रमणिका गुप्ता ने हिंदी साहित्य में विमर्श के रूप में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इन्होंने आदिवासी के जीवन पर कई पुस्तकें लिखी हैं। रमणिका गुप्ता प्रख्यात सामजिक कार्यकर्त्ता,साहित्यकार,समाजसेवा और राजनीति सहित कई क्षेत्रों से जुड़ी हुई थीं।
रमणिका गुप्ता का जीवन परिचय
नाम - रमणिका गुप्ता (Ramnika Gupta)
जन्म - 22 अप्रैल, 1930 ( सुनाम, पंजाब, भारत)
मृत्यु - 26 मार्च, 2019 (नई दिल्ली, भारत)
शिक्षा - एम.ए., बी.एड.
पेशा - लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता
काल - आधुनिक काल
प्रमुख साहित्यिक कृतियाँ :-
विमर्श
- आदिवासी अस्मिता का संकट
- दलित-चेतना साहित्यिक और सामाजिक सरोकार
- दलित हस्तक्षेप
उपन्यास
- सीता मौसी
आत्मकथा
- आपहुदरी (2015)
- हादसे(2005)
संपादन
- युद्धरत आम आदमी - त्रैमासिक पत्रिका, रमणिका गुप्ता द्वारा संपादित।
रमणिका गुप्ता की आत्मकथा
रमणिका गुप्ता ने अपनी आत्मकथा दो भागों में लिखी। इनमें प्रथम भाग 'हादशे' है। जिसका प्रकाशन वर्ष 2005 ई. में हुआ तथा दूसरा भाग 'आपहुदरी' जिसका प्रकाशन वर्ष 2015 ई. में किया गया।
हादसे में रमणिका गुप्ता के जीवन से संंबंधित विसंगतियों, विपरीत परिस्थितियों से लड़ती जूझती एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अनुभव किया है जो मजदूर यूनियन नेता से बिहार परिषद के सदस्य बनने तक क घटनाएं का वर्णन किया है।
'आपहुदरी' आत्मकथा सन् 2015 ई. में ही प्रकाशित हुई है। जिसमें लेखिका के व्यक्तिगत जीवन के अनुभवों प्रसंगों घटनाओं का बड़ा ही मनोविश्लेषणात्मक वर्णन है।
'आपहुदरी' आत्मकथा के प्रमुख पात्र
- लेखिका (रमणिका गुप्ता)
- पिता (प्यारेलाल बेदी)
- बीबीजी (माँ-लीलावती बेदी)
- बड़े भाई (सत्यव्रत बेदी)
- मंझले भाई (चाँदव्रत बेदी)
- छोटे भाई (रविव्रत बेदी)
- बुआ (दुर्गावती, लक्ष्मी)
- दादा जी (करमचन्द्र बेदरी)
- ताई (गौरा)
- हीरालाल (दादा का भाई)
- वेद प्रकाश गुप्ता (पति)
- पुत्र ( उमंग पावेल गुप्ता)
- पुत्री (शीबा सिब्बल, तरंग गुप्ता)
- अन्य पात्र बलराम, हामीद, भाभी, यशपाल, बलजीत, आहुजा, प्रो. वाजपेयी, दिलीप, संजीव रेड्डी, रामू, संतरा, नाना, मौसी आदि।
आपहुदरी के शीर्षक
- दहशतजदा धनबाद और मुक्ति की छटपटाहट
- हम धनबाद पहुंचे
- धनबाद पहुँचने के बाद
- 'मेरी प्रेम यात्राएं (मुक्ति की छटपटाहट)
- संविद सरकारो का चलन
- नया चैप्टर बनाना है।
- मेरी यात्रा का लक्ष्य मिल गया
- मांडवी जेलसे भावनगर जेल तक
- खावडा की यात्रा
- संसद में जूता फेंका (2 लड़किया सदन में जूता फेकती है
आपहुदरी आत्मकथा की समीक्षा
'आपहुदरी' एक जिद्दी लड़की की आत्मकथा है। यह रमणिका गुप्ता की अपनी एक निजी यात्रा है। इसमें लेखिका ने एक निर्भीक स्त्री के रूप में अपने जीवन की अन्तरंगताओं को बेहद स्पष्ट रूप से दिखाने का प्रयास किया है।
रमणिका गुप्ता ट्रेड यूनियन से जुड़ी कार्यकर्ता रही हैं, लेकिन उनके जीवन की अपनी खोज सत्ता तक पहुँचकर अपनी उपस्थिति का अहसास कराना भर न था बल्कि वे खुद की आकांक्षा के बारे में इसी आत्मकथा के बारे में कहती हैं "मैं जब सब परिधियाँ बाँध सकती थीं, सीमाएँ तोड़ सकती थीं सीमाओं में रहना मुझे हमेशा कचोटता रहा है, सीमा तोड़ने का आभास ही मुझे अत्यधिक सुखकारी लगता है, मैं वर्जनाएँ तोड़ सकती हूँ--- अपनी देह की मैं खुद मालिक हूँ, मैं संचालक हूँ, संचालित नहीं,"
