शिवरानी देवी - प्रेमचन्द घर में (जीवनी)

"प्रेमचन्द घर में" शिवरानी देवी द्वारा लिखित एक आत्मीय और अंतरंग जीवनी है जो हिंदी साहित्य के महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद के जीवन के निजी पहलुओं को उजागर करती है। यह सिर्फ एक जीवनी नहीं, बल्कि एक पत्नी द्वारा अपने पति की संवेदनशील, संघर्षपूर्ण और सजीव छवि प्रस्तुत करने का प्रयास भी है।


    शिवरानी देवी का जीवन परिचय

    नाम - शिवरानी देवी (Shivrani Devi)

    पिता का नाम - मुंशी देवीप्रसाद 

    पति - मुंशी प्रेमचंद

    रचनाऍं - प्रेमचंद धर में , कौमुदी, पगली और नारी हृदय। 

    प्रेमचन्द घर में (जीवनी) का विषय 

    • प्रेमचन्द के व्यक्तित्व का चित्रण । 
    • समाज सेवा में विश्वास। 
    • जीवन भर साहित्य सेवा की। 
    • आदर्श पति के रूप में फर्ज निभाया। 
    • गांधी विचारधारा से प्रभावित । 
    • दयावान, संवेदनशील, भावुक व्यक्तित्व के धनी। 
    • दिखाने से दूर, वास्तविकता में विश्वास।

    प्रेमचंद घर में शिवरानी देवी PDF

     प्रेमचन्द घर में (जीवनी) के प्रमुख पात्र

    • अजायबराय (प्रेमचन्द के पिता)
    • आनन्दी देवी (प्रेमचन्द की माता)
    • शिवरानी देवी (प्रेमचन्द की पत्नी)
    • कमला (प्रेमचन्द की बेटी)
    • अमृतराय (बन्नू)
    • श्रीपतराय (धन्नू)  (प्रेमचन्द के पुत्र)
    • वासुदेव प्रसाद (प्रेमचन्द के जमाई) 
    • ज्ञानचन्द (प्रेमचन्द का नाती)

    शिवरानी देवी - प्रेमचन्द घर में 

    प्रेमचन्द जी की पत्नी शिवरानी देवी ने 'प्रेमचन्द घर में' नाम से उनकी जीवनी लिखी और उनके व्यक्तित्व के उस हिस्से को उजागर किया है, जिससे लोग अनभिज्ञ थे। इस जीवनी में लिखी गई हर घटना सत्य पर आधारित है, क्योंकि उन्होंने खुद उन पलों को जिया है, महसूस किया है। 

    यह पुस्तक वर्ष 1949 में प्रथम बार प्रकाशित हुई तथा वर्ष 2005 में संशोधित करके इसे पुनः प्रकाशित किया गया। यह साहित्य की एक अमूल्य निधि है। 

    प्रेमचन्द एक महान् साहित्यकार तथा सहृदय होने के अतिरिक्त एक संवेदनशील पति भी थे, वे स्त्री-पुरुष समानता के पक्षधर थे। उन्होंने अपनी पत्नी को हमेशा लिखने तथा सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। शिवरानी ने इस पुस्तक में प्रेमचन्द जी के साथ बिताए हुए जीवन के सुनहरे पलों को सहज संवेदना के साथ लिखा है। जीवन के अन्तिम क्षणों में भी प्रेमचन्द जी ने साहित्य रचना का साथ नहीं छोड़ा और उनका पत्नी के प्रति लगाव और भी बढ़ गया। शिवरानी अपने पति की महानता को उनके मरणोपरान्त ही समझ पाईं। उनकी मृत्यु के पश्चात् शिवरानी देवी का वह विलाप हृदय को छू लेता है कि जब तक जो चीज हमारे पास रहती है तब तक हमें उसकी कद्र नहीं होती, लेकिन वो जब हमसे ओझल हो जाती है, तो हमारा मन पछताता रहता है और तब हमारे पास दुःखी होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। 

    प्रेमचन्द के मरणोपरान्त शिवरानी देवी के जीवन में भी ऐसी ही परिस्थितियाँ उत्पन्न हुईं। ऐसे में उनकी लेखनी से साहित्य जगत के लिए संग्रहनीय जीवनी फूटी। इस जीवनी में साहित्य प्रेमी प्रेमचन्द का केवल साहित्यकार का रूप ही नहीं, अपितु उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व का वर्णन है।

    प्रेमचन्द घर में (जीवनी) के महत्त्वपूर्ण तथ्य

    ‘प्रेमचंद घर में’ शिवरानी देवी द्वारा लिखित प्रेमचंद की एक जीवनी है, जिसका पहला प्रकाशन 1944 ईस्वी में हुआ था। इस पुस्तक में प्रेमचंद के बचपन से लेकर उनके अंतिम दिनों तक की कुल 88 घटनाओं का वर्णन किया गया है।

    शिवरानी देवी मुंशी देवीप्रसाद की पुत्री थीं, जो बालविधवा हो गई थीं। बाद में उनका विवाह सन् 1905 में मुंशी प्रेमचंद से हुआ। उन्होंने अपनी बेटी कमला का कन्यादान स्वयं किया था। उनके दो बेटे थे – धुन्नू (श्रीपतराय) और बन्नू (अमृतराय)।

