'अरे यायावर रहेगा याद' तथा 'एक बूँद सहसा उछली' उनके महत्त्वपूर्ण यात्रा वृतांत हैं और ये संपूर्ण हिंदी यात्रा-साहित्य में अद्वितीय स्थान रखते हैं। 'अरे यायावर रहेगा याद' में भारतीय क्षेत्रों की यात्रा का वर्णन है। 'एक बूँद सहसा उछली' में अज्ञेय ने अपनी यूरोपीय यात्रा को सृजनात्मक रूप प्रदान किया है।
कुल मिलाकर अज्ञेय अपने यात्रा-साहित्य में यात्रा-स्थलों की ही भरपूर जानकारी नहीं देते, उनसे जुड़े मानव के इतिहास और सांस्कृतिक चरित्र पर भी उनकी आँख बराबर रहती है।
अज्ञेय का जीवन परिचय
लेखक का पूरा नाम :- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
जन्म :- 7 मार्च, 1911 (कुशीनगर, उत्तर प्रदेश)
मृत्यु :- 4 अप्रैल, 1987 (नई दिल्ली)
पिता :- पण्डित हीरानंद शास्त्री
पत्नी :- कपिला वात्स्यायन
प्रमुख कृतियां :-
कविता संग्रह -- हरी घास पर क्षणभर
- बावरा अहेरी
- आँगन के द्वार पर
- कितनी नावों में कितनी बार आदि।
- विपथगा
- परम्परा
- कोठरी की बात
- शरणार्थी
- यदोल
- शेखर एक जीवनी - प्रथम भाग (उत्थान), द्वितीय भाग (संघर्ष)
- नदी के द्वीप
- अपने अपने अजनबी
नाटक - उत्तरप्रियदर्शी
- अरे यायावर रहेगा याद?
- एक बूँद सहसा उछली
- सबरंग त्रिशंकु
- आत्मनेपद
- आधुनिक साहित्य: एक आधुनिक परिदृश्य आलवाल
- सब रंग और कुछ राग
- त्रिशंकु
- आत्मनेपद
- भवन्ती
- अद्यतन
संस्मरण - स्मृति लेखा
डायरियां - भवंती, अंतरा और शाश्वती।
जीवनी - रामकमल राय द्वारा लिखित शिखर से सागर तक।
पुरस्कार/सम्मान :-
- साहित्य अकादमी 1964 मे (आंगन के पार द्वार)
- भारतीय ज्ञानपीठ 1978 में (कितनी नावों में कितनी बार)
- हिंदी साहित्य जगत में अज्ञेय को ‘प्रयोगवाद’ के प्रवर्तक (जनक) के रूप में जाना जाता हैं।
- अज्ञेय ने सैनिक और विशाल भारत नामक पत्रिकाओं का सम्पादन का कार्य भी किया।
- यह क्रांतिकारियों के लिए बम बनाते थे, इसी कारण इन्हें 1930 में 6 वर्ष के लिए उन्हीं जेल के जाना पड़ा।
अज्ञेय - अरे यायावर रहेगा याद (यात्रा साहित्य)
रचना- 'अरे यायावर रहेगा याद'
रचनाकार - सच्चितानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
विधा - यात्रा साहित्य
प्रकाशन - 1953 ई.
स्थान - भारत भ्रमण असम, बंगाल, जम्मुकश्मीर, लाहौर, हिमालयी क्षेत्र की यात्रा।
विशेषता - किसी भी स्थान का सांस्कृतिक, ऐतिहासिक भौगोलिक वर्णन ।
पुस्तक की विषय-सूची
'अरे यायावर रहेगा याद' यात्रा-वृत्तांत को अज्ञेय ने आठ उपशीर्षकों में बाँटा हैं-
1. परशुराम से तूरखम (एक टायर की राम-कहानी)
2. किरणों की खोज में
3. देवताओं के अंचल में
4. मौत की घाटी में
5. एलुरा
6. माझुली
7. बहता पानी निर्मला
8. सागर-सेवित, मेघ-मेखलित (कन्याकुमारी)।
अरे यायावर रहेगा याद समीक्षा
'अरे यायावर रहेगा याद' पुस्तक सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' द्वारा रचित यात्रा वृत्तान्त है। इसमे आठ यात्रा वृत्तान्तों का वर्णन है और सभी में पर्याप्त विविधता है। यात्राओं में उं असम, बंगाल, औरंगाबाद, कश्मीर, पंजाब व हिमाचल प्रदेश के भू-भागों का वर्णन है तथा इसमें तमिलनाडु के अति प्राचीन मन्दिरों के बारे में भी बताया गया है है। इस पुस्तक की शुरुआत ब्रह्मपुत्र के मैदानी भाग में अवतरण से हुई, फिर बात हिमालय की दुर्गम झील में डेरा डालने की हुई और अन्त एलोरा की गुफाओं में इतिहास खोजने की कोशिश से हुआ।
'अज्ञेय' जी के यात्रा वृत्तान्तों को पढ़ते समय पाठक को लगता है कि वह अज्ञेय जी के साथ स्वयं पहाड़ों में व नावों में घूम रहा है। लेखक ने स्थानीय लोगों के साथ उनकी भाषा में बात करके कई स्थानों के बारे में प्रचलित किंवदन्तियों के बारे में बताया है।
