा
- जामुन का पेड़
उत्तर: 1. अरे यायावर रहेगा याद
प्रश्न 04. 'अरे यायावर रहेगा याद' के अनुसार असमिया के लोग शिवसागर को किस नाम से उच्चारण करते है?
- सिवसागर
- हिवसागर
- विवसागर
- विश्वसागर
उत्तर: 2. हिवसागर
प्रश्न 05. 'एक साहित्यिक की डायरी' के काल्पनिक पात्र है।
- यशराज
- केशव
- वीरकर
- उपर्युक्त सभी
उत्तर: 4. उपर्युक्त सभी
प्रश्न 06. 'अरे यायावर रहेगा याद' का प्रकाशन वर्ष है?
- 1953
- 1952
- 1951
- 1954
उत्तर: 1. 1953
प्रश्न 07. 'अरे यायावर रहेगा याद' में कितने अध्याय है?
- 8
- 10
- 5
- 7
उत्तर: 1. 8
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