    शिवरानी देवी की कुछ रचनाएँ 'चाँद' और 'हंस' जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई थीं। वे बताती हैं कि उनकी पहली कहानी ‘साहस’ थी, जो 'चाँद' में छपी थी।

    उन्हें हमेशा इस बात का अफसोस रहा कि वे अपने पति प्रेमचंद की महानता को उनके जीवनकाल में पूरी तरह समझ नहीं पाईं। प्रेमचंद की मृत्यु के समय उनका एक मार्मिक अनुभव उल्लेखनीय है, जिसमें वे कहती हैं, “जब तक कोई चीज़ हमारे पास होती है, उसकी अहमियत समझ में नहीं आती, लेकिन जब वह हमसे छिन जाती है, तब केवल पछतावा ही रह जाता है।”

    'प्रेमचंद घर में' जीवनी को 2005 में प्रेमचंद के नाती प्रबोध कुमार ने संशोधित रूप में पुनः प्रकाशित कराया। हालाँकि प्रेमचंद की जीवनी उनके पुत्र अमृतराय (‘कलम का सिपाही’) और कई अन्य विद्वानों ने भी लिखी है, फिर भी शिवरानी देवी की जीवनी विशेष मानी जाती है क्योंकि यह केवल सुनी या पढ़ी बातों पर नहीं, बल्कि उनके साथ जिए गए अनुभवों पर आधारित है। इसी वजह से यह अधिक सजीव, भावनात्मक और प्रभावशाली बन जाती है।

    इस पुस्तक की श्रद्धांजलि बनारसीदास चतुर्वेदी ने दी है और भूमिका स्वयं शिवरानी देवी ने लिखी है। उन्होंने इसे प्रेमचंद को समर्पित करते हुए लिखा है:
    "स्वामी, तुम्हारी ही चीज़ तुम्हारे चरणों में चढ़ाती हूँ। इस तुच्छ सेवा को अपनाना। तुम्हारी दासी या रानी – शिवरानी।"

    पुस्तक की शुरुआत प्रेमचंद के ‘बचपन’ से होती है। प्रेमचंद अपनी पहली शादी की ज़िम्मेदारी अपनी चाची के पिता को मानते थे, और यह भी बताते हैं कि चाची के कारण उनकी पत्नी से संबंध अच्छे नहीं रहे और अंततः वह विवाह टूट गया।

    प्रेमचंद के पिता उन्हें बनारस में पढ़ाई के लिए हर महीने पाँच रुपये भेजते थे। वहीं, शिवरानी देवी बताती हैं कि उनकी पहली शादी 11 साल की उम्र में हुई थी और कुछ ही महीनों में वे विधवा हो गईं। उनके पिता ने जब दूसरा विवाह तय करने के लिए इश्तहार निकाला, तो प्रेमचंद ने स्वयं उनसे विवाह के लिए पत्र लिखा।

    शिवरानी देवी बताती हैं कि उनकी शादी फागुन में हुई और चैत्र महीने में प्रेमचंद सब-इंस्पेक्टर बन गए थे। शादी के बाद वह एक महीने प्रेमचंद के साथ रहतीं और फिर दस महीने अपने मायके में बितातीं।

    उन्होंने महोबा की एक दिलचस्प परंपरा का भी ज़िक्र किया है, जहाँ महिलाएँ बारात लौटने के बाद रात में हर घर जाती हैं – एक हाथ में आरती की थाली और दूसरे हाथ में बेलन लेकर। यदि कोई पुरुष बारात में नहीं गया होता, तो उसे बेलन से मारा जाता।

    शिवरानी देवी के अनुसार प्रेमचंद का पहला उपन्यास ‘कृष्णा’ था, जो प्रयाग से प्रकाशित हुआ था।

     प्रेमचन्द घर में (जीवनी) के प्रश्‍नोउत्‍तर 

    1. प्रेमचन्द घर में किस विधा की रचना है - जीवनी 
    2. प्रेमवन्द घर में किसके द्वारा लिखित है - शिवरानी देवी 
    3. प्रेमवन्द घर में लेखिका ने प्रेमचन्द के बचपन से लेकर अंतिम दिनों की कुल कितनी घटनाओं का वर्णन किया है - 88 
    4. प्रेमचन्द घर में की श्रद्धाजंलि अंश" किसके द्वारा लिया गया है - बनारसीदास चतुर्वेदी 
    5. प्रेमचन्द घर में, की आमुख किसके द्वारा लिखा गया है - शिवरानी देवी 
    6. स्वामी; तुम्हारी ही चीज तुम्हारे चरणों में चढ़ाती है। इस तुच्छ सेवा को अपनाना, किसका कथन है - शिवरानी देवी
    7. शिवरानी देवी ने प्रेमचंदे घर में प्रेमबंद का पहला उपन्यास किसको बताया है - कृष्‍णा 
    8. प्रेमवन्द की पहली पत्नी शिवरानी देवी से किस भाषा । लिपि में बात करती थी  - कैथी 
    9. शिवरानी देवी ने प्रेमचन्द घर में प्रेमचन्द के जीवन में कितनी बार गुस्साने को बताया है - दो बार

    एक टिप्पणी भेजें

    0 टिप्पणियाँ