कृष्ण चंदर का जीवन परिचय
जन्म - 23 नवंबर 1914, भरतपुर, राजस्थान
निधन - 08 मार्च 1977, मुंबई, महाराष्ट्र
पिता का नाम - श्री गौरी शंकर चोपड़ा
पत्नी का नाम - सलमा सिद्दीक़ी
भाषा - उर्दू, हिंदी
विधा - कहानी, उपन्यास
मुख्य रचनाएँ - एक गधे की आत्मकथा, काग़ज़ की नाव, सपनों का कैदी, एक वाइलिन समुंद्र के किनारे आदि।
सम्मान - पद्मभूषण (1969), साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार।
कृष्ण चन्दर - जामुन का पेड़ (कहानी)
रचनाकार का नाम - कृष्ण चंदर (Krishan Chander)
कहानी का प्रकाशन वर्ष - 1960 ई.
मुख्य पात्र -
- एक कवि
- आंधी में सचिवालय के लॉन में जामुन के पेड़ के नीचे दब जाता है।
अन्य पात्र -
- सुपरिटेंडेंट
- अन्य सरकारी कर्मचारी
- मुख्य सचिव
- प्रधानमंत्री
- कृषि, वन, संस्कृति, स्वास्थ्य और विदेश मंत्रालय के अधिकारी आदि।
जामुन का पेड़ कहानी का सारांश
कृष्ण चन्दर की प्रसिद्ध कहानी 'जामुन का पेड़' एक व्यंग्यात्मक कहानी है। यह कहानी एक ऐसे फलदायी पेड़ के चारों ओर घूमती है, जिसके नीचे दबकर एक व्यक्ति अपने प्राणों को त्याग देता है। कहानी के प्रारम्भमें सेक्रेटेरियट के लॉन में जामुन का एक पेड़ गिर जाता है। देखने पर पता चलता है कि पेड़ के नीचे एक आदमी भी दबा हुआ है। वहाँ खड़े लोग उसे निकालने का प्रयास करते हैं, परन्तु व्यापार विभाग का यह निर्णय आता है कि फाइल कृषि विभाग भेजी जा रही है। इस प्रकार फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग जाती रहती है। यहाँ दबे हुए व्यक्ति की फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग, दूसरे से तीसरे विभाग चलती रहती है, किन्तु कोई निर्णय नहीं लिया जाता। अन्त में फाइल प्रधानमन्त्री के पास पहुँचती है और पेड़ को काटने का हुक्म दे दिया जाता है। अन्त में पेड़ उठाने या काटने की कार्यवाही में इतनी अधिक देर हो जाती है कि पेड़ के नीचे दबा हुआ व्यक्ति अपने प्राणों से हाथ धो बैठता है। इस प्रकार जामुन के पेड़ के नीचे दबा व्यक्ति सरकारी कर्मचारियों की उदासीनता और लापरवाही के कारण दम तोड़ देता है।
प्रस्तुत कहानी 'जामुन का पेड़' के माध्यम से कहानीकार ने सरकारी दफ्तरों और विभागों द्वारा की जाने वाली लापरवाही पर तीखा व्यंग्य करते हुए यह बताया है कि सरकारी कार्यालयों में समय पर कोई भी फैसला नहीं लिया जाता और मामला ज्यों-का-त्यों एक विभाग से दूसरे विभाग तक चलता रहता है। सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारियों को आम आदमी की परेशानी, पीड़ा, दुःख आदि की कोई चिन्ता नहीं होती। सरकारी दफ्तरों में किसी भी समस्या का निवारण समय पर और सरलता से नहीं होता है। कभी-कभी तो निर्णय आने में इतना विलम्ब हो जाता है कि उसका कोई महत्त्व ही नहीं रह जाता है। यही कारण है कि साधारण व्यक्ति इन सबसे दूर रहना चाहता है।
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Jamun ka ped Kahani MCQ
प्रश्न 01. 'जामुन का पेड़' कहानी किस के द्वारा रचित है ?
- जवाहर लाल नेहरू
- मन्नू भंडारी
- कृश्नचंद्र
- प्रेमचंद ।
उत्तर - कृश्नचंद्र ।
प्रश्न 02.किस ने पहली बार देखा कि पेड़ के नीचे एक आदमी दवा पड़ा था ?
- क्लर्क
- सैक्रेटरी
- माली
- सुपरिटेंडेंट।
उत्तर - माली ।
प्रश्न 03. पेड़ आदमी के शरीर पर किस जगह गिरा था ?
- टाँग
- कूल्हा
- पीठ
- छाती।
उत्तर - कूल्हा ।
प्रश्न 04. जामुन का पेड़' कैसी कथा है ?
- गंभीर
- हास्य-व्यंग्य
- वीरतापूर्ण
- त्रासद।
उत्तर - हास्य व्यंग्य ।
प्रश्न 05. सारी अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी किसने अपने सिर पर ले ली थी ?
- राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- वित्तमंत्री
- मुख्यमंत्री।
उत्तर - प्रधानमन्त्री ।
प्रश्न 06. मेडिकल डिपार्टमेंट ने जाँच के लिए किसे भेजा था ?
- कंपाउंडर
- सर्जन
- कैमिस्ट
- फ़िज़ियन ।
उत्तर - सर्जन ।
प्रश्न 07. पेड़ काटने का अंतिम आदेश किसने दिया ?
- सुपरिटेंडेंट ने
- मंत्री ने
- सचिव ने
- प्रधानमंत्री ने।
उत्तर - प्रधानमंत्री ने ।
प्रश्न 08. 'बेचारा जामुन का पेड़, कितना फलदार था' कथन किसका है ?
- क्लर्क का
- माली का
- चपरासी का
- कांस्टेबल का।
उत्तर - क्लर्क का ।
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