'अज्ञेय' जी ने एक लेख में पर्यटकों की जिम्मेदारियों का भी बोध कराया है। लाहौली लोगों में अपनी संस्कृति के प्रति अभिमान और बाहर से आने वाले लोगों के प्रति अनभिज्ञता का वर्णन करते हुए चिन्ता व्यक्त की है कि बाहर से आने वाले लोग किस प्रकार नशा, व्यसन आदि यहाँ पर लेकर आते हैं। माना कि पहाड़ी जनजातियाँ पर्यटकों की जीवन पद्धति के अनुसार विकसित नहीं हैं लेकिन उनमें विकृतियाँ तो नहीं हैं।
'अज्ञेय' जी के यात्रा वृत्तान्तों में पर्यावरण का, इतिहास का व साहित्य का चिन्तन देखने को मिलता है। उन्होंने प्रचलित ऐतिहासिक गाथा को उपलब्ध प्राकृतिक अवरोधों से तौलने की कोशिश की है और सोचा है कि उस समय क्या हुआ होगा।
'अज्ञेय' जी की भाषा संस्कृतनिष्ठ है। यात्रा वृत्तान्त की शैली कहानीमय है। ऐसा लगता है कि अज्ञेय जी कोई कहानी कह रहे हैं। हम सब उस कहानी के पात्र हैं। बीच-बीच में उन्होंने संस्कृत में सूक्तियाँ भी लिखीं और हिन्दी की कविताएँ भी रचीं जो कि उतनी ही अच्छी हैं जितने अज्ञेय जी के यात्रा वृत्तान्त।
'अज्ञेय' जी की दृष्टि के कारण यात्रा, भ्रमण की बजाय एक ऐसी घटना बन सकी जिसकी क्रिया-प्रतिक्रिया में अपना कुछ अगर खो जाता है तो बहुत कुछ मिल भी जाता है। अपना बहुत कुछ खोने, पाने और सृजन करने का नाम है 'अरे यायावर रहेगा याद'।
अरे यायावर रहेगा याद के महत्त्वपूर्ण तथ्य
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' की यात्रा वृतांत या यात्रा-संस्मरण 'अरे यायावर रहेगा याद' का प्रथम प्रकाशन 1953 ई. में हुआ।
अज्ञेय की एक और यात्रा संस्मरण 'एक बूँद सहसा उछली' भी है जिसका प्रकाशन 1960 ई. में हुआ है। 'एक बूँद सहसा उछली' में 'यूरोपीय' यात्राओं का चित्रण है।
इसके अतिरिक्त 'जन जानकी' (1984 ई.) नामक यात्रा-संस्मरण का संपादन भी किया है।
आधुनिक हिन्दी साहित्य में राहुल सांकृत्यायन 'घुम्मकड़ प्रवृत्ति' के साहित्यकार माने जाते हैं।
'राहों के अन्वेषी' के रूप विख्यात अज्ञेय अपने जीवन में देश-विदेश की अनेक यात्राएं की।
अज्ञेय जी अपने यात्रा वृत्तांतों के माध्यम से भारतीय संस्कृति के मिथकों, पौराणिक कथाओं आदि को वर्णित करते है, जो सैकड़ों वर्षों से हमारी वाचिक और साहित्यिक परंपरा में किसी-न-किसी रूप में विद्यमान रहे हैं।
अरे यायावर रहेगा याद में 'अज्ञेय' की 'भारतीय' यात्राओं का चित्रण है।
अज्ञेय द्वारा रचित 'अरे यायावर रहेगा याद' का आरम्भ 'परशुराम' के लेख से होता है।
'बहता पानी निर्मल' शीर्षक वृत्तांत में अज्ञेय लिखते हैं "यों तो वास्तविक जीवन में भी काफ़ी घूमा-भटका हूं, पर उस से कभी तृप्ति नहीं हुई, हमेशा मन में यही रहा कि कहीं और चलें, कोई नयी जगह देखें और इस लालसा ने अभी भी पीछा नहीं छोड़ा है।"
अज्ञेय स्वयं को न तो 'नगर' का मानते हैं और ना ही 'ग्राम' का, वे तो अपने को 'अटवी' का मानते हैं। जिस प्रकार अटवी यानी जंगल के प्राणी विमुक्त रूप से विचरण करते रहते हैं ठीक वैसे ही अज्ञेय भी आजीवन भ्रमण करते रहे।
अज्ञेय ने बाह्य-यात्राओं की तुलना में अधिक अंतर्यात्राएँ की हैं। एक जगह पर अज्ञेय ने लिखा भी हैं- "वास्तव में जितनी यात्राएँ स्थूल पैरों से करता हूँ, उस से ज्यादा कल्पना के चरणों से करता हूं।" अज्ञेय कहीं रुके नहीं। अज्ञेय की मान्यता है कि "देवता भी जहां रुके कि शिला हो गये, और प्राण-संचार के लिए पहली शर्त है गति, गति, गति !"