सम्पूर्ण आत्मकथा में रमणिका एक जिद्दी लड़की की भूमिका के साथ-साथ स्त्री की स्वतन्त्र अभिव्यक्ति की कामना की खोज में निकल पड़ती हैं वे जहाँ कहीं भी जाती हैं, उनके सम्बन्ध वहीं बनते जाते हैं, वे कहीं भी छली नहीं जातीं। अपने इन सम्बन्धों के बारे में जब भी वे लिखती हैं, पुरुष प्रधान समाज के तिलिस्म को रेशा-रेशा कर डालती हैं।
वे अपने अनुभव का बखान इन शब्दों में करती हैं- "मौन के बारे में सभ्य-असभ्य क्या है, समाज इसका फैसला तो करता रहा है, पर उसने समझ के साथ अपने मानदण्ड नहीं बदले। व्यक्ति बदलता रहा, प्यार की परिभाषाएँ, सुख की व्याख्या, यौन का दायरा सब तो देशकाल के अनुरूप बदलता है, रिश्ते भी सापेक्ष होते हैं, दुर्भाग्यवश समाज ने अपना दृष्टिकोण नहीं बदला खासकर भारतीय समाज ने।"
इस भारतीय समाज के जिन पुरुषों से रमणिका गुप्ता का सामना हुआ उनमें उनका पति, पति के दोस्त, नेता, नेता के साथ चलने वाले छुटभैये, ओहदेदार पुरुषों की भी लम्बी फेहरिस्त है। आपहुदरी से गुजरते हुए यह स्पष्ट तौर से महसूस होता है कि सेक्सुअलिटी की खोज उत्सवधर्मिता में तब्दील होती है। पूरी आत्मकथा में स्त्री दैन्य कहीं नहीं है। आपहुदरी में रमणिका गुप्ता अन्तरंगता के विमर्श में भिन्न-भिन्न आयामों की पड़ताल कर स्त्री को स्वयं अपनी राह बनने को तैयार करती हैं। रमणिका गुप्ता ने हिन्दी की सेवा एक सामाजिक कार्यकर्ता की तरह की है। इस आत्मकथा में रमणिका जी ने जैसा अपना जीवन जिया वैसा ही लिखा है। लेखिका ने इस आत्मकथा के माध्यम से अपने साहस की कथा कही है। आपहुदरी आत्मकथा के रूप में एक नया मोड़ भी है।
आपहुदरी के महत्त्वपूर्ण तथ्य
- ‘आपहुदरी’ एक पंजाबी भाषा का शब्द है।
- आपहुदरी का अर्थ है - जो स्त्री अपनी मर्ज़ी से अपना जीवन जीती है, अपनी शर्तों पर।
- ‘आपहुदारी’ आत्मकथा में रमणिका गुप्ता पर ‘फ्रायडवाद’ का प्रभाव पड़ा है।
- ‘आपहुदारी’ आत्मकथा में लेखिका का पहला प्रेम बलराम नामक व्यक्ति के साथ हुआ था।
- लेखिका को ‘सत्यार्थ प्रकाश’ पढ़ने के बाद पूजा-पाठ व कर्म-काण्डों पर से विश्वास उठ गया था।
- आपहुदरी पुस्तक में रमणिका गुप्ता ने पंजाब की एक ‘कुड़ीमार’ कुप्रथा का वर्णन किया है।
Aaphudri MCQ
प्रश्न 01. 'आपहुदरी' के संदर्भ में असत्य कथन है-
- इस आत्म कथा में बचपन से लेकर धनवाद जाने की तक की आत्मकथा है।
- लेखिका के परिवार के पर आर्यसमाज का प्रभाव है
- लेखिका का नाम रमना भी है
- इस आत्मकथा में उर्दू भाषा का भरपूर प्रयोग किया गया है।
उत्तर: 4. इस आत्मकथा में उर्दू भाषा का भरपूर प्रयोग किया गया है।
प्रश्न 02. 'आपहुदरी' किसकी आत्मकथा है।
- कृष्णा सोबती
- रमाणिका गुप्ता
- मन्नू भण्डारी
- उषा प्रियंवदा
उत्तर: 2. रमाणिका गुप्ता
प्रश्न 03. नदी को न पथ्थर बाध सकते हैं, न बांध। नदी तब तक नही रुकती जबतक उसके पाना का स्रोत खत्म नहीं हो जाता, और मैंने अपने भीतर की स्त्री के स्रोत को कभी खत्म होने दिया ।" उपर्युक्त कथन किस रचना से है -
- आपहुदरी
- मेरी तिब्बत यात्रा
- भोलाराम का जीव
- एक कहानी यह भी
उत्तर: 1. आपहुदरी
प्रश्न 04. आपहुदरी आत्मकथा के आधार पर रमणिका गुप्ता को प्रेम निम्नलिखित में से किस पात्र से हुआ था।
- वेद प्रकाश
- हमीद
- बलजीत
- बलराम
उत्तर: 4. बलराम
प्रश्न 05. 'आपहदरी' आत्मकथा का प्रकाशन वर्ष है?
- 2010
- 2013
- 2015
- 2003
उत्तर: 3. 2015
प्रश्न 06. 'आपदरी' कैसी लड़की की आत्मकथा है?
- जिद्दी लड़की
- सुन्दर लड़की
- गरीब लड़की
- अमीर लड़की
उत्तर: 1. जिद्दी लड़की
प्रश्न 07. आपहृदरी आत्मकथा में लेखिका पर किसका प्रभाव पड़ा है।
- फ्रायडवाद
- दर्शनवाद
- नारीवाद
- मार्क्सवाद
उत्तर: 1. फ्रायडवाद
0 टिप्पणियाँ