इसीलिए यह 'यायावर' हमेशा भटकता रहा, कभी भी अपने पैरों तले घास जमने नहीं दिया।
Are Yayavar Rahega Yaad MCQ
प्रश्न 1. स्वयं सुन्दर न हो कर भी मैं संसार के अखिल सौन्दर्य की नींव हूँ, क्योकि मैं संस्कृति की नींव हूँ।
उपर्युक्त कथन किस रचना में उद्धृत है।
- मेरी तिब्बत यात्रा
- अरे यायावर रहेगा याद
- आवारा मसीहा
- आपहुदरी
उत्तर: 2. अरे यायावर रहेगा याद
प्रश्न 2. 'अरे यायावर रहेगा याद' का प्रकाशन वर्ष है?
- 1953
- 1952
- 1951
- 1954
उत्तर: 1. 1953
प्रश्न 3. 'अरे यायावर रहेगा याद' के अध्याय को पहले से बाद के क्रम में रखे ?
- किरणों की खोज
- परशुराम से तूखाराम खरम
- मौत की घाटी
- माझुली
- एलुरा
निचे दिए गए विकल्पो में से सही उत्तर का चयन कीजिए -
(c) केवल 2, 3, 5, 4, 1
(B) केवल 1, 2, 3, 4, 5
(D) केवल 3,1, 2, 4, 5
उत्तर: (A) केवल 2, 1, 3, 5, 4
प्रश्न 4. एक साहित्यिक की डायरी किसने प्रकाशित करवाया था?
- श्रीकांत वर्मा
- लक्ष्मीकांत वर्मा
- रामकुमार वर्मा
- बच्चन सिंह
उत्तर: 1. श्रीकांत वर्मा
प्रश्न 5. फैंटेसी को 'अनुभव की कन्या' किसने कहा है।
- वच्चन सिंह
- रामविलास शर्मा
- मुक्तिबोध
- रामस्वरूप चतुर्वेदी
उत्तर: 3. मुक्तिबोध
प्रश्न 6. 'एक साहित्यिक की डायरी' के काल्पनिक पात्र है -
- यशराज
- केशव
- वीरकर
- उपर्युक्त सभी
उत्तर: 4. उपर्युक्त सभी
प्रश्न 7. मुक्तिबोध के संदर्भ मे कथन सही है?
- मनुष्य का व्यक्तित्व एक गहरा रहस्य है।
- सौन्दर्य प्रतीति का संबंध सृजन प्रक्रिया से है'
- अनास्था आस्था की पुत्री है।
- आलोचक साहित्य का दरोगा है।
- उपर्युक्त सभी
उत्तर: 5. उपर्युक्त सभी
प्रश्न 8. अरे यायावर रहेगा याद' के संदर्भ में सुमेलित है?
- रोहतांग - मौत की घाटी
- शिवसागर - दिवसागर
- जल्दावाद - स्वर्ग की बस्ती
- उपर्युक्त सभी
उत्तर: 4. उपर्युक्त सभी
प्रश्न 9. 'अरे यायावर रहेगा याद' के संदर्भ मे संगत बताइए ?
- इस यात्रा वृतांत में द्वितीय विश्वयुद्ध से लेकर आजादी तक के पूरे हिन्दुस्तान का भूगोल और कालखण्ड सामने रखा है।
- अज्ञेय ने अपनी यात्रा में लाहौर, कश्मीर, पंजाब, बंगाल, औरंगाबाद, असम आदि प्रदेशों उल्लेख किया है।
- इसमें भारतीय क्षेत्रों की यात्रा का वर्णन है।
- इस पुस्तक में अज्ञेय एलुरा अलिफता, कन्याकुमारी, हिमाचल आदि का यात्रा करते है
- उपर्युक्त सभी